जोशीमठ हाइवे पर दरारें, पूरी हो पाएगी चारधाम यात्रा? 

12:29 pm Feb 20, 2023 | सत्य ब्यूरो

बद्रीनाथ हाइवे पर लगभग 10 और बड़ी दरारें पाए जाने की सूचना प्राप्त हुई। बद्रीनाथ जाने के लिए के इसी हाइवे का प्रयोग किया जाता है। स्थानीय लोगों के अऩुसार जोशीमठ और मारवाड़ी के बीच करीब 10 किलोमीटर के दायरे में यह दरारें दिखाई दी हैं।

बता दें कि केदारनाथ की यात्रा 25 अप्रैल से शुरु हो रही है जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे। इसकी घोषणा सरकार ने शनिवार को ही की थी। हाइवे पर उभर रही दरारों के कारण इस यात्रा पर लगातार संकट बना हुआ है। नई दरारों के उभरने से यह और बढ़ गया है।  

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति (जेबीएसएस) के सदस्य संजय उनियाल ने बताया कि जोशीमठ के पास बद्रीनाथ राजमार्ग पर कम से कम 10 स्थानों पर नई दरारें हैं। राज्य सरकार के दावों के उलट पुरानी दरारें चौड़ी हो रही हैं, साथ ही नई दरारें भी आ रही हैं।'

स्थानीय निवासियों के अनुसार पुल हाइवे पर उभरी नई दरारों में एसबीआई ब्रांच, रेलवे गेस्ट हाउस, जेपी कॉलोनी के आगे और मारवाड़ी पुल की दरारें प्रमुख हैं। भूस्खलन प्रभावित पहाड़ी शहर के रविग्राम नगरपालिका वार्ड में 'जीरो बेंड' के पास राजमार्ग का एक छोटा सा हिस्सा भी धंस गया। पहले उभरी दरारों को सीमा सड़क संगठन द्वारा सीमेंट भरकर पाट दिया गया था।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार एक वरिष्ठ भूवैज्ञानिक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'जिन जगहों पर दरारें दिखाई दी हैं, उनकी विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से जांच की जानी चाहिए, जिससे यह पता लगाया जा सके कि समस्या कहां है। इसके उलट चमोली के जिलाअधिकारी हिमांशु खुराना ने मीडिया को बताया है कि टीम दरारों की जांच कर रही है, और यह चिंता का कारण नहीं है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के जेबीएसएस के संयोजक अतुल सती का कहना है कि नई उभरी दरारें चिंता का कारण हैं। अतुल कहते हैं कि बद्रीनाथ हाइवे पहले से ही धंसाव का सामना कर रहा है। हम नहीं जानते कि चार धाम यात्रा जब अपने चरम पर होगी तब क्या होगा। बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे, जबकि केदारनाथ की यात्रा 25 अप्रैल से शुरू होगी, इसकी घोषणा सरकार ने शनिवार को ही की थी।

पिछले महीने जनवरी में जोशीमठ के कई घरों में दरारें उभर आई थीं, जिसके कारण जोशी मठ के लोगों को उनके घरों से हटाकर अस्थाई तौर पर दूसरी जगहों पर रहने की व्यवस्था की गई थी।