कानपुर के बिकरू गांव में गुरूवार देर रात को हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर उसके साथियों ने हमला कर दिया। इसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए हैं और 7 घायल हैं। हालिया सालों में उत्तर प्रदेश में ऐसी घटना इससे पहले नहीं हुई है, जब पूरी तरह बेख़ौफ़ बदमाशों ने इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया हो।
विकास दुबे बेहद शातिर बदमाश है और एक मामले में उसका नाम आने के बाद तीन थानों की पुलिस उसे पकड़ने के लिए गई थी। आप अंदाजा लगाइए कि कितनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी गए होंगे, शायद उन्हें अनुमान रहा होगा कि वहां इतने पुलिसकर्मियों की ज़रूरत पड़ सकती है।
लेकिन ऐसा लगता है कि विकास दुबे और उसके साथियों को इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के आने की जानकारी थी। इसलिए उन्होंने पूरी तैयारी की हुई थी। उनकी तैयारी कितनी जबरदस्त थी, ये हम आपको बताते हैं।
पुलिसकर्मी दल-बल के साथ बिकरू गांव की ओर बढ़े। लेकिन पुलिस गांव में कैसे पहुंचती क्योंकि रास्ते में तो विकास दुबे ने जेसीबी लगा रखी थी। पुलिस के पास गांव में जाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं था, इसलिए पूरी फ़ोर्स गाड़ियों से उतरकर जैसे ही आगे बढ़ी, घात लगाकर बैठे बदमाशों ने पुलिस पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं।
पुलिस ने भी इस बात को कहा है कि बदमाशों ने पूरी योजना के साथ पुलिसकर्मियों को घेरकर उन पर फ़ायरिंग शुरू कर दी। मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़, बदमाश विकास के घर की छत पर चढ़े हुए थे और पुलिकर्मियों के आने का इंतजार कर रहे थे।
यूपी के डीजीपी ने भी कहा है कि बदमाश किसी ऊंची जगह पर थे और वहां से उन्होंने फ़ायरिंग की। बदमाश पूरी तरह बेख़ौफ़ थे और पुलिसकर्मियों पर फ़ायरिंग के बाद वे अंधेरे का फायदा उठाकर आसानी से भाग भी गए।
सरकार के दावों पर सवाल
यह जघन्य वारदात योगी सरकार के उन दावों पर ढेरों सवाल खड़े करती है जिसमें सरकार दावा करती है कि बदमाश या तो यूपी छोड़कर भाग गए हैं या उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया है।
बीते कई सालों में यूपी पुलिस ने बड़ी संख्या में बदमाशों का एनकाउंटर किया है लेकिन कानपुर की घटना के बाद ऐसा लगता है कि बदमाश अभी भी बेख़ौफ़ हैं और उन पर नकेल कसने का योगी सरकार का दावा फ़ेल साबित हुआ है।