वरुण गांधीः भाजपा ने टिकट काटा तो कांग्रेस से ऑफर...क्या होगा अगला कदम
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी को पीलीभीत सीट पर लोकसभा टिकट से वंचित किए जाने के बाद सबसे पुरानी पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। पीलीभीत में बुधवार को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है। वरुण गांधी को जो फैसला लेना होगा, वो मंगलवार रात या बुधवार सुबह तक ले सकते हैं।
हालांकि वरुण ने कथित तौर पर अपने सहयोगियों से कहा कि भाजपा द्वारा आगामी आम चुनावों के लिए निर्वाचन क्षेत्र से उनकी जगह पूर्व कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद वह "ठगा हुआ" महसूस कर रहे हैं।इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बीजेपी के अपमान के कारण वरुण गांधी शायद चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि 44 वर्षीय नेता अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए हाई-प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्र में भी नहीं आएंगे। लेकिन इसी के साथ उनके कांग्रेस या सपा में जाने की भी चर्चा है। कांग्रेस ने खुलकर उन्हें पेशकश भी कर दी है।
वरुण को कांग्रेस का ऑफर देते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा- “वह (वरुण गांधी) एक साफ छवि वाले मजबूत नेता हैं और उनका गांधी परिवार से संबंध है। यही कारण है कि भाजपा ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया। मुझे लगता है कि उन्हें कांग्रेस में शामिल होना चाहिए। हमें बहुत खुशी होगी।''
सूत्रों ने बताया कि वरुण गांधी ने हाल ही में अपने सहयोगियों के जरिए नामांकन पत्र के चार सेट खरीदे हैं। उन्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रचार के लिए पीलीभीत के हर गांव में 2 वाहन और 10 मोटरसाइकिलें तैयार रखने के लिए कहा गया था। वरुण गांधी बुधवार यानी 27 मार्च को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं। आगामी लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 27 मार्च है।
इस महीने की शुरुआत में ऐसी खबरें आ रही थीं कि अगर बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए वरुण गांधी को टिकट नहीं देती है तो वह एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस बात पर कोई निर्णायक जवाब नहीं दिया कि उनकी पार्टी वरुण गांधी को टिकट देगी या नहीं। यादव ने उस समय संवाददाताओं से कहा, "मुझे नहीं पता कि किसे टिकट मिल रहा है और कौन दूसरी पार्टी में नहीं है। हमारी पार्टी तय करेगी कि वरुण गांधी को टिकट दिया जाए या नहीं।"
पार्टी के आलोचकः भाजपा के तमाम सांसद खुलकर अपनी बात नहीं कह पाते, वहीं वरुण अपनी पार्टी की आलोचना से भी नहीं चूके।वरुण गांधी ने कई मौकों पर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए, वरुण गांधी ने पिछले साल एक कार्यक्रम में कहा था कि पास खड़े एक साधु को परेशान न करें क्योंकि कोई नहीं जानता कि 'महाराज जी' कब मुख्यमंत्री बनेंगे। वरुण ने कहा था- "कृपया उन्हें मत रोकिए, पता नहीं कब 'महाराज जी' सीएम बन जाएं। फिर हमारा क्या होगा?"
पिछले साल सितंबर में एक मरीज की मौत के बाद अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित किए जाने पर भी गांधी ने उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने एक्स पर ट्वीट किया- "किसी नाम के खिलाफ नाराजगी से लोगों का काम खराब नहीं होना चाहिए।" 2021 में, भाजपा ने लखीमपुर खीरी हिंसा पर अपने ट्वीट के लिए वरुण और मेनका गांधी को 80 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया। दोनों ने खुलकर किसान आंदोलन का समर्थन किया था।
पिछले साल राहुल गांधी से पूछा गया था कि क्या उनके चचेरे भाई वरुण कांग्रेस में लौटेंगे, तो राहुल ने कहा था कि उनकी विचारधाराएं आपस में मेल नहीं खाती हैं। राहुल ने कहा था- “उन्होंने (वरुण गांधी) उस विचारधारा (आरएसएस की विचारधारा) को स्वीकार किया और उसे अपना बना लिया। मैं उस विचारधारा को कभी स्वीकार नहीं कर सकता। मैं उनसे मिल जरूर सकता हूं, उन्हें गले लगा सकता हूं, लेकिन उस विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता। असंभव है।''