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गुजरात: मुस्लिम महिला को सीएम योजना में फ्लैट मिला, पड़ोसी वहाँ रहने नहीं दे रहे

गुजरात: मुस्लिम महिला को सीएम योजना में फ्लैट मिला, पड़ोसी वहाँ रहने नहीं दे रहे

क्या धर्म के आधार पर किसी को आवासीय क्षेत्र में रहने या नहीं रहने देने का विरोध किया जा सकता है? जानिए, आख़िर गुजरात के वडोदरा में मुख्यमंत्री आवास योजना तहत मिले फ्लैट में मुस्लिम महिला को रहने देने का विरोध क्यों हो रहा है।

'सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास' का नारा देने वाली बीजेपी के शासित गुजरात और प्रधानमंत्री के गृह राज्य में एक मुस्लिम महिला को अपने घर में भी नहीं रहने नहीं दिया जा रहा है! वहज बस इतनी है कि जिस आवासीय योजना में उस मुस्लिम महिला को फ्लैट मिला है उसमें बाक़ी सभी हिंदू हैं। उस आवासीय कॉम्प्लेक्स में रहने वाले 33 निवासी मुस्लिम महिला के वहाँ रहने का विरोध कर रहे हैं। 

वह मुस्लिम महिला चाहती हैं कि उनका बेटा एक समुदाय के बीच में पल-बढ़कर एकांगी नहीं बने, बल्कि समुदायों के बीच समावेशी माहौल में पले-बढ़े। लेकिन उस आवासीय कॉम्प्लेक्स के लोगों को यह पसंद नहीं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 44 वर्षीय मुस्लिम महिला उद्यमिता और कौशल विकास मंत्रालय की एक शाखा में कार्यरत हैं। उनको 2017 में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत हरनी में वडोदरा नगर निगम के निम्न-आय समूह आवास परिसर में एक फ्लैट आवंटित किया गया था। वह अपने नाबालिग बेटे के साथ एक समावेशी पड़ोस में जाने की संभावना से बहुत खुश थीं। लेकिन उनको वहाँ रहने का मौक़ा अभी तक नहीं मिला।

अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम महिला के वहाँ जाने से पहले ही, 462 यूनिट वाले आवास परिसर के 33 निवासियों ने जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारियों को एक लिखित शिकायत भेज दी। इसमें उन्होंने एक मुस्लिम के वहाँ रहने पर आपत्ति जताई, उनकी उपस्थिति के कारण संभावित खतरे और उपद्रव का हवाला दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि वह परिसर में एकमात्र मुस्लिम आवंटी हैं।

रिपोर्ट के अनुसार महिला का कहना है कि विरोध प्रदर्शन सबसे पहले 2020 में शुरू हुआ था, जब निवासियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर उनके घर के आवंटन को अमान्य करने की मांग की थी। इसी मुद्दे पर हालिया विरोध प्रदर्शन 10 जून को हुआ था।

उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'मैं वडोदरा के एक अलग-अलग समुदाय से घुले-मिले इलाके में पली-बढ़ी हूं और मेरे परिवार ने कभी भी समुदाय विशेष की बस्ती की अवधारणा पर विश्वास नहीं किया। मैं हमेशा चाहती थी कि मेरा बेटा एक समावेशी इलाके में बड़ा हो, लेकिन मेरे सपने टूट गए हैं क्योंकि लगभग छह साल हो गए हैं और मेरे सामने जो विरोध है उसका कोई समाधान नहीं है। मेरा बेटा अब कक्षा 12 में है और वह यह समझ सकता है कि क्या हो रहा है। भेदभाव उसे मानसिक रूप से प्रभावित करेगा।' 

रिपोर्ट के अनुसार मोटनाथ रेजीडेंसी कोऑपरेटिव हाउसिंग सर्विसेज सोसाइटी लिमिटेड द्वारा ज्ञापन में कहा गया है, 'वीएमसी ने मार्च 2019 में एक अल्पसंख्यक लाभार्थी को मकान नंबर K204 आवंटित किया है। हमारा मानना ​​है कि हरनी इलाका हिंदू बहुल शांतिपूर्ण इलाका है और लगभग चार किलोमीटर की परिधि में मुसलमानों की कोई बस्ती नहीं है। यह 461 परिवारों के शांतिपूर्ण जीवन में आग लगाने जैसा है।' 

कॉलोनी के निवासियों का कहना है कि अगर मुस्लिम परिवारों को रहने की अनुमति दी गई तो कानून-व्यवस्था का संकट पैदा हो सकता है। शिकायत पर हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक ने कहा, 'यह वीएमसी की गलती है कि उन्होंने आवंटियों की साख की जांच नहीं की है। यह आम सहमति है कि हम सभी ने इस कॉलोनी में घर इसलिए बुक किए हैं क्योंकि हिंदू पड़ोसी होंगे और हम नहीं चाहेंगे कि अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग हमारी कॉलोनी में रहें। यह दोनों पक्षों की सुविधा के लिए है।'

हालाँकि, कॉलोनी के एक अन्य निवासी ने लाभार्थी के साथ एकजुटता दिखाई। उन्होंने कहा, 'यह अनुचित है क्योंकि वह एक सरकारी योजना की लाभार्थी हैं और उन्हें कानूनी प्रावधानों के अनुसार फ्लैट आवंटित किया गया है। निवासियों की चिंताएँ वैध हो सकती हैं लेकिन हम उनसे बातचीत किए बिना ही उनको जज कर रहे हैं।' 

वीएमसी के आवास विभाग के अधिकारियों ने अंग्रेजी अख़बार को बताया कि चूंकि सरकारी योजनाओं में आवेदकों और लाभार्थियों को धर्म के आधार पर अलग नहीं किया जाता है, इसलिए आवास ड्रॉ मानदंडों के अनुसार आयोजित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार वडोदरा नगर आयुक्त दिलीप राणा टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। उप नगर आयुक्त अर्पित सागर और किफायती आवास के कार्यकारी अभियंता नीलेशकुमार परमार ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

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