उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को सभी पदों से हटा दिया है। किशोर उपाध्याय के बीजेपी में जाने की चर्चाएं बीते 3 महीनों से उत्तराखंड की सियासत में तैर रही हैं। उपाध्याय पर कार्रवाई से यह भी पता चलता है कि कांग्रेस के अंदर राज्य में सब कुछ ठीक नहीं है।
उपाध्याय की कुछ दिन पहले बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय कुमार से मुलाकात हुई थी। इसके बाद उनकी बीजेपी में जाने की चर्चा और तेज हो गई थी।
उपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई का आदेश उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रभारी देवेंद्र यादव ने जारी किया है।
देवेंद्र यादव ने अपने पत्र में कहा है कि उत्तराखंड के लोग बदलाव की ओर देख रहे हैं और बीजेपी की सरकार को हटाना चाहते हैं। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उपाध्याय बीजेपी और दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मेल-मुलाकात कर रहे हैं और ऐसा करके बीजेपी के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं।
यादव ने कहा है कि कई बार व्यक्तिगत रूप से चेतावनी देने के बाद भी आप की पार्टी विरोधी गतिविधियां जारी हैं। इसलिए आपको पार्टी के सभी पदों से हटाया जाता है।
रावत के करीबी थे उपाध्याय
किशोर उपाध्याय के बारे में बताना होगा कि एक वक्त में वह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेहद करीबी थे। रावत की सिफारिश पर ही उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
किशोर उपाध्याय पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे और तभी से उनका राजनीतिक करियर डांवाडोल हो गया था। उपाध्याय ने नाराजगी व्यक्त की थी कि उन्हें कांग्रेस में नजरअंदाज किया जा रहा है। उपाध्याय की कुछ दिन पहले हरीश रावत के साथ जुबानी जंग भी हुई थी।
जोरदार चुनावी मुकाबले के आसार
एबीपी न्यूज़ सी वोटर का सर्वे बताता है कि उत्तराखंड में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार चुनावी मुकाबला है। ऐसे में कांग्रेस किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतना चाहती और उसने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई करके यह संकेत दिया है कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर कड़ी कार्रवाई करेगी।
अगर किशोर उपाध्याय बीजेपी में जाते हैं तो पार्टी उन्हें टिहरी से चुनाव मैदान में उतार सकती है। उपाध्याय के पास प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति के अध्यक्ष की जैसी अहम जिम्मेदारी थी।