बीजेपी के विज्ञापन में मोदी का चेहरा, नीतीश का क्यों नहीं?
बिहार के एक ताज़ा चुनावी सर्वे में कहा गया है कि राज्य में एनडीए की सरकार तो वापसी कर सकती है लेकिन सीटें बीजेपी की ज़्यादा आ रही हैं। इस बात ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के माथे पर चिंता की लकीरों को गहरा कर दिया है।
यह सर्वे एबीपी न्यूज़-सी वोटर का है और इसमें कहा गया है कि जेडीयू को 59-67 और बीजेपी को 73-81 सीटें मिल सकती हैं। युवा तुर्क तेजस्वी की रैलियों में उमड़ रही भीड़ और चिराग के पैने सियासी तीरों से घायल नीतीश कुमार इस सर्वे के सामने आने के बाद और बीजेपी के एक ताज़ा क़दम से शायद और परेशान हो सकते हैं।
पहले चरण के मतदान का आज़ आख़िरी दिन है। शाम 5 बजे इन इलाक़ों में चुनाव प्रचार थम जाएगा। इससे पहले बीजेपी की ओर से अख़बारों में दिए गए एक विज्ञापन ने बिहार में जेडीयू के सियासी रणनीतिकारों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है।
हुआ यूं है कि बीजेपी ने बिहार में फ़ुल पेज़ के विज्ञापन जारी किए हैं और इनमें सिर्फ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आदमक़द तसवीर है। नीतीश का चेहरा ग़ायब है और मोटे अक्षरों में ‘भाजपा है तो भरोसा है’ लिखा गया है।
बिहार में यह चर्चा पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही थी कि पार्टी राज्य में मुख्यमंत्री पद पर अपने नेता को देखना चाहती है। लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव ने उसे यह समझा दिया था कि बिहार की सियासत में हिस्सेदारी या मुख्यमंत्री पद पाने के लिए नीतीश का साथ होना ज़रूरी है। क्योंकि बाक़ी छोटे खिलाड़ियों में ज़्यादा सीटें जीतने का दम नहीं है।
इसलिए पार्टी के कुछ नेताओं की उछाल मारती उम्मीदों को बीजेपी के बड़े सियासी चेहरे और गृह मंत्री अमित शाह ने बहुत पहले ही रोक दिया था। शाह ने पहले भी और हाल में एक इंटरव्यू में साफ किया कि बिहार में एनडीए नीतीश कुमार की क़यादत में ही चुनाव लड़ेगा।
बहरहाल, इस पोस्टर में गठबंधन धर्म का पालन करने के लिए ‘भाजपा है तो भरोसा है’ के नीचे ‘एनडीए को जिताएं’ लिखा है और ऊपर गठबंधन में शामिल चारों दलों के चुनाव चिह्नों को दिया गया है।
‘नीतीश को जेल भेजेंगे’
एलजेपी के मुखिया चिराग पासवान ने पहले ही नीतीश कुमार का जीना मुश्किल किया हुआ है। जेडीयू के उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ हर सीट पर चुनाव लड़ने वाले और चुनाव बाद बिहार में बीजेपी-एलजेपी की सरकार बनाने की बात अपनी हर सभा में कहने वाले चिराग अब चुनाव बाद नीतीश कुमार को जेल भेजने की बात कर रहे हैं।
चिराग का कहना साफ है कि वह नीतीश कुमार को हराने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी यही चाहती भी है कि नीतीश कमजोर हों, तभी उसे मुख्यमंत्री के पद पर हक़ जताने का मौक़ा मिलेगा।
बिहार चुनाव पर देखिए चर्चा-
नीतीश के लिए मुश्किल हालात
चिराग ने बड़ी मुसीबत इसलिए खड़ी कर दी है क्योंकि वह ख़ुद को मोदी का हनुमान बताते हैं, नीतीश कुमार को नाकारा बताते हैं और हर सीट पर जेडीयू को नुक़सान पहुंचा रहे हैं जबकि बीजेपी को सपोर्ट कर रहे हैं। निश्चित रूप से ये मंजर नीतीश कुमार के लिए मुश्किल भरा है और जिस तरह बीजेपी मोदी की रैलियों का धुआंधार प्रचार कर रही है, उससे बिहार में मोदी को नीतीश से बड़ा चेहरा साबित करने की कोशिश की जा रही है जबकि राज्य में चुनाव मुख्यमंत्री पद के लिए होना है।
राष्ट्रीय जनता दल ने इस पर तंज कसते हुए कहा है कि ‘बिहार में मुख्यमंत्री चुना जाना है प्रधानमंत्री नहीं’।
बिहार में मुख्यमंत्री चुना जाना है प्रधानमंत्री नहीं pic.twitter.com/5LdcXJDqzz
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) October 25, 2020
विज्ञापन में एनडीए की सरकार बनने के बाद बीजेपी के ही सात विकास के बिंदुओं का जिक्र किया गया है। मतलब साफ है कि बीजेपी यह बताना चाहती है कि एनडीए में बड़ी ताक़त वह है या एनडीए का मतलब बीजेपी है। इस बात को शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से बाहर होने के बाद खुलकर कहा है।
निश्चित रूप से बीजेपी के इस विज्ञापन के बाद इन चुनावी चर्चाओं को बल मिलता है कि अगर वह ज़्यादा सीटें झटक लेती है तो कोई शक नहीं कि मुख्यमंत्री पद पर दावा करे या ढाई-ढाई साल वाले फ़ॉर्मूले को लेकर अड़ जाए।
इस विज्ञापन को देखकर ऐसा लगता है कि बिहार में एनडीए का चेहरा सिर्फ़ मोदी हैं और सारा चुनाव उन्हीं के नाम पर लड़ा जा रहा है। ये नीतीश का क़द कम दिखाने की क़वायद नहीं तो और क्या है।
सासाराम, गया और भागलपुर में चुनावी रैलियां कर चुके मोदी 28 अक्टूबर को पटना, दरभंगा और मुज़फ्फरपुर में रैलियां करेंगे। बीजेपी के विज्ञापन के बाद यह कहा जा सकता है कि जेडीयू का चुनाव प्रबंधन संभाल रहे नेताओं को सतर्क होने की ज़रूरत है।