भारतीय दूत को रोकाः ब्रिटेन के गुरुद्वारे ने खालिस्तानियों की निंदा की

01:38 pm Oct 01, 2023 | सत्य ब्यूरो

ग्लासगो गुरुद्वारे ने रविवार 1 अक्टूबर को भारतीय दूत को गुरुद्वारे में प्रवेश से रोकने पर खालिस्तानी चरमपंथियों की कड़ी निंदा की। गुरुद्वारा कमेटी ने एक बयान में कहा कि यहां सभी समुदायों का स्वागत है। किसी को भी रोका जाना गलत है। हम इसका समर्थन नहीं करते हैं।

ग्लासगो गुरुद्वारा गुरु ग्रंथ साहिब सिख सभा ने एक बयान में कहा- "29 सितंबर 2023 को ग्लासगो गुरुद्वारे में एक घटना घटी। भारतीय उच्चायुक्त स्कॉटिश संसद के एक सदस्य के साथ निजी यात्रा पर थे। ग्लासगो क्षेत्र के बाहर के कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने इस यात्रा को बाधित करने का प्रयास किया। जिसके बाद मेहमानों गुरुद्वारा परिसर छोड़ने का निर्णय लिया। इसे किस रूप में सही ठहराया जा सकता है।“

गुरुद्वारे ने कहा कि भारतीय दूत के चले जाने के बाद भी "अनियंत्रित व्यक्तियों" ने गुरुद्वारे में लोगों को परेशान करना जारी रखा। बयान में कहा गया, "ग्लासगो गुरुद्वारा सिख पूजा स्थल की शांतिपूर्ण कार्यवाही को बाधित करने के लिए इस तरह के व्यवहार की कड़ी निंदा करता है।"

भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी को शनिवार को खालिस्तानी चरमपंथियों ने गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोक दिया था।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक कथित वीडियो में एक व्यक्ति ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी को ग्लासगो में गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोकता दिख रहा है। दो लोगों को पार्किंग क्षेत्र में उच्चायुक्त की कार का दरवाजा खोलने का प्रयास करते हुए भी देखा गया है। इसके बाद कार को ग्लासगो गुरुद्वारा साहेब के परिसर से बाहर निकलते हुए देखा जाता है।

भारत ने इस ''अपमानजनक'' घटना को ब्रिटेन सरकार के सामने उठाया है। ब्रिटेन की कनिष्ठ विदेश मंत्री ऐनी-मैरी ट्रेवेलियन ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो की पुष्टि की और कहा कि वह "चिंतित" हैं। उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर कहा- "विदेशी राजनयिकों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है और यूके में हमारे पूजा स्थल सभी के लिए खुले होने चाहिए।"

यह घटना भारत और कनाडा के बीच बढ़ते राजनयिक विवाद के बीच सामने आई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जून में मारे गए खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में "भारत सरकार के एजेंटों" का हाथ बताया है। इसके बाद कनाडा ने एक भारतीय डिप्लोमेट को निष्कासित कर दिया। जवाब में भारत ने कनाडाई डिप्लोमेट को निकाल दिया और कनाडा में वीजा सिस्टम को सस्पेंड कर दिया।