अमेरिका में भी लेटर-वॉर, ट्रंप के ख़िलाफ़ सामने आए अश्वेत अफ़सर

07:34 pm Jul 29, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

भारत में जिस तरह 'मॉब लिन्चिंग' और किसी को 'जय श्री राम' बोलने के लिए मजबूर करने के मुद्दे पर 49 बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी, वैसा ही कुछ अमेरिका में भी हो रहा है। वहाँ भी दक्षिणपंथी ताक़तें अश्वेत लोगों को निशाने पर ले रही हैं। स्वयं राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप तक इस तरह की बातें कर चुके हैं। वहाँ भी लोग इसके ख़िलाफ़ उठ खड़े हुए हैं और राष्ट्रपति समेत इस तरह के तमाम लोगों को मुँहतोड़ जवाब दे रहे हैं। 

इसकी शुरुआत शनिवार को हुई जब ट्रंप प्रशासन में काम करने वाले 149 अफ़्रीकन अमेरिकन अफ़सरों ने 'वाशिंगटन पोस्ट' में छपे  एक संपादकीय पर अपने दस्तख़त किए। इसका शीर्षक था, 'हम अफ़्रीकी अमेरिकी हैं, हम देशभक्त हैं, और हम चुपचाप बैठे रहने से इनकार करते हैं।'

क्या है संपादकीय में?

हम यह पहले ही सुन चुके हैं। जहाँ से आए हो, वहीं चले जाओ। अफ्रीका लौट जाओ, अभी ही चले जाओ। अमेरिका के काले और भूरे लोग इस तरह की बातें शून्य में नहीं सुनते आए हैं। हममें से कई ने यह महसूस किया है कि कई बार यह हमारे सामने ही चीख कर कहा जाता है, कई बार हमारे पीठ पीछे फुसफुसा कर कहा जाता है, हमारे लॉकर्स पर लिख दिया जाता है या हमें ये बातें ऑनलाइन कही जाती हैं। यह देश के उस पैटर्न का हिस्सा है, जिसके तहत हमें अलग-थलग रखा जाता है, नीचा दिखाया जाता है और डराया जाता है।  

हम 149 अफ्रीकी अमेरिकियों ने पिछले प्रशासन में काम किया है और हमने देखा है कि किस तरह पहले काले राष्ट्रपति बराक ओबामा को राष्ट्रपति के रूप में लगातार खारिज किया जाता रहा है। बराक ओबामा के कार्यकाल में और उसके बाद भी नस्लवाद को तेज़ी से बढ़ते हुए हमने देखा है और यह हमारे लिए सच्चाई है। पर इससे हमे अपनी सक्रियता बढ़ाने का ईंधन भी मिलता है। 

हम कांग्रेस सदस्या इलहान उमर, अलेक्ज़ांद्रिया ओकेसियो-कॉर्टिज़, अयाना प्रेसली और रशीदा तलैब के साथ खड़े हैं। इसके साथ ही हम उन लोगों के साथ भी हैं, जिन पर राष्ट्रपति ट्रंप और उनके समर्थक लगातार हमले कर रहे हैं। ये समर्थक यह समझते हैं कि उन्हें यह तय करने का हक़ है कि कौन यहाँ का है और कौन नहीं है। इससे अधिक ग़ैर अमेरिकी हो ही नहीं सकता है कि किसी को यह कहा जाए कि वह देश छोड़ कर वहाँ चला जाए जहाँ से वह आया है और इसके लिए उसके अप्रवासी जड़ों, पूर्वजों और इस बात की चर्चा की जाए कि वह पूरी तरह आज्ञाकारी बन कर चुपचाप बैठे रहने से इनकार करता हो। 

हम उन अप्रवासियों, शरणार्थियों और ग़ुलाम बनाए गए अफ़्रीकियों के वंशज हैं, जिन्होंने मूल पाप की भयावहता को झेलते हुए इस देश का निर्माण किया। हम उस ज़मीन पर खड़े हैं, जो उन्होंने तैयार की और उस सड़क पर चल रहे हैं जो उन्होंने बनाई हे। हम लाल ख़ून वाले अमेरिकी हैं, हम देशभक्त हैं और जिस दिशा में यह देश जा रहा है, उसके बारे में काफ़ी कुछ कह सकते हैं। हम दबाए-कुचले जाने को स्वीकार नहीं करते। हम नए अमेरिकियों का स्वागत खुली बाँहों से करते हैं। और हम नस्लवादी आधारशिला पर बनी क्रिमिनल जस्टिस प्रणाली के ख़िलाफ़ संघर्ष नहीं छोड़ेंगे। 

हम मिनेसोटा और मिशिगन के हैं, ब्रॉन्क्स और बेटन रूज़ के हैं, फ़्लोरिडा और फ़िलाडेल्फि़या के हैं, क्लीवलैंड और कैरोलाइना के हैं, अटलान्टा और नेवाडा के हैं, ओक टाउन और ची के हैं। हम लोकतंत्र में अपनी भूमिका को समझते हैं और अप्रवासियों के द्वारा और उनके लिए बनाए गए इस देश को सम्मान करना समझते हैं। हम उस पंरपरा के हैं, और हमारे पास यह ताक़त है कि अपने पूर्वजों का सम्मान करें और जो दूर देशों से यहाँ आए और इसे अपना घर बनाया। 

देश के प्रति हमारा प्रेम इस माँग में है कि हम इसे और सही बनाएँ। हम नस्लवाद, लिंगवाद, होमोफ़ोबिया और विदेशों से नफ़रत करने वालों के सामने चुपचाप बैठे रहने से इनकार करते हैं। हम स्थानीय, राज्य, कांग्रेस के अधिकारियों और राष्ट्रपति के उम्मीदवारों से गुजारिश करते हैं कि वे ऐसी नीतियाँ चुनें जिससे लोकतंत्र मजबूत हो और लोगों को मुनाफ़े से अधिक महत्व दिया जाए। हम ऐसे उम्मीदवारों का समर्थन करते रहेंगे जो विविधता को बेहतर समझते हों। हम सभी अमेरिकियों से अपील करते हैं कि वे नस्लभेद विरोधी, पर्यावरण हितैषी और हरेक को साथ लेकर चलने की कोशिश कर ख़ुद को बेहतर पड़ोसी साबित करें। 

हमें यह देश जैसा मिला था, उससे बेहतर छोड़ कर जाएँगे। यह हमारा घर है। 

इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति की काफ़ी किरकिरी हुई। विपक्ष डेमोक्रेट्स ही नहीं, उनकी अपनी पार्टी के कई सदस्यों ने उनकी तीखी आलोचना की और अपना बयान वापस लेने को कहा। हाउस ऑफ़ रीप्रेज़ेन्टेटिव्स में उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें पद से हटाने तक की बात कही गई, हालाँकि इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है। 

लेकिन इस पर विवाद तब गहराया पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ने ट्वीट कर दिया। बराक ने कहा, 'उनकी (डोनल्ड ट्रंप की) टीम ने मेरे प्रशासन में जो कुछ हासिल किया, उस पर मुझे हमेशा गौरव रहा है। पर वे जिस तरह अमेरिका को बेहतर बनाने के लिए जूझ रहे हैं, मुझे उस पर अधिक गर्व है।' 

मिशेल ओबामा ने ट्वीट कर कहा, 'हमारे देश को जो चीज सबसे महान बनाती है, वह विविधता है। मैंने कई सालों में सुंदरता को कई रूपों में देखा है। हमारा यहाँ जन्म हुआ हो या हमने यहाँ शरण ली हो, यह हम सबकी जगह है। हम यह ज़रूर याद रखें कि यह मेरा अमेरिका या आपका अमेरिका नहीं है, यह हमारा अमेरिका है।

दरअसल पूरा मामला यहीं आकर रुका हुआ है। डोनल्ड ट्रंप अपने आक्रामक बयानों की वजह से शुरू से ही विवादों के केंद्र में रहे हैं। महिलाओं को लेकर कही गई बात हो या मेक्सिको के साथ विवाद, अप्रवासी लोगों की बात हो या उत्तर कोरिया को ख़त्म कर देने की धमकी, उन पर विवाद रहा है। पर इस बार काले अमेरिकी महिलाओं और वह भी निर्वाचित प्रतिनिधियों को देश छोड़ कर चले जाने की बात कह कर उन्होंने सभी सीमाएँ मानो तोड़ दी हैं।