पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल को नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री को बनाने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पेश करने का फ़ैसला किया है। राज्य के मंत्रिमंडल ने इस पर अपनी सहमति दे दी है।
बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा, 'आज राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री को राज्य द्वारा संचालित सभी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने के प्रस्ताव को अपनी सहमति दे दी है। इस प्रस्ताव को जल्द ही विधानसभा में एक विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा।'
अब यदि यह विधेयक पास हो जाता है और क़ानून बन जाता है तो बंगाल में स्टेट यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति ममता बनर्जी हो जाएँगी। राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच विवाद चलता रहा है। विश्वविद्यालयों से इतर भी अन्य मुद्दों पर सीएम और राज्यपाल के बीच तलवारें तनी रही रही हैं।
अब ममता बनर्जी सरकार के इस ताज़ा क़दम से उनके और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच एक नई लड़ाई की संभावना है।
बंगाल राजभवन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, क़ानूनन राज्यपाल राज्य के 17 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं। उनमें से कुछ कलकत्ता विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय, कल्याणी विश्वविद्यालय, रवींद्र भारती विश्वविद्यालय, विद्यासागर विश्वविद्यालय, बर्दवान विश्वविद्यालय और उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय शामिल हैं।
इस साल जनवरी में धनखड़ ने आरोप लगाया था कि बंगाल में राज्य द्वारा संचालित 25 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को उनकी सहमति के बिना नियुक्त किया गया था।
हालाँकि, ममता बनर्जी सरकार ने दावा किया कि राज्यपाल को सर्च समिति द्वारा चुने गए कुलपतियों के नामों को मंजूरी देनी चाहिए थी, और अगर उन्होंने इनकार कर दिया तो शिक्षा विभाग के पास अपने फ़ैसले पर आगे बढ़ने की शक्ति है।
तमिलनाडु में राज्यपाल से छीन चुका है अधिकार
तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने इसी साल अप्रैल महीने में राज्य के 13 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति करने की शक्ति राज्यपाल से छीन ली है। इसको लेकर डीएमके सरकार ने विधेयक पेश किया था। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने कहा था कि तमिलनाडु राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में आवश्यक संशोधन किये गये हैं और राज्य सरकार ने कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार अपने हाथों में ले लिया है।
तब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा था, 'वाइस चांसलर की नियुक्ति में प्रथा रही है कि गवर्नर उनकी नियुक्ति के समय राज्य सरकार से आवश्यक परामर्श लेते हैं, लेकिन हाल के दिनों में और विशेषकर बीते चार सालों में गवर्नर की ओर से इस मामले में कोई सलाह नहीं ली जा रही थी। गवर्नर उन नियुक्तियों के मामले में ऐसे व्यवहार कर रहे थे मानो वाइस चांसलरों की नियुक्ति में उसके पास विशेषाधिकार है।'
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा था, 'यह राज्य सरकार के अधिकारों और यूनिवर्सिटी की शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा एक गंभीर मसला है।'