अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार रात को एक आत्मघाती हमलावर ने ख़ुद को विस्फोट से उड़ा लिया। धमाके में 63 लोगों की मौत हो गई और 185 लोग घायल हो गए। अफ़ग़ानिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि यह धमाका एक शादी समारोह में हुआ। उस दौरान शादी समारोह में काफ़ी भीड़ थी। तालिबान ने इस घटना में अपना हाथ होने से इनकार किया है।
अधिकारियों का कहना है कि आत्मघाती हमलावर पुरुषों के बने रिसेप्शन एरिया से अंदर आया। घटना की कई तसवीरें सोशल मीडिया पर आई हैं जिसमें चारों ओर बिखरे हुए शव और ख़ून दिखाई दे रहा है।
आतंरिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहीमी ने बताया कि घायलों में महिलाएँ एवं बच्चे शामिल हैं। पार्टी में एक हज़ार से ज़्यादा लोगों कों बुलाया गया था। इस हमले को इस साल काबुल में अब तक का बड़ा हमला बताया जा रहा है। शादी में मौजूद मुहम्मद फरहाग ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि धमाके के दौरान वह महिलाओं के लिए बने इलाक़े में था तभी उसने पुरुषों के लिए बने इलाक़े में जोरदार धमाके की आवाज़ सुनी। फरहाग ने बताया कि तभी लोग चिल्लाने लगे और इधर-उधर भागने लगे। फरहान ने बताया कि लगभग 20 मिनट तक हॉल पूरी तरह धुएँ से भर गया। पुरुषों के लिए बनी जगह में लगभग सभी लोग या तो घायल थे या मर चुके थे। आत्मघाती हमलावर ने ज़्यादा से ज़्यादा नुक़सान के लिए शादी समारोह के स्थल को चुना, क्योंकि वहाँ ज़्यादा लोग मौजूद थे।
यह धमाका ऐसे समय में हुआ है, जब अफ़गानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता चल रही है और अफ़गानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के लिए सरकार तालिबान से शांति का आश्वासन चाहती है। इस हमले से ठीक एक दिन पहले यानी शुक्रवार को पाकिस्तान की एक मसजिद में भी बम धमाका हुआ था। इस घटना में तालिबानी आतंकवादी हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा के भाई सहित चार लोग मारे गए थे और 20 घायल हो गए थे।
काबुल में कुछ दिन पहले ही एक कार में ज़बरदस्त धमाका हुआ था जिसमें लगभग 100 लोगों के घायल होने की ख़बर है। आतंकवादी गुट तालिबान ने इसकी ज़िम्मेदारी ली थी। यह धमाका काबुल के पश्चिमी इलाक़े में हुआ था और उस दौरान वहाँ काफ़ी भीड़ थी। समाचार एजेन्सी 'द गार्जियन' के मुताबिक़, तालिबान ने कहा था कि उसके लोगों ने उस जगह धमाका किया जहाँ सेना के लिए नए रंगरूटों की भर्ती चल रही थी। तालिबान ने यह दावा भी किया था कि सेना और पुलिस के जवान बड़ी तादाद में मारे गए और ज़ख़्मी हुए हैं।
अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी फ़ौजों की वापसी के बारे में लगभग समझौता हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के प्रतिनिधि ज़लमई ख़लीलज़ाद और तालिबान प्रतिनिधियों के बीच जिन शर्तों पर समझौता हुआ है, उन्हें अभी पूरी तरह उजागर नहीं किया गया है। लेकिन माना जा रहा है कि अगले डेढ़ साल में पश्चिमी राष्ट्रों के सैनिक पूरी तरह से अफ़ग़ानिस्तान को खाली कर देंगे। बदले में तालिबान ने उसे आश्वासन दिया है कि वह आतंकवाद पर रोक लगा देगा और आईएसआईएस और अल-क़ायदा जैसे संगठनों से कोई संबंध नहीं रखेगा।