भारत में शायद यह पहला वाकया है जब वॉट्सऐप से जासूसी की गई है। पर इसके पहले एक बार ब्रिटेन में भी ऐसा ही हुआ था। लेकिन उस समय जानबूझ कर जासूसी नहीं की गई थी। सुरक्षा चूक की वजह से ग़लती से ऐसा हुआ था।
उस समय फ़ेसबुक ने स्वीकार किया था कि उसकी इंस्टैंट मेसेजिंग ऐप वॉट्सऐप में एक सुरक्षा चूक की वजह से लोगों के मोबाइल फ़ोन में जासूसी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल हो गया था।
ब्रिटेन के अख़बार फ़ाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, यह सॉफ्टवेयर एक इसराइली कंपनी ने विकसित किया था।
इस जासूसी सॉफ्टवेयर को वॉट्सऐप कॉल के ज़रिए लोगों के फ़ोन में इंस्टॉल किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक़, यदि कोई यूज़र कॉल का जबाव नहीं देता है तब भी उसके फ़ोन में ये सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया जा सकता था।
कनाडा के शोधकर्ताओं के मुताबिक़, इस जासूसी सॉफ्टवेयर से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं को निशाना बनाया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक़, फ़ेसबुक के इंजीनियर इस सुरक्षा चूक को ठीक करने में रविवार तक जुटे थे।
फ़ेसबुक ने ग्राहकों से कहा था कि वह नए वर्ज़न को अपडेट कर लें। नए वर्ज़न को गूगल प्ले-स्टोर पर जाकर अपडेट किया जा सकता है।
माना गया था कि इस हमले में बेहद चुनिंदा लोगों को ही निशाना बनाया गया था।
दुनियाभर में 150 करोड़ से अधिक लोग वॉट्सऐप इस्तेमाल करते हैं।
आपके वॉट्सऐप में सेंध लगाने वाला जासूसी सॉफ्टवेयर इसराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने तैयार किया है। इस कंपनी को 'साइबर आर्म्स डीलर' के तौर पर जाना जाता है।
वॉट्सऐप ने स्वीकार किया है कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दो हफ़्ते के लिये भारत में कई पत्रकारों, शिक्षाविदों, वकीलों, मानवाधिकार और दलित कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी गई। फ़ेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप ने कहा है कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूजर्स की निगरानी की थी। जबकि वॉट्सऐप यह दावा करता है कि उसके प्लेटफ़ॉर्म पर जो चैटिंग होती है, वह पूरी तरह इनक्रिप्टेड है यानी चैटिंग कर रहे दो लोगों के सिवा कोई तीसरा शख़्स इसे नहीं पढ़ सकता है।