महिला आरक्षण विधेयक: 10 मार्च से धरने पर बैठेंगी के.कविता
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के.कविता संसद के आगामी सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश करने की मांग को लेकर 10 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगी। गुरुवार को इस बात की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इनके इस विरोध प्रदर्शन में महिला संगठन, सभी 29 राज्यों के प्रतिनिधि और महिला अधिकारों और सशक्तिकरण में विश्वास करने वाले राजनीतिक दल भी उपस्थित रहेंगे।
कविता ने कहा कि प्रधानमंत्री लाल किले से तो नारी शक्ति के बारे में तो बोलते हैं, लेकिन वास्तविकता में महिला सशक्तिकरण के लिए कुछ नहीं करते। अगर बीजेपी महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की इच्छुक है, तो वह इसे पारित कराने में हमारी सहायता कर सकती है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में महिला आरक्षण के महत्व को स्वीकार किया जा रहा है। महिलाएं जब नेतृत्व की भूमिका में आती हैं, तो लोकतंत्र और बेहतर हो जाता है।
उन्होंने बताया कि 1992 में हुए 72 वें संविधान संशोधन से स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई, अगले साल 1993 में 73 वें संविधान संशोधन से शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत दिया गया। लेकिन संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व की मांग करने वाला, महिला आरक्षण विधेयक 1996 में पहली बार पेश किए जाने के बाद भी 27 वर्षों से लंबित है।
कविता ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी को 2014 और 2019 के आम चुनावी घोषणापत्र की याद दिलाई और कहा कि भाजपा ने जो वादे किए थे, अब उस पर काम करना चाहिए। संसद के इस सत्र या अगले सत्र में महिला आरक्षण विधेयक को पेश करें।
महिला आरक्षण विधेयक पर बीआरएस पार्टी के दृष्टिकोण के बारे में बोलते हुए, कविता ने कहा, "तेलंगाना विधानसभा में सीएम केसीआर गारू के नेतृत्व में बीआरएस पार्टी ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया था कि जब भी लोकसभा विधेयक पारित करेगी, बीआरएस इसका समर्थन करेगी।
लैंगिक समानता में बढ़ते अंतर और वैश्विक परिदृश्य पर कविता ने कहा कि भारत में लैंगिक समानता का अंतर समय के साथ बढ़ता जा रहा है। यदि अभी आरक्षण दिया जाता है, तो हम केवल 2063 तक लैंगिक समानता प्राप्त कर पाएंगे। अगर सरकार चाहती है कि भारत महाशक्ति बने तो वह अपनी आधी आबादी (महिलाओं) को घर पर नहीं रख सकती।
लैंगिक समानता में बढ़ते अंतर और वैश्विक परिदृश्य पर कविता ने कहा कि भारत में लैंगिक समानता का अंतर समय के साथ बढ़ता जा रहा है। यदि अभी आरक्षण दिया जाता है, तो हम केवल 2063 तक लैंगिक समानता प्राप्त कर पाएंगे।
बीते दिनों के. कविता का नाम दिल्ली की विवादित शराबनीति में भी सामने आया था। इम मामले में कविता के पूर्व सीए को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। सीबीआई कभी भी उनसे पूछताछ कर सकती है। सीबीआई द्वारा कविता पर जो आरोप लगाया गया है वह यह है कि कविता एक शराब कंपनी 65 प्रतिशत की हिस्सेदार हैं। इसी मसले पर पिछले दिनों दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जेल भेजा गया है। इसके बाद से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।