रिहाई मंच ने रासुका और एनकाउंटर के नाम पर दलित और मुसलिमों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। मंच ने पूछा है कि योगी सरकार बताए कि दलित और मुसलमान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किस तरह ख़तरा हैं।
पड़ताल : भीमा-कोरेगाँव और दलित राजनीति का ध्रुवीकरण
- रिहाई मंच के एक प्रतिनिधिमंडल ने यूपी के मुज़फ़्फ़रनगर का तीन दिवसीय दौरा किया और 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान गिरफ़्तार किए गए और रासुका में निरुद्ध उपकार बावरा, अर्जुन, विकास मेडियन और शमशेर, महबूब, आफ़ताब और यामीन के परिजनों से मुलाक़ात की।
सवाल : 'गाय, मंदिर, हिंदू-मुसलमान' से बाग़ी हुईं सावित्री फुले?
रिहाई मंच के प्रतिनिधिमंडल में शामिल राजीव यादव, आशू चौधरी, रविश आलम, ज़ाकिर अली त्यागी और अबुज़र चौधरी ने मुज़फ़्फ़रनगर में रासुका के तहत निरूद्ध किए गए लोगों से जेल में भी मुलाक़ात की। इसके बाद हुई प्रेस वार्ता में राजीव यादव, आशू चौधरी, इंजीनियर उस्मान, रविश आलम और भारत बंद के दौरान मारे गए अमरेश के पिता सुरेश और विकास मेडियन के पिता डॉ. राकेश मौजूद रहे।
यूपी : आवारा गायें अगले चुनाव में बनेंगी बीजेपी की मुसीबत
योगी सरकार की सोच मनुवादी
प्रेस वार्ता में रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि मुज़फ़्फ़रनगर में रासुका और एनकाउंटर के नाम पर जिस तरह से दलित और मुसलिमों को निशाना बनाया गया है, वह योगी सरकार की मनुवादी सोच को उजागर करता है।
विशेष ख़बर : साधना जी! फटी साड़ी वाली औरत ने ही गिरा दी थी वाजपेयी सरकार
यादव ने कहा कि एक तरफ़ 2013 की सांपद्रायिक हिंसा जिसमें बीजेपी विधायक और सांसद तक आरोपी हैं, इनके मामलों को वापस लिया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर छोटे-छोटे मामलों को तूल देकर वंचित समाज पर फ़र्जी मुक़दमे लादे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाय के नाम पर खतौली में नाबालिग बच्चियों और महिलाओं की गिरफ़्तारी भी हुई है।
रिहाई मंच ने देवबंद से हुई गिरफ़्तारियों पर कहा कि सरकार मुसलिम बहुल इलाक़ों को बदनाम करती है और उसके बाद उसकी भयावह तसवीर पेश कर सांप्रदायिक धुव्रीकरण की राजनीति करती है।
- यादव ने आरोप लगाया कि सांप्रदायिक धुव्रीकरण की राजनीति के तहत देवबंद से कश्मीर, आज़मगढ़, जौनपुर, उड़ीसा के छात्रों को उठाया गया और सवाल उठने के बाद दो कश्मीरी युवकों पर मुक़दमा लादकर शेष को छोड़ दिया गया। ठीक इसी तरह से एएमयू के छात्रों पर देशद्रोह का झूठा मुक़दमा दर्ज किया गया।
बड़ा सवाल : क्यों सीबीआई के निशाने पर हैं विपक्षी दल?
‘मुसलमान को फंसा दो, मिलेगा मुआवजा’
अमरेश के पिता सुरेश कुमार ने कहा कि उनका बेटा पुलिस की गोली का शिकार हुआ था पर उसका मुक़दमा अज्ञात में लिखा गया। वह इस मामले को लेकर हाईकोर्ट तक गए लेकिन पुनः जाँच के आदेश के बाद भी पुलिस ने दोषियों को बचाया क्योंकि असली मुज़रिम ख़ुद पुलिस है। सुरेश कुमार ने कहा, ‘मेरे ऊपर दबाव बनाया गया कि मैं किसी मुसलमान का नाम ले लूँ तो मुझे मुआवजा मिल जाएगा लेकिन मैंने इसे ठुकरा दिया क्योंकि मुझे इंसाफ़ चाहिए।
बुरे फंसे : जिम कार्बेट में मोदी : डैमेज कंट्रोल, जो हो न सका
- रासुका में निरूद्ध विकास मेडियन के पिता डॉ. राकेश ने कहा, ‘जब मेरे बेटे को छह केसों में जमानत मिल गयी तो पुलिस ने उस पर रासुका लगा दिया।’ उन्होंने सवाल किया कि रासुका लगाकर कहा जा रहा है कि उसके बाहर आने से समाज में डर-दहशत का माहौल बनेगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा था तो कोर्ट में पुलिस को बोलना चाहिए था और ऐसा कुछ होता तो उसे जमानत ही नहीं मिलती।
जिला प्रशासन और योगी सरकार ज़िम्मेदार
रिहाई मंच के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रविश आलम और आशू चौधरी ने बताया कि भारत बंद के दौरान रासुका में निरूद्ध उपकार बावरा को पिछले दिनों जेल में ब्रेन स्ट्रोक आया था। रविश और आशू ने उपकार के पिता अतर सिंह और माता रूपेश देवी से मुलाक़ात की। उन्होंने कहा कि उपकार की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है जिसके लिए जिला प्रशासन और योगी सरकार ज़िम्मेदार है।
- अर्जुन के पिता पूरण सिंह, माँ धनवती देवी, भाई बबलू और विकास मेडियन के पिता ने भी बताया कि उनके बच्चों को किस तरह से फंसाया गया और अब जेल में सड़ाया जा रहा है।
पुरबालियान में खेल-खेल में बच्चों के बीच हुए विवाद के बाद रासुका में निरुद्ध आफ़ताब के चचेरे भाई नूर मुहम्मद और ताऊ मेहरबान समेत शमशेर, महबूब और यामीन के परिजनों और पुरबालियान के ग्रामीणों से भी प्रतिनिधिमंडल ने मुलाक़ात की। ग्रामीणों ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि पुलिस ने एकतरफ़ा कार्रवाई करते हुए बच्चों और महिलाओं तक का उत्पीड़न किया।
पुलिस पर उठाए सवाल
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ज़ाकिर अली त्यागी और अबूज़र चौधरी ने कहा कि कैराना पलायन मामले को लेकर पुलिस ने फुरकान को मुठभेड़ के दौरान पैर में गोली मारकर पकड़ने का दावा किया था। आज सूचना मिली है कि रविवार सुबह ही जेल से छूटने के बाद उसे कैराना पुलिस उठा ले गई है।
मोदी, योगी सरकार पर उठाए सवाल
इंजीनियर उस्मान ने कहा कि रिहाई मंच का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने मोदी सरकार के राज में गाय के नाम पर 44 अल्पसंख्यकों की हत्या पर चिंता जाहिर की है। वहीं, कुछ ही दिनों पहले संयुक्त राष्ट्र ने योगी राज में मुज़फ़्फ़रनगर के 16 पुलिसिया एनकाउंटर समेत यूपी में हुए एनकाउंटर पर भी सवाल उठाया है।
रिहाई मंच के मुताबिक़, यूएस कमेटी ऑन इंटरनेशनल रिलिजन फ़्रीडम ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है अल्पसंख्यकों का जीवन असुरक्षित हुआ है।
मंच ने कहा, मानवता हुई शर्मसार
रिहाई मंच के इंजीनियर उस्मान ने कहा कि मंच ने मुज़फ्फरनगर में दलितों और मुसलमानों के उत्पीड़न की जो भयावह तस्वीर पेश की है वह चिंताजनक ही नहीं मानवता को भी शर्मसार करने वाली है। उन्होंने माँग की है कि उपकार बावरा जिनकी जेल में हालत काफ़ी ख़राब है, उन्हें व रासुका में निरूद्ध सभी लोगों को तत्काल रिहा किया जाए। पत्रकार वार्ता में अरशद सिद्दीकी, क़ाज़ी फसीह अख्तर, फ़ैसल ज़मीर, अफाक़ पठान, सलीम मालिक, राजकुमार आदि लोग मौजूद रहे।