केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे और लखीमपुर खीरी मामले में हत्या के आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को मिली जमानत ने अपनों को खोने वाले किसानों को बेहद निराश किया है। उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ मामले में विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए आज उन्हें जमानत दे दी। यूपी के चुनावी मौसम में कोर्ट का यह आदेश विवादास्पद हो गया है। यूपी में सत्तारूढ़ बीजेपी सत्ता में दूसरा कार्यकाल पाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। पिछले साल 3 अक्टूबर को आशीष मिश्रा की कार से कुचले गए 19 वर्षीय गुरविंदर सिंह के पिता सुखविंदर सिंह ने कहा, "उसे (आशीष) इतनी जल्दी जमानत मिलना अच्छा संकेत नहीं है। इस सरकार से पहले भी हमें कोई उम्मीद नहीं थी। अब भी हमें कोई उम्मीद नहीं है... अजय मिश्रा टेनी को अभी भी हटाया नहीं गया है।"
बता दें कि किसानों की भारी मांग के बावजूद सरकार ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री को यह कहते हुए नहीं हटाया कि मामले की जांच की जा रही है। सुखविंदर सिंह ने कहा, "मोदी जी वहां बैठते हैं और एक के बाद एक जुमला (राजनीतिक वादे) देते हैं। लेकिन वह अपने ही मंत्री को नहीं हटा सकते हैं।" कल एक इंटरव्यू में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी थी। उन्होंने कहा था, 'राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जो कमेटी चाहिए थी, सुप्रीम कोर्ट जिस जज से जांच चाहते थे, उसके लिए अपनी सहमति दे दी थी। मोदी ने कहा था-
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यूपी सरकार इस मामले में पारदर्शी तरीके से काम कर रही है।
-पीएम मोदी, लखीमपुर खीरी की घटना पर
पत्रकार रमन कश्यप के भाई अमन कश्यप, जिनकी हत्या चार किसानों के साथ की गई थी, ने हालांकि कहा, "हम लड़ाई जारी रखेंगे... सिर्फ इसलिए कि उन्हें जमानत मिल गई है, इसका मतलब यह नहीं है कि मामला खत्म हो गया है।"
उन्होंने कहा, शायद उन लोगों (मिश्रा) लग रहा है कि अगर सरकार बदलती है, तो वे यह सब नहीं कर पाएंगे जो वे अभी कर रहे हैं। अमन कश्यप ने कहा -
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ये लोग राज्य और केंद्र में सत्ता में हैं। इसलिए ऐसा हुआ है। लेकिन लोग उन्हें जवाब देंगे।
-अमन कश्यप, इस घटना में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई
पिछले साल 3 अक्टूबर को, आशीष मिश्रा कथित तौर पर उस एसयूवी के अंदर थे, जिससे लखीमपुर खीरी में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे चार किसानों को रौंद कर मार डाला गया था। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के कुछ दिनों बाद मंत्री पुत्र को गिरफ्तार कर लिया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज अपने जमानत आदेश में प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग समेत उनके खिलाफ लगे कुछ आरोपों पर सवाल उठाया। अदालत ने कहा, "मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को पूरी तरह से देखते हुए, यह स्पष्ट है कि एफआईआर के अनुसार, प्रदर्शनकारियों की हत्या के लिए आवेदक (आशीष मिश्रा) को फायरिंग की भूमिका सौंपी गई थी, लेकिन जांच के दौरान, ऐसे हथियार की कोई चोट नहीं आई जो किसी मृतक के शरीर पर या किसी घायल व्यक्ति के शरीर पर पाए गए हों।"
हाईकोर्ट ने कहा कि आशीष मिश्रा पर एसयूवी ड्राइवर को किसानों को कुचलने के लिए उकसाने का आरोप है। कोर्ट ने कहा,"अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आवेदक (आशीष मिश्रा) ने प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए वाहन के चालक को उकसाया, हालांकि, वाहन में सवार दो अन्य लोगों के साथ चालक को प्रदर्शनकारियों ने मार डाला।" इस संदर्भ में, अदालत ने कहा कि वह "प्रदर्शनकारियों द्वारा मारे गए ड्राइवर सहित थार एसयूवी में तीन लोगों की हत्या के लिए अपनी आँखें बंद नहीं कर सकती।" बता दें कि कई किसानों पर हत्या का आरोप लगाते हुए इस मामले में दूसरा आरोप पत्र पुलिस ने दायर किया है।