उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी हार के बाद भी कांग्रेस के नेता गुटबाजी से बाज आने को तैयार नहीं हैं। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष के पदों पर की गई नियुक्ति के खिलाफ कांग्रेस के कई विधायकों ने नाराजगी जताई है।
कहा जा रहा है कि कुछ विधायक बगावत भी कर सकते हैं।
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के पीछे कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी को ही वजह माना गया था। नई नियुक्तियों के बाद पैदा हुई नाराजगी का मामला हाईकमान तक भी पहुंच गया है।
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांचों चुनावी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का इस्तीफा ले लिया था। उत्तराखंड में चुनाव से कुछ महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए गणेश गोदियाल की जगह अब करण माहरा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। माहरा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साले हैं और इस विधानसभा चुनाव में रानीखेत की सीट से चुनाव हारे हैं।
उत्तराखंड में कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के संतुलन का ध्यान भी नई नियुक्तियों में नहीं रखा गया है। तीनों ही बड़े पदों पर हाईकमान ने कुमाऊं के नेताओं की नियुक्ति कर दी है और इससे गढ़वाल मंडल के कई नेता खासे नाराज हैं।
नेता प्रतिपक्ष के चयन पर नाराज़गी
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 19 विधायक जीत कर आए हैं और इसमें से कई विधायक इन नई नियुक्तियों से नाराज होकर एक अहम बैठक करने वाले हैं। ऐसा लगभग तय था कि प्रदेश अध्यक्ष का पद कुमाऊं के खाते में गया तो नेता प्रतिपक्ष का पद गढ़वाल मंडल को मिलेगा। नेता प्रतिपक्ष के पद पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की नियुक्ति लगभग तय मानी जा रही थी।
लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता रहे और 2017 में बीजेपी में जाने वाले और 2022 के चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस में वापसी करने वाले यशपाल आर्य को यह पद दिया गया है। ज्यादातर विधायकों की नाराजगी इसी बात को लेकर बताई जा रही है कि 5 साल बीजेपी में रहकर आए नेता को इतना बड़ा पद क्यों दे दिया गया।
गढ़वाल मंडल के नेताओं ने उत्तराखंड कांग्रेस के प्रभारी देवेंद्र यादव से दिल्ली में मुलाकात की है। उत्तराखंड में 2016 में कांग्रेस में बड़ी टूटी हुई थी और हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा जैसे बड़े नेता और कई विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे।
इस्तीफा दे रहे कार्यकर्ता
उत्तराखंड कांग्रेस में कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि 2022 में पार्टी को जीत मिलेगी। लेकिन पहले करारी हार और अब नियुक्तियों को लेकर हो रही गुटबाजी से वे खासे परेशान हैं।
नियुक्तियों के खिलाफ बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है। विधायक मदन सिंह बिष्ट तो सीधे कांग्रेस हाईकमान पर हमला बोल चुके हैं।
हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता नाराजगी ना होने की बात कह रहे हैं लेकिन जितनी बड़ी संख्या में पदाधिकारी और कार्यकर्ता इस्तीफ़े दे रहे हैं उससे साफ लगता है कि हालात खराब हैं।
देखना होगा कि कांग्रेस हाईकमान क्या गढ़वाल मंडल के नेताओं को कोई तरजीह देता है और क्या उत्तराखंड कांग्रेस में आने वाले संभावित तूफान को वह शांत कर पाएगा।