अमेरिका के न्यूजर्सी में भारत के स्वतंत्रता दिवस पर निकाली गई एक परेड पर विवाद हो गया है। उस परेड में कथित तौर पर बुलडोजर को शामिल किए जाने पर इंडियन अमेरिकन मुसलिम काउंसिल यानी आईएएमसी ने आपत्ति जताई है और इसे भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने की मुहिम क़रार दिया है।
आईएएमसी ने इस मामले में बयान जारी किया है। इसने बयान में कहा है कि आरएसएस और बीजेपी ने भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने की अपनी मुहिम को अमेरिका तक पहुँचा दिया है। इंडियन अमेरिकन मुसलिम काउंसिल के अनुसार न्यूजर्सी के एडिसन शहर में ओवरसीज़ फ्रेंड्स ऑफ भारतीय जनता पार्टी (यूएसए) के बैनर तले स्वतंत्रता दिवस परेड निकाली गई थी। उसमें एक बुलडोजर भी शामिल किया गया था। उस बुलडोजर पर कथित तौर पर पीएम मोदी और ‘बाबा बुलडोज़र’ लिखी हुई यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तसवीर थी।
बयान में कहा गया है कि यह यूपी में चल रहे बुलडोज़र अभियान को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने की कोशिश थी। उस बयान में यूपी में बुलडोजर की कार्रवाई को सैकड़ों 'बेगुनाह मुसलमानों' के घरों को ग़ैरक़ानूनी ढंग से तोड़ने की कार्रवाई बताया गया है। बयान में कहा गया है, 'बुलडोज़र को मुसलमानों को सबक़ सिखाने के प्रतीक के तौर पर बीजेपी समर्थक प्रचारित करने में जुटे हैं।' हालाँकि, यूपी में प्रशासन ऐसी कार्रवाइयों को अवैध कब्जे के ख़िलाफ़ कार्रवाई बताता रहा है।
बयान में इंडियन अमेरिकन मुसलिम काउंसिल के अध्यक्ष सैयद अली ने कहा है कि अल्पसंख्यकों और अन्य वंचित समूहों के अधिकारों की रक्षा के लिए अमेरिका ख़ासतौर पर पहचाना जाता है, लेकिन आरएसएस और उससे जुड़े संगठन उस परेड के ज़रिए अमेरिका की इसी पहचान को चुनौती दे रहे हैं।
उधर, मानवाधिकार संगठन ‘हिंदूज़ फ़ॉर ह्यूमन राइट्स’ ने भी उस परेड को घृणा का सार्वजनिक प्रदर्शन क़रार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। रिपोर्ट के अनुसार, संगठन के एडवोकेसी कोआर्डिनेटर प्रणय सौम्युजला ने एडिसन के मेयर समीप जोशी को पत्र लिखकर इस परेड की सार्वजनिक निंदा करने की माँग की है। उन्होंने लिखा है कि उस परेड में जिस तरह से अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ घृणा का प्रदर्शन हुआ है, वह चिंतित करने वाला है।
रिपोर्ट के अनुसार काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन्स यानी सीएआईआर ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। संगठन ने एक बयान में कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का उस परेड में शामिल होना बताता है कि वे अल्पसंख्यक और कमज़ोर तबकों के ख़िलाफ़ हिंसा और उन्हें बेघर करने के अभियान के समर्थक हैं।