2024 में भी सपा के साथ मिलकर लड़ेंगे चुनाव: जयंत चौधरी
राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कैराना पलायन को मुद्दा बनाने की कोशिश की, हिंदू-मुसलमान करने की कोशिश की लेकिन ऐसे इलाक़ों में बीजेपी को हार मिली है और यह सपा गठबंधन की जीत है।
उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी उनका गठबंधन सपा के साथ बना रहेगा।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार किसान आंदोलन का खासा असर था और इस वजह से माना जा रहा था कि यहां बीजेपी को अच्छा-खासा नुकसान होगा। लेकिन बीजेपी को बड़ा सियासी नुकसान नहीं हुआ और वह राज्य में अपने दम पर बहुमत के लिए जरूरी सीटों से कहीं ज्यादा सीटें लाने में कामयाब रही।
जयंत चौधरी ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा कि आरएलडी शहरी क्षेत्रों में अपने संगठन को और मजबूत करेगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों से पता चलता है कि जाट मतों का बड़ा हिस्सा बीजेपी को भी मिला है जबकि चुनाव के दौरान कहा जा रहा था कि जाट इस बार बीजेपी से नाराज हैं और वह उसे वोट नहीं देंगे। बुलंदशहर, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, आगरा, गौतम बुद्ध नगर हापुड़ और गाजियाबाद में बीजेपी को बड़ी कामयाबी मिली है।
जयंत चौधरी ने कहा बीजेपी के पास अपने प्रोपेगेंडा को फैलाने की पूरी मशीनरी है।
किसानों की अपील बेअसर
किसानों ने भी इस चुनाव में बीजेपी को हराने की अपील की थी लेकिन उनकी अपील का बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ है। यहां तक कि लखीमपुर खीरी में भी बीजेपी ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसी इलाके में बीते साल अक्टूबर में किसानों को कुचले जाने की घटना हुई थी।
जयंत चौधरी ने एनडीटीवी से बातचीत में जातिगत जनगणना की मांग को भी उठाया। उन्होंने कहा कि चुनाव में हर जाति हर बिरादरी का वोट आरएलडी व गठबंधन को मिला है और यह उसकी कामयाबी है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आरएलडी को गठबंधन के तहत 33 सीटें मिली थीं जिसमें से वह 8 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी है। पिता चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद आरएलडी को चलाने की बड़ी जिम्मेदारी जयंत चौधरी के कंधों पर ही है।
आरएलडी के सामने चुनौती
आरएलडी का आधार सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही है और पिछले कुछ विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। हालांकि इस बार का प्रदर्शन पिछली बार के प्रदर्शन से बेहतर है।
लेकिन फिर भी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए आरएलडी व सपा के सामने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ी चुनौती है क्योंकि 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में यहां पर बीजेपी को अच्छी सफलता मिल चुकी है।