मणिपुर में कुकी-ज़ोमी बहुल कांगोकपी जिले की सीमा के करीब भारी गोलीबारी के बीच मैतेई समुदाय के कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और तीन घायल हो गए। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गोलीबारी मंगलवार दोपहर करीब ढाई बजे शुरू हुई और कई घंटों तक चली। इस बीच कुकी जोमी समुदाय के 10 विधायकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि मैतेई कट्टरपंथी समूह राज्य में हालात को खराब कर रहे हैं। हाल ही में इन लोगों ने एक बैठक की थी जो बताता है कि मणिपुर में कानून व्यवस्था खत्म हो चुकी है।
मणिपुर में हिंसा की ताजा घटना चिंताजनक है। इधर कई दिनों से हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी। लेकिन 24 जनवरी के घटनाक्रम ने माहौल में तनाव पैदा कर दिया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कट्टरपंथी मैतेई समूह अरामबाई तेंगगोल और मैतेई विधायकों और सांसदों की 24 जनवरी की “बैठक” हुई। इस बैठक के बाद कुकी जोमी समुदाय के लोग दहशत में हैं।
मंगलवार की घटना में मारे गए दो लोगों की पहचान बिष्णुपुर जिले के 25 वर्षीय मीशनाम खाबा और इंफाल पूर्वी जिले के 33 वर्षीय नोंगथोम्बम माइकल के रूप में की गई। दोनों के शवों को मंगलवार शाम इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया। ये लोग सुदूर के कांगोकपी जिले में क्या करने आए थे, किसी को जानकारी नहीं है।
तीन घायलों में से एक कथित तौर पर भाजपा के पूर्व मणिपुर युवा अध्यक्ष बारिश शर्मा हैं। इस महीने मणिपुर में गोलीबारी की विभिन्न घटनाओं में सीमावर्ती शहर मोरेह में तैनात दो मैतेई पुलिस कर्मियों सहित कम से कम नौ लोग मारे गए हैं।
24 जनवरी की "बैठक" के लिए अरामबाई तेंगगोल ने सभी मैतेई विधायकों और सांसदों को निर्देश जारी किया गया था। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह सहित सभी विधायकों और सांसदों ने इम्फाल के मध्य में कांगला किले की भारी किलेबंदी के बीच परिसर के अंदर और बाहर व्यापक सुरक्षा के बीच इसमें भाग लिया था। कथित तौर पर तीन विधायक भी शामिल हुए थे। इसके बाद अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों ने हमले शुरू कर दिए।
कुकी जोमी विधायकों ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है- “राजधानी इंफाल में अराजकता एक नया कानून बन गया है। अरामबाई तेंगगोल का यह तालिबान जैसा कृत्य मणिपुर घाटी में भारतीय संवैधानिक मशीनरी के पूरी तरह से ध्वस्त होने को दर्शाता है। राज्य सरकार अरामबाई टेंगगोल्स के आदेशों का पालन करने के लिए मजबूर है। स्वतंत्र भारत में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई लोकप्रिय सरकार की मौजूदगी के बावजूद सड़कों पर कब्जे की ऐसी घटनाएं अभूतपूर्व हैं। इसलिए, इस महत्वपूर्ण मोड़ पर एक वैकल्पिक राजनीतिक समाधान की आवश्यकता तत्काल जरूरी है”