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विक्रमादित्य ने इस्तीफा वापस लिया, 'हिमाचल सरकार ख़तरे में नहीं'

विक्रमादित्य ने इस्तीफा वापस लिया, 'हिमाचल सरकार ख़तरे में नहीं'

क्या अब हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार से ख़तरा पूरी तरह टल गया है? जानिए, आख़िर विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफा क्यों वापस लिया।

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर जो ख़तरे का अंदेशा लगाया जा रहा था उसको अब विक्रमादित्य सिंह ने ही खारिज कर दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। उनके बुधवार सुबह इस्तीफ़े के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार के गिरने का अंदेशा जताया जाने लगा था। 

रिपोर्ट है कि शिमला में पार्टी पर्यवेक्षकों भूपिंदर सिंह हुड्डा, भूपेश बघेल और डीके शिवकुमार के साथ बैठक के बाद कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि पर्यवेक्षकों की बातचीत पूरी होने तक वह इस्तीफे के लिए दबाव नहीं डालेंगे। उन्होंने कहा, 'पार्टी के व्यापक हित और एकता के लिए मैंने सुबह इस्तीफा दिया था, जिसे सीएम ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, मैं इस पर और दबाव नहीं डालना चाहूंगा।'

राज्य मंत्री विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफ़े वाले घटनाक्रम से पहले मंगलवार को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, जिससे पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनुसिंघवी हार गए। राज्यसभा सीट पर बीजेपी की यह जीत तब हुई जब कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकती है।

सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के अस्तित्व पर संभावित ख़तरे के बीच विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार सुबह लोक निर्माण मंत्री के पद से अपने इस्तीफे की घोषणा की थी। मंत्री ने सुक्खू पर विधायकों के प्रति 'लापरवाही' बरतने और उनके दिवंगत पिता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का अनादर करने का आरोप लगाया था।

जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या इसका मतलब यह है कि सरकार के लिए खतरा खत्म हो गया है, तो विक्रमादित्य सिंह ने इसको खारिज कर दिया। उन्होंने कहा,

शुरुआत में कोई संकट नहीं था। यह एक क्रिएशन था। अगर लोग मिलकर काम करें और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएँ तो हर चीज का समाधान पाया जा सकता है। हम यहां राज्य के लोगों की सेवा करने के लिए हैं और शासन करना ऐसा करने का तरीका है। सरकार को मजबूत करना और ऐसा करके लोगों की सेवा करना हर किसी की जिम्मेदारी है।


विक्रमादित्य सिंह, कांग्रेस मंत्री

विक्रमादित्य के साथ आए कांग्रेस के हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला ने भी कहा कि सरकार के पास बहुमत है और उसे कोई ख़तरा नहीं है।

सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा पद छोड़ने की पेशकश की खबरों के बाद हिमाचल के मुख्यमंत्री ने कहा था, 'मैंने कोई इस्तीफे की पेशकश नहीं की है। मैं एक योद्धा हूं, लड़ता रहूंगा।' उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी राज्य में पांच साल तक सत्ता में रहेगी। 

इस बीच 2024-25 के लिए बजट और सरकार को समेकित निधि से 6,24,21.73 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए अधिकृत करने वाले विनियोग विधेयक पारित होने के बाद विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। बजट भाजपा सदस्यों की अनुपस्थिति में पारित किया गया क्योंकि उनमें से 15 को निलंबित कर दिया गया था और शेष दस ने विरोध में वाकआउट किया था। राज्यसभा चुनाव नतीजों से उत्पन्न संकट के बीच कार्यवाही निर्धारित समय से एक दिन पहले स्थगित कर दी गई।

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