उत्तराखंड में चुनाव नतीजे आने से ठीक पहले बीजेपी और कांग्रेस अलर्ट मोड में आ गई हैं। दोनों ही राजनीतिक दलों ने अपने विधायकों को ‘सुरक्षित’ करने के लिए वरिष्ठ नेताओं की ड्यूटी लगा दी है। क्योंकि एग्जिट पोल के नतीजे इस बात को कह रहे हैं कि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा भी बन सकती है। हालांकि कुछ एग्जिट पोल में बीजेपी को तो कुछ एग्जिट पोल में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने की बात कही गई है।
बीजेपी ने अपने राष्ट्रीय महासचिव और चुनाव रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय को देहरादून में तैनात किया है जहां वह राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित तमाम बड़े नेताओं से लगातार मुलाकात कर रहे हैं।
हालांकि बीजेपी को उम्मीद है कि वह सरकार बनाने लायक 36 विधायक जुटा लेगी लेकिन अगर कुछ विधायक कम पड़े तो पार्टी की अगली रणनीति क्या होगी इसे लेकर वरिष्ठ नेता रायशुमारी कर रहे हैं।
कैलाश विजयवर्गीय के अलावा केंद्रीय मंत्री और पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम भी लगातार सियासी हालात पर नजर रख रहे हैं।
बीजेपी को डर है कि इस बार भितरघात के कारण उसे राज्य में नुकसान हो सकता है। चुनाव के बाद कई विधायकों ने कहा था कि उनके साथ भितरघात हुआ है। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व लगातार इस बात पर नजर रख रहा है कि अगर सरकार बनाने के लिए कुछ सीटों की जरूरत हुई तो किस तरह आगे बढ़ा जा सकता है।
शिफ्ट किए जाएंगे विधायक
दूसरी ओर, कांग्रेस को इस बात का डर है कि बीजेपी एक बार फिर उसके विधायकों को तोड़ सकती है। इसलिए कांग्रेस तैयारी में जुटी है। कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मुलाकात में इस बात पर चर्चा हुई है और विधायकों को इन राज्यों में शिफ्ट किए जाने की तैयारी है।
कांग्रेस ने राज्य के 13 जिलों में 13 पर्यवेक्षक नामित किए हैं। इसमें हरियाणा के सांसद दीपेंद्र हुड्डा व वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश भी शामिल हैं। कांग्रेस इस बात पर नजर रख रही है कि बीजेपी उसके विधायकों में किसी तरह की तोड़फोड़ ना कर सके।
साल 2000 में बने उत्तराखंड का यह पांचवा विधानसभा चुनाव है और अब तक यहां हर बार सरकार बदलती रही है। इसलिए यह सवाल चुनाव प्रचार के दौरान उठ रहा था कि क्या इस बार भी सत्ता परिवर्तन होगा।
2012 के नतीजे
यहां 2012 के विधानसभा चुनाव के नतीजों का जिक्र करना बेहद जरूरी है। 2012 में कांग्रेस को 32 सीटों पर जीत मिली थी जबकि बीजेपी को 31 सीटों पर जीत मिली थी। 70 सीटों वाले उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए 36 विधायक चाहिए। ऐसे में कांग्रेस ने बीएसपी, यूकेडी और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार चलाई थी और यह सरकार पूरे 5 साल चली थी।