क्यों धार्मिक और सामरिक लिहाज से अहम है जोशीमठ?

03:43 pm Jan 07, 2023 | सत्य ब्यूरो

उत्तराखंड का जोशीमठ शहर इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है क्योंकि यहां के लगभग 600 घरों में दरारें आ चुकी हैं। इस वजह से प्रभावित लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा गया है। यह जानना जरूरी होगा कि जोशीमठ क्यों अहम है और इसका धार्मिक और सामरिक महत्व क्या है। 

जोशीमठ चीन से लगने वाली भारत की सीमा के चमोली जिले में स्थित है। यहां बद्रीनाथ धाम है जहां देशभर से हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। जोशीमठ उन चार धार्मिक मठों में से एक है जिनकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। तीन अन्य धार्मिक मठ- द्वारका, पुरी और श्रृंगेरी के हैं। जोशीमठ का पुराना नाम ज्योर्तिमठ है। 

कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने किशोरावस्था में कल्पवृक्ष के नीचे तप किया था और इसके बाद देश के चारों कोनों में चार मठों की स्थापना की थी और तब जोशीमठ को ज्योर्तिमठ नाम दिया गया था। बाद में यह जोशीमठ के नाम से प्रचलित हुआ। 

भगवान नरसिम्हा का मंदिर 

जोशीमठ में कई अन्य प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। यहां भगवान नरसिम्हा का मंदिर है जिनके बारे में माना जाता है कि वह भगवान विष्णु के अवतार हैं। यहां कल्पवृक्ष भी है जिसके बारे में यह मान्यता है कि यहां 1200 साल पुराना पेड़ है। 

चार धामों- केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में से बद्रीनाथ जाने वाले पर्यटक और श्रद्धालु जोशीमठ में रुकते हैं। 

इसके साथ ही सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब तक जाने वाली यात्रा का मुख्य पड़ाव भी जोशीमठ है। दुनिया भर में प्रसिद्ध वैली ऑफ फ्लावर और स्कीइंग स्थल औली का रास्ता भी जोशीमठ से होकर जाता है। 

जोशीमठ का सामरिक महत्व भी है। चीन सीमा से लगने वाले नीति व माणा घाटी के लिए भारतीय सेना व आइटीबीपी के तमाम जवान जोशीमठ से होकर जाते हैं। 

कहा जाता है कि जोशीमठ का उल्लेख स्कंद पुराण के केदारखंड समेत विष्णु पुराण और शिव पुराण में भी हुआ है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, वर्तमान में केदारनाथ धाम बद्रीनाथ धाम के साथ गायब हो जाएगा और जोशीमठ के भविष्य केदार मंदिर में फिर से प्रकट होगा। इस मंदिर में एक छोटा सा शिवलिंग है। जोशीमठ से तपोवन 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां जमीन से गर्म पानी निकलता है। 

भारत की आजादी के बाद सेना के बेस कैंप के रूप में जोशीमठ का तेजी से विकास किया गया। जोशीमठ से होकर ही लार्ड कर्जन ट्रैक, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क, चेनाप घाटी का रास्ता भी जाता है।

निश्चित रूप से जोशीमठ धार्मिक व सामरिक लिहाज से अहम है, इसलिए साल भर बड़ी संख्या में पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आना-जाना यहां लगा रहता है और इसीलिए राज्य और केंद्र सरकार को इस शहर पर ध्यान देना चाहिए।  

600 परिवारों को हटाने का आदेश 

इस बीच, जोशीमठ में लगातार खराब हो रहे हालात को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने 600 परिवारों को वहां से तुरंत हटाने का आदेश दिया है। इन सभी लोगों के घरों में चौड़ी दरारें आ चुकी हैं और उनका जीवन खतरे में है। हालात की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को जोशीमठ पहुंचे और उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। धामी ने कहा कि सरकार की पहली कोशिश लोगों को बचाने की है और सभी प्रभावित लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाएगा। 

बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग में भी दरारें

केवल घरों में ही नहीं बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 58 में भी चौड़ी दरारें आ चुकी हैं और यह धंस गया है। निश्चित रूप से यह किसी बड़े खतरे का संकेत है क्योंकि इस रास्ते से बद्रीनाथ धाम से लेकर भारत-चीन सीमा के अंतिम गांव तक लोग जाते हैं।