गलत काम का समर्थन नहीं, बीजेपी हमारी पार्टी तोड़ नहीं सकतीः ममता

07:34 pm Jul 25, 2022 | सत्य ब्यूरो

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी पर सोमवार को चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा, मैं भ्रष्टाचार या किसी गलत काम का समर्थन नहीं करती। लेकिन मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बीजेपी को गलतफहमी है वह एजेंसियों का इस्तेमाल करके मेरी पार्टी को तोड़ सकती है।

बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को शनिवार को स्कूल नौकरी घोटाले से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जब वह शिक्षा मंत्री थे तब उन पर सरकारी स्कूलों में स्कूली शिक्षकों और कर्मचारियों की कथित रूप से अवैध नियुक्तियों में भूमिका का आरोप लगाया गया था।

पार्थ चटर्जी की एक करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर से करीब 20 करोड़ रुपये कैश मिले थे। टीवी स्क्रीन पर कैश के पहाड़ों की तस्वीरें दिखाई दी थीं। आधी रात के बाद मंत्री को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का कहना है कि अर्पिता मुखर्जी मंत्री के संपर्क में थीं और उनके घर में मिली नकदी "अपराध की आमदनी" थी।

ममता बनर्जी ने कहा, अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो उसे दंडित किया जाना चाहिए, लेकिन मैं अपने खिलाफ किसी भी दुर्भावनापूर्ण अभियान की निंदा करती हूं। सच्चाई सामने आनी चाहिए, लेकिन एक समय सीमा के भीतर।

ममता बनर्जी ने गिरफ्तारी पर पहले एक शब्द भी नहीं कहा था। 70 वर्षीय पार्थ चटर्जी ने गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री को तीन फोन किए, लेकिन तीनों का कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने ममता बनर्जी को अपने "रिश्तेदार / दोस्त को कॉल करने के लिए चुना था, जिसे हिरासत में लिया गया।

सुबह करीब 1.55 बजे गिरफ्तारी के बाद पहली कॉल 2.33 बजे की गई। उन्होंने सुबह 3.37 बजे और 9.35 बजे फिर से फोन किया, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया।

तृणमूल कांग्रेस ने फोन कॉल का खंडन किया था। पार्टी के नेता फिरहाद हाकिम ने कहा कि गिरफ्तार मंत्री द्वारा ममता बनर्जी को फोन करने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि मंत्री का फोन तो ईडी के पास है।

चटर्जी को ईडी की हिरासत में भेजे जाने के तुरंत बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था क्योंकि उन्होंने बेचैनी की शिकायत की थी। ईडी ने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया कि उन्हें कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल से हटा दिया जाना चाहिए, जहां उन्हें एक शक्तिशाली मंत्री के रूप में अपने प्रभाव का दावा करने के लिए जाना जाता था।

कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा उन्हें एम्स भुवनेश्वर ले जाने का आदेश दिया गया। अदालत को बताया गया कि वह फिट है, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है।