+
2024 की पिच के लिए क्यों महत्वपूर्ण है मध्य प्रदेश चुनाव

2024 की पिच के लिए क्यों महत्वपूर्ण है मध्य प्रदेश चुनाव

मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है। मतदान शुक्रवार 17 नवंबर को होगा। भाजपा और कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की फतह के लिए पूरी ताकत लगा दी है। भाजपा ने केंद्र से लेकर क्षेत्रीय नेताओं की 39 लोगों की फौज यहां प्रचार अभियान में उतार दी। कांग्रेस का चुनाव प्रचार मुख्य रूप से कमलनाथ के अलावा प्रियंका गांधी और राहुल गांधी पर केंद्रित रहा।

मध्य प्रदेश विधानसभा की सभी 230 सीटों पर मतदान शुक्रवार सुबह 7 बजे शुरू होगा। वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 का परिणाम तब घोषित किया जाएगा जब सभी निर्वाचन क्षेत्रों के लिए वोटों की गिनती पूरी हो जाएगी।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जैसे दल भी मैदान में हैं लेकिन इस हिंदी पट्टी में असली मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ महीने पहले हो रहा है। मध्य प्रदेश 543 में से 29 संसद सदस्यों को चुनता है। हालांकि विधानसभा चुनावों ने ऐतिहासिक रूप से लोकसभा चुनावों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित नहीं किया है, लेकिन इससे बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों के बारे में जनता क्या सोचती है, उसकी जानकारी मिल सकती है। हो सकता है कि फिर राजनीतिक दल लोकसभा के लिए उसी हिसाब से अपनी तैयारी की रणनीति बदलें।

हालांकि चुनावी सर्वे में कांग्रेस की स्थिति मध्य प्रदेश में मजबूत बताई गई है। लेकिन सभी सर्वें चंद हजार लोगों पर आधारित रहते हैं और सर्वे कंपनियां माइनस 3 का अंतर रखती हैं ताकि उनकी बात झूठी साबित नहीं हो सके। लेकिन एमपी में किसी न किसी को सर्वे में झूठा साबित होना पड़ेगा। यहां पर सपा, बसपा जैसी पार्टियां कांग्रेस या भाजपा का खेल बिगाड़ने में नाकाम रहेंगी। जनता या तो सरकार विरोधी लहर के तहत कांग्रेस को वोट देगी और अगर वो भाजपा को चुनती है तो उसका श्रेय हर हालत में पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जाएगा। क्योंकि उन दोनों की रणनीति के मुताबिक भाजपा ने सीएम शिवराज सिंह को किनारे कर अपने भरोसेमंद लोगों को एमपी में लड़ने के लिए भेजा है। जिसमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल मुख्य हैं। दोनों ही अगले सीएम पद के दावेदार हैं। इन हालात ने भी कांग्रेस की मदद की है।

2018 में क्या हुआ था

2018 में कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। लेकिन बाद में सरकार ऑपरेशन लोट्स की वजह से गिर गई। बीजेपी ने 109 सीटें जीतीं। राज्य में बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए बीएसपी और एसपी ने कांग्रेस का समर्थन दिया था लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के कारण कमल नाथ सरकार गिर गई। इस बात का जनता में अच्छा या बुरा जो भी संकेत गया होगा, वो भी इस बार की हार-जीत से स्पष्ट हो जाएगा।

 - Satya Hindi

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया

सिंधिया फैक्टर

इस बार इस चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी एक फैक्टर हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने अपनी रैलियों में सिंधिया पर तीखे हमले किए और कांग्रेस ने अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें गद्दार कहा। वो 22 विधायकों के साथ भाजपा में आए थे। लेकिन भाजपा ने उनको मध्य प्रदेश की कमान नहीं सौंपी। बाद में उनके कुछ भरोसमंद लोग वापस कांग्रेस में लौट गए। भाजपा आलाकमान ने उनके कहने से सारे टिकट भी नहीं दिए। तो यह चुनाव सिंधिया की राजनीति के लिए अहम है। शिवराज को भाजपा वैसे भी ठिकाने लगा चुकी है। इसीलिए मध्य प्रदेश का चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए अहम है। कांग्रेस में मामला साफ है। अगर वहां कांग्रेस का बहुमत मिला तो कमलनाथ ही फिर से सीएम बनेंगे।

इन सीटों पर रहेगी नजर

बहरहाल, 2023 में मध्य प्रदेश की जिन प्रमुख सीटों पर चुनाव लड़ा जा रहा है उनमें छिंदवाड़ा, इंदौर-1, बुधनी, नरसिंगपुर, लहार और दतिया शामिल हैं।

 छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का सीधा मुकाबला बीजेपी के विवेक बंटी साहू से है. 2019 के उपचुनाव में कमलनाथ ने विधानसभा सीट जीती थी। 

इंदौर-1: इंदौर-1 विधानसभा सीट पर कांग्रेस के संजय शुक्ला के सामने बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय मैदान में हैं. संजय शुक्ला ने 2018 का चुनाव जीता था लेकिन इससे पहले इस सीट पर भगवा पार्टी का दबदबा था।

बुधनी: मध्य प्रदेश की बुधनी सीट पर बीजेपी ने मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा है। उनके खिलाफ कांग्रेस से विक्रम मस्तल खड़े हैं। यहां से 2008 में भी शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव जीता था।

नरसिंगपुर: ओबीसी आबादी को टारगेट करने के लिए पार्टी ने जालम सिंह पटेल की जगह उनके भाई केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल को नरसिंगपुर से मैदान में उतारा है। नरसिंगपुर में उनके खिलाफ कांग्रेस से लाखन सिंह पटेल चुनाव लड़ रहे हैं।

लहार: 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लहार में जीत हासिल की थी। 2018 के विजेता गोविंद सिंह को फिर से निर्वाचन क्षेत्र में मैदान में उतारा गया है। उनके खिलाफ भगवा पार्टी से अंबरीश शर्मा हैं।

दतिया: 2018 का चुनाव जीतने वाले नरोत्तम मिश्रा दतिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के अवधेश नायक के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

मध्य प्रदेश चुनाव अंतिम दौर में दिलचस्प हो गया। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे का एक तथाकथित स्कैम में नाम आने और कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से भाजपा की स्थिति थोड़ा खराब हुई है। दरअसल, भाजपा और तोमर ने ठीक से आरोपों का जवाब भी नहीं दिया। उन्होंने इसे फर्जी बताकर खारिज कर दिया लेकिन बात इतने से नहीं बनी। अलबत्ता इन वीडियो के सामने आने से छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप का कथित स्कैम ठंडा पड़ गया, जिसमें भाजपा भूपेश बघेल को घेर रही थी। बहरहाल, शुक्रवार को देखते हैं क्या होता है और 3 दिसंबर को साफ तस्वीर क्या आती है।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें