अलका लांबा से इस्तीफ़ा क्यों माँगा केजरीवाल ने?
दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी एक बार फिर विवादों में है। इस बार पार्टी का संकट अंदरूनी है। पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधायक अलका लांबा से पार्टी की सदस्यता और सदन से इस्तीफ़ा देने को कहा है। लांबा ने त्यागपत्र तो नहीं दिया है, पर यह ज़रूर कहा है कि वे अपने विचार पर क़ायम हैं और पार्टी जो दंड दे, भुगतने को तैयार हैं। पर यह पूरा बेहद उलझा हुआ है। हमने पूरे मामले की तह तक पहुँचने की कोशिश की है। इसलिए पूरी घटनाक्रम पर एक नज़र डालते हैं।
1. इन नाटक के पहले और सबसे अहम किरदार हैं विधायक सोमनाथ भारती। विवाद की शुरुआत दरअसल उन्हीं से हुई। विधानसभा में एक प्रस्ताव रखा गया था। उसमें 1984 के सिख विरोधी दंगों को 'नरसंहार' कहा गया था और राज्य सरकार से माँग की गई थी कि वह इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से बात करे। ऐसा क़ानून बनाया जाए जिससे दंगों के मामले की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में हो और इसके अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले, उसमें देरी न हो और अभियुक्तों के बच निकलने का कोई रास्ता न हो। सोमनाथ भारती ने प्रस्ताव का समर्थन किया। वे इस पर अपनी बात रखते हुए काफ़ी भावुक हो गए। उन्होंने कह दिया कि राजीव गाँधी ने सिख विरोधी दंगों को उचित ठहराने वाला बयान दिया था। राजीव ने कहा था, 'जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है।' इसलिए राजीव गाँधी को दिया हुआ भारत रत्न वापस ले लिया जाना चाहिए। वे यहीं नहीं रुके। उन्होंने टाइप किए हुए प्रस्ताव पर अपनी कलम से यह एक लाइन जोड़ दी। 2. नाटक के दूसरे पात्र हैं विधायक जरनैल सिंह। उन्होंने कहा कि वे यह प्रस्ताव रखना चाहते हैं क्योंकि वे ख़ुद सिख हैं। उन्होंने यह प्रस्ताव रखा, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
3. विधायक अलका लांबा इस नाटक की तीसरी किरदार हैं। उन्होंने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने साफ़ कहा कि देश के विकास में राजीव गाँधी की बड़ी भूमिका रही है, उन्होंने देश के लिए बहुत काम किया है, लिहाज़ा वे इस तरह के किसी प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकतीं, जिसमें राजीव को दिया गया पुरस्कार वापस लेने की बात कही जा रही हो। इसके बाद वे सदन से बाहर निकल आईं।
आज @DelhiAssembly में प्रस्ताव लाया गया की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी को दिया गया भारत रत्न वापस लिया जाना चाहिये,
— Alka Lamba (@LambaAlka) December 21, 2018
मुझे मेरे भाषण में इसका समर्थन करने को कहा गया,जो मुझे मंजूर नही था,मैंने सदन से वॉक आउट किया।
अब इसकी जो सज़ा मिलेगी,मैं उसके लिये तैयार हूँ। pic.twitter.com/ykZ54XJSAv
4. नाटक के चौथे और अंतिम किरदार हैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल। उन्होने अलका लांबा से कहा कि इन परिस्थतियों में उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और विधानसभा से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। लांबा ने ट्वीट कर इसका जवाब दिया कि पार्टी जो दंड देगी, वे भुगतने को तैयार हैं।
अलका लांबा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की क्या वजह है, यह जानना दिलचस्प है। अलका बीते कुछ दिनों से कुछ मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व से असहमत थीं। उनसे जुड़ी अफ़वाह यह उड़ रही थी कि वे पार्टी से नाराज़ हैं और उनके कांग्रेस में शामिल होने के लिए बातचीत चल रही है। अपने छात्र जीवन में वे कांग्रेस के संगठन नैशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ़ इंडिया से जुड़ी थीं और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी बनी थीं। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर मोतीनगर से पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना के ख़िलाफ़ विधानसभा का चुनाव लड़ा था और हार गई थीं। बाद में जब आम आदमी पार्टी बनी तो वे इसमें शामिल हो गईं। चर्चा तो यहां तक है कि अलका के कांग्रेस में जाने की कोशिशों की भनक पार्टी नेतृत्व को लग गई। उन्होंने अलका का खेल बिगाड़ने के लिए यह बात फैला दी कि उन्होंने प्रस्ताव में राजीव से जुड़ी लाइन के बने रहने पर अड़ी रहीं जबकि अलका इससे साफ़ इनकार करती हैं। उनका कहना है कि वे पार्टी की लाइन से सहमत नहीं थीं और यह बात उन्होंने ट्वीट भी किया था और इसके विरोध में विधानसभा छोड़ कर भी चली गई थीं। बाद में मामले ने इतना तूल पकड़ा कि अरविंद केजरीवाल ने अलका लांबा से इस्तीफ़ा भी माँग लिया और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ने को कहा।
मामला बढ़ते देख दिन में उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यह दावा किया कि पार्टी में किसी ने न तो इस्तीफ़ा दिया है न किसी से इस्तीफ़ा माँगा गया है। लेकिन सच यह है कि अलका से इस्तीफ़ा माँगा गया था और अब पार्टी लीपापोती कर रही है।