विहिप को मंदिर नहीं बनवाना है, मक़सद तो हवा बनाना है
अयोध्या एक बार फिर सुर्खियों में है और पूरे देश का ध्यान इसी ओर है। भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी संगठनों ने 25 नवंबर को राम की इस नगरी में बड़े कार्यक्रम का आयोजन रखा है। इसमें लगभग दो लाख लोगों की शिरकत करने की संभावना है। पूरी कोशिश ऐसे ध्रुवीकरण की है कि विवादित जगह पर राम मंदिर बनवाने का समर्थन करने वाले एकजुट हो जाएं। इस ध्रुवीकरण के पीछे सोच यह है कि राम मंदिर के नाम पर अधिक से अधिक लोग भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी संगठनों के साथ खड़े हों और इसका सियासी फ़ायदा आम चुनावों में उठाया जा सके।
गाँव-गाँव पहुँचने की कोशिश
ध्रुवीकरण की इस मुहिम के तहत ही साल 1992 जैसा माहौल बनाने के बारे में सोचा जा रहा है। सभी हिन्दुओं तक पहुँचने के मक़सद से हल्दी-चावल का न्योता गाँव-गाँव भेजा गया है। हिन्दुओं को लामबंद करने के लिए ही 525 लोकसभा क्षेत्रों में धर्मसभाएं और पाँच हज़ार जगहों पर प्रार्थनासभाएं करने की योजना बनाई गई है। सबसे अंत में दिसंबर में बड़ी रैली की योजना भी है।
विहिप, आरएसएस और बीजेपी की मुहिम धीरे-धीरे रंग ला रही है। विहिप से जुड़े साधु-संत भी सरकार पर दबाव डालने की बात करने लगे हैं। यह माँग भी होने लगी है कि सरकार राम मंदिर-बाबरी मसजिद की विवादित ज़मीन का अधिग्रहण करने के लिए अध्यादेश लाए या लोकसभा में बिल पेश करे।
बीजेपी सांसद लाएंगे बिल
बीजेपी के ही राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने ऐलान कर दिया कि वे संसद में इससे जुड़ा निजी बिल रखेंगे। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को इसका समर्थन करने की चुनौती भी दी है।'अध्यादेश की गुंजाइश नहीं'
बीजेपी जब विपक्ष में थी तो वह कांग्रेस सरकार से यही माँग करती थी। उसका कहना था कि सरकार राम मंदिर बनवाने के लिए क़ानून संसद से बनवाए। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री फ़िलहाल चुप हैं। शायद वे यह जानते हैं कि यह मुमकिन नहीं है। आरएसएस के प्रचारक रहे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। उन्होंने कह दिया है कि ऐसा नहीं हो सकता। खट्टर ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘यदि सरकार अध्यादेश लाएगी तो समझा जाएगा कि शासन अपनी बात समाज के किसी वर्ग पर थोप रही है, लिहाज़ा अध्यादेश की गुंजाइश नहीं है।’'कितना समय लगेगा क़ानून बनाने में?'
पर ख़ुद को बीजेपी से बड़ा हिन्दूवादी साबित करने की कोशिश लगी लगी शिवसेना यह नहीं मानती है। उसके सांसद संजय राउत ने निहायत ही आक्रामक तरीक़े से कहा कि यदि मसजिद 17 मिनट में गिरा दी गई तो क़ानून बनाने में कितना समय लगेगा। वे धमकाने के अंदाज़ में कहते हैं कि जो सांसद इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे, समाज में उनका चलना-फिरना मुश्किल हो जाएगा। शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे भी अयोध्या में बड़ा कार्यक्रम कर रहे हैं। वे साधु-संतों से मिलेंगे, सरयू की आरती और राम लला के दर्शन करेंगे। शिव सेना ने सरकार को घेर लिया है कि ये राम मंदिर का सिर्फ़ सियासी इस्तेमाल करते हैं, मंदिर कभी नहीं बनवाएँगे।
ध्रुवीकरण का आलम यह है कि कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल राम मंदिर के मुद्दे पर सँभल कर बोल रहे हैं। आम चुनाव के पहले अदालत के फ़ैसले की संभावना निहायत ही कम है। लेकिन बीजेपी को चुनाव में राम मंदिर को एक बड़ा मुद्दा बनाना है। लिहाज़ा उसने जनभावना उभारने की रणनीति अपनाई है।
बीजेपी ध्रुवीकरण की इस मुहिम के तहत एक नया मोर्चा भी खोल रही है। बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा है कि दिल्ली की जामा मसजिद भी हिन्दू मंदिर तोड़ कर ही बनवाई गई थी। उनका दावा है कि उसे गिराया जाए तो उसके नीचे से मूर्तियाँ निकलेंगी। उन्होंने इस दावे पर ज़ोर देने के लिए कहा कि यदि उनका दावा ग़लत साबित हो जाए तो उन्हें फाँसी पर लटका दिया जाए।
साक्षी महाराज अपने विवादित बोल की वजह से कई बार चर्चा में रह चुके हैं। यह कहना मुश्किल है कि उनके इस बयान को पार्टी का समर्थन हासिल है या नहीं। पर पार्टी ने इसका खंडन नहीं किया है न ही किसी ने साक्षी महाराज को इस पर सफ़ाई देने को कहा है।
साफ़ है कि मामला राम मंदिर का नहीं, उसके नाम पर ध्रुवीकरण का है। कोशिश यह है कि हिन्दुओं की भावना उभार कर उन्हें एकजुट किया जाए और उनके वोट के बल पर अगला चुनाव लड़ा जाए।