शनिवार को आधी रात के आस-पास अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के बाहरी इलाक़े में एक शादी समारोह में हुए बम धमाके में 63 लोग मारे गए हैं औऱ क़रीब 185 लोग घायल हैं। एक आत्मघाती हमलावर ने शिया हज़ारा समुदाय के इस शादी समारोह में ख़ुद को उड़ा लिया। तालिबान ने इस मामले में अपना हाथ होने से इनकार किया है। एजेंसियों को आशंका है कि यह आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का कारनामा है।
अफ़ग़ानिस्तान सरकार के प्रवक्ता फ़िरोज़ बशरी ने इस घटना में 63 लोगों के मारे जाने और 185 लोगों के घायल होने की पुष्टि कर दी है। आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता नुसरत रहीमी ने भी इस संख्या की पुष्टि की है।
जब से अमरीका और तालिबान समझौते के क़रीब पहुँच रहे हैं तभी से आईएस के लड़ाकों में बड़ी बेचैनी है। समझा जा रहा है कि अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आईएस ने यह भीषण नरसंहार किया है। इसी महीने की सात तारीख़ को इसी इलाक़े में एक और आत्मघाती हमला सुरक्षा बलों पर हुआ था जिसमें क़रीब पंद्रह लोग मारे गए थे और सौ के क़रीब लोग घायल हुए थे । इससे पहले नवंबर में भी ऐसे ही एक हमले में एक अन्य मैरिज हाल में 55 लोग मारे गए थे, तब ये लोग मोहम्मद साहब के बारे में हो रहे एक समारोह के लिए इकट्ठा हुए थे।
एक प्रत्यक्षदर्शी गुल मोहम्मद ने बताया कि आत्मघाती हमलावर ने ठीक उस जगह बम विस्फोट किया, जहाँ पर संगीत का प्रोग्राम चल रहा था और मंच के पास पहुँच कर बम विस्फोट कर दिया। इस जगह पर नौजवान और बच्चे शादी समारोह का आनंद उठा रहे थे। शादी समारोह में क़रीब 12 सौ लोगों को निमंत्रण दिया गया था, फ़िलहाल दूल्हा इस हमले में बाल-बाल बच गया है। विवाह समारोह के लिए प्रसिद्ध दुबई सिटी वेटिंग हॉल नाम के इस भवन के परखच्चे उड़ गये। दुनिया भर से इस हमले के ख़िलाफ़ निंदा की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। यूरोपीय यूनियन मिशन ने इसकी निंदा की है।
जिस जगह यह धमाका हुआ है, वह काबुल के पश्चिमी हिस्से का घना बसा इलाक़ा है जिसमें शिया हज़ारा समुदाय के लोग बसे हुए हैं। आईएस पहले भी शिया समुदाय के ख़िलाफ़ हमलों के लिए कुख्यात रहा है। आईएस पूरी तरह से कट्टर सुन्नी लड़ाकों का संगठन है।
इस आत्मघाती हमले में तालिबान ने तुरंत बयान जारी करके इस हिंसा को अपराध कहा है और किसी भी क़िस्म के तर्क से सही ठहराने लायक नहीं बताया है। आमतौर पर तालिबान ऐसे मामलों में अपनी प्रतिक्रिया समय लेकर और संभाल कर देता रहा है लेकिन इस बार उसने त्वरित प्रक्रिया दी है और धमाके में हाथ होने से साफ़ इनकार किया है।
तालिबान की सफ़ाई से अफ़ग़ानिस्तान सरकार का आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय कठिनाई में पड़ गया है क्योंकि उसे अब आईएस से पैदा हुए नए ख़तरे से भी दो-चार होना है।
अफ़ग़ानिस्तान में हो रहे धमाकों के ख़िलाफ़ काबुल की नागरिक आबादी में बहुत गम और ग़ुस्सा है क्योंकि ऐसी घटनाओं पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। जबकि अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत के बारे में कहा जा रहा है कि वह 18 साल पुराने इस संघर्ष को ख़त्म करने के लगभग एकदम क़रीब हैं। अमरीका अपने इतिहास के इस सबसे लंबे समय तक चले युद्ध से अब हर हाल में बाहर निकलना चाहता है पर हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही।
अफ़ग़ानिस्तान में आईएस कोई बहुत बड़ा संगठन नहीं है लेकिन अल-क़ायदा से संबंधों की वजह से इसकी मारक क्षमता हमेशा रहस्यमय रही है। इसके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़ाकों की बहुत बड़ी फ़ौज है।
सीरिया से ख़ाली हुए कुछ लड़ाके अफ़ग़ानिस्तान में भी पहुँचे हैं और अमेरिका को यहाँ से वापस निकलते देख अफ़ग़ानिस्तान की राजनीति में वह अपना हस्तक्षेप दिखाना चाहते हैं। इस वजह से कई बार वह यहाँ प्रभावी तालिबान के भी आमने-सामने हो चुके हैं।सोमवार को अफ़ग़ानिस्तान अपना सौवाँ आज़ादी का दिवस मनाने जा रहा है और यह हमला उसके ठीक पहले हुआ है। इससे देश दर्द से भर गया है। काबुल के लोग शंका कर रहे हैं कि अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान से हटने के बाद भी किसी बदलाव की उम्मीद बेमानी ही रहेगी क्योंकि आईएस ने नया मोर्चा खोल दिया है!