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कोल्हापुर उपचुनाव में जीत-हार के क्या हैं मायने, बीजेपी समझे इशारे

कोल्हापुर उपचुनाव में जीत-हार के क्या हैं मायने, बीजेपी समझे इशारे

महाराष्ट्र की कोल्हापुर (नॉर्थ) विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस की जयश्री जाधव ने जीत दर्ज की है। महाराष्ट्र में केंद्रीय जांच जांच एजेंसी के छापे के बीच आया यह चुनाव नतीजा काफी कुछ संकेत दे रहा है। शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी के तमाम नेताओं ने इस नतीजे का स्वागत किया है। लेकिन यह नतीजा दरअसल बीजेपी के लिए ज्यादा बड़ा संकेत है।

कोल्हापुर (नॉर्थ) उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को हरा दिया। पढ़ने के लिए यह एक सामान्य खबर हो सकती है, लेकिन यह सामान्य खबर नहीं है। महाराष्ट्र में इस समय राजनीतिक के जो रंग-ढंग हैं उसे देखते हुए कांग्रेस के लिए यह जीत महत्वपूर्ण है लेकिन उससे बढ़कर बीजेपी के लिए बहुत बड़ा सबक है। महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी के नेताओं पर जिस तरह केंद्रीय जांच एजेंसियों के जरिए शिकंजा कसा जा रहा था, कोल्हापुर के मतदाताओं ने बता दिया कि वो बीजेपी की इस राजनीति से जरा भी इंप्रेस नहीं हुए हैं।  

2019 में शिवसेना को हराने वाले चंद्रकांत जाधव के निधन के बाद हुए कोल्हापुर उपचुनाव में कांग्रेस ने जयश्री जाधव को मैदान में उतारा। चंद्रकांत जाधव उनके पति थे, जिनका निधन कोरोना से हुआ था।

जयश्री जाधव ने बीजेपी के सत्यजीत (नाना) कदम को 18,000 से अधिक मतों के अंतर से हराकर 54.4% वोट हासिल किए। लोकल राजनीति के हिसाब से ताकतवर माने जाने वाले महादेवराव महादिक के भतीजे कदम को जयश्री जाधव के 94,717 मतों की तुलना में 76,123 मत मिले। इस विधानसभा क्षेत्र में कोल्हापुर शहर के पुराने क्षेत्र शामिल हैं जैसे राजारामपुरी, शाहपुरी, लक्ष्मीपुरी और बावड़ा।कोल्हापुर को लंबे समय से शिवसेना का गढ़ माना जाता है, लेकिन कांग्रेस के चंद्रकांत जाधव ने 2019 में शिवसेना के गढ़ को तोड़ दिया, जब उन्होंने दो बार के विधायक राजेश क्षीरसागर को हराया था। तब तक महाराष्ट्र में कोई गठबंधन नहीं हुआ था।

2019 के आम चुनावों के बाद ही शिवसेना और कांग्रेस ने शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के साथ नया गठबंधन बनाया। उपचुनाव घोषित हुआ तो शिवसेना ने यह सीट मांगी लेकिन कांग्रेस अड़ गई कि यह उसकी परंपरागत सीट है। शिवसेना को यह सीट कांग्रेस के लिए छोड़ना पड़ी।

जयश्री की जीत कैसे हुई

जयश्री जाधव का चुनाव अभियान शुरुआती दौर में प्रभावित हुआ क्योंकि शिवसेना के स्थानीय नेता मदद नहीं कर रहे थे। वे इस बात पर नाराज थे कि शिवसेना इस सीट पर क्यों नहीं लड़ रही है।

बीजेपी ने स्थानीय शिवसैनिकों की नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश की। उन्होंने शिवसेना पर कांग्रेस के साथ गठबंधन को हिंदुत्व विरोधी जैसा आरोप भी लगाया। लेकिन मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कोल्हापुर की जनता को एक वर्चुअल रैली के जरिए संबोधित किया और कहा कि शिवसेना का सारा वोट कांग्रेस की जयश्री जाधव को जाना चाहिए। उन्होंने शिव सैनिकों से कहा कि वे कांग्रेस प्रत्याशी की पूरी मदद करें। 

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उद्धव की वर्चुअल रैली का बहुत असर पड़ा। हालांकि बीजेपी के एक नेता का कहना है कि पार्टी मतदान केंद्रों तक अपने कोर वोटर गुजराती ब्राह्मणों और वैश्य समुदायों के मतदाताओं को पहुंचा नहीं सकी।

महिला वोटर बड़ा फैक्टर

कोल्हापुर के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने स्वीकार किया कि ऐसा लगता है कि महिला मतदाताओं ने जयश्री जाधव को भारी तादाद में वोट दिया, जो इस सीट से विधानसभा के लिए चुने जाने वाली पहली महिला हैं।

बीजेपी अध्यक्ष को झटका

यह नतीजा प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के लिए एक बड़ा झटका है, जो कोल्हापुर के रहने वाले हैं। हालांकि महाराष्ट्र विधानसभा में पुणे के कोथरुड का प्रतिनिधित्व करते हैं। अपने गृह जिले में हार का असर प्रदेश बीजेपी में पाटिल के दबदबे पर पड़ सकता है। प्रदेश अध्यक्ष पाटिल ने पहले ही कहा था कि स्थानीय दबंग नेता महादेवराव महादिक के भतीजे सत्यजीत (नाना) कदम को टिकट देने से बीजेपी कार्यकर्ता नाराज हैं। महादिक अतीत में कई दलों और मोर्चों से अंदर और बाहर आते-जाते रहे हैं, और हाल ही में बीजेपी में आए हैं।

नहीं चला ध्रुवीकरण

कोल्हापुर जिले के प्रभारी मंत्री सतेज पति ने कहा कि इस उपचुनाव में भी बीजेपी ने ध्रुवीकरण की कोशिश की लेकिन उसे नाकामी मिली। उन्होंने कहा कि जयश्री की जीत छत्रपति साहू की धरती कोल्हापुर से समानता का संदेश दे रही है। कोल्हापुर के लोगों ने ध्रुवीकरण की कोशिश को नाकाम कर दिया... बीजेपी को अब यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह भारत के संविधान में विश्वास करती है या नहीं। उसने चुनाव का ध्रुवीकरण करने और दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश की। लेकिन एमवीए कार्यकर्ताओं ने एकजुटता से इसका मुकाबला किया था।

सत्तारूढ़ एमवीए नेता उप-चुनाव की जीत को एमवीए की लोकप्रियता पर एक फैसले के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि बीजेपी चुनाव जीतने और उद्धव ठाकरे की छवि खराब करने के लिए जिस तरह केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है, उससे भी मतदाता नाराज हैं। उन्होंने अपने वोटों के जरिए केंद्र की मोदी सरकार को जवाब दिया है। 

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