सेल्फ़ी से हाज़िरी। यह आइडिया भले ही नया लगे, लेकिन उत्तर प्रदेश के शिक्षकों को यह पसंद नहीं। दरअसल, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों के लिए अब क्लास में छात्रों के साथ सेल्फ़ी लेकर पोस्ट करना अनिवार्य कर दिया है। सरकार के इस फ़ैसले को लेकर शिक्षकों में भारी विरोध है तो छात्र और शिक्षामित्र इसके समर्थन में उतर आए हैं। हालात यह हैं कि इस नये नियम के विरोध में शिक्षक दिवस को शिक्षकों ने विरोध दिवस के रूप में मनाया।
नए नियम के मुताबिक़ स्कूल में शिक्षकों की हाज़िरी तभी मानी जाएगी जब वे सरकार की ओर से शुरू किए गए मोबाइल ऐप प्रेरणा में क्लास रूम में छात्रों के साथ अपनी सेल्फ़ी डालेंगे। प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों, छात्रों की उपस्थिति से लेकर मिड डे मील तक की निगरानी इसी प्रेरणा ऐप व प्रेरणा वेब पोर्टल के ज़रिए होगी। इतना ही नहीं, स्कूलों का निरीक्षण करने वाले अधिकारियों को भी पोर्टल और ऐप पर अपनी फोटो लोड करनी होगी। सरकार के इस नियम को तुगलकी बताते हुए शिक्षक संघों ने अपने सदस्यों यानी प्राइमरी शिक्षकों से कहा है कि वे अपने मोबाइल पर इस ऐप को इंस्टॉल ही नहीं करें। प्रेरणा ऐप में स्कूलों की प्रार्थना सभा से लेकर खेलकूद, यूनिफ़ॉर्म वितरण सहित सभी गतिविधियों की फ़ोटो भी लोड करने को कहा गया है।
नमक-रोटी मामले के बाद नये नियम क्यों
उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों का न जाना या कभी-कभार जाना आम बात है। हाल ही में मिर्ज़ापुर से एक स्कूल में बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने के बाद मचे बवाल के बाद यह तथ्य सामने आया कि गाँवों के स्कूलों में शिक्षक कभी-कभार ही जाते हैं। इसके चलते न केवल पढ़ाई बल्कि मिड डे मील की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। शहरी क्षेत्र के स्कूलों से ज़्यादा बुरा हाल गाँवों का है जहाँ शिक्षकों के नहीं, बल्कि सहायता के लिए रखे गए शिक्षामित्रों के भरोसे पूरी पढ़ाई और स्कूलों का कामकाज चलता है।
प्रेरणा ऐप जारी करने और इसके ज़रिए उपस्थिति को अनिवार्य करने के पीछे सरकार की मंशा यही है कि 40 से 50000 रुपये की पगार पाने वाले शिक्षक स्कूल जाएँ और मिड डे मील से लेकर हर चीज उनकी निगरानी में बँटे।
इस ऐप की महज़ सुगबुगाहट से स्कूलों में उपस्थिति बढ़ी है और साथ ही मिड डे मील की निगरानी भी। प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक विजयकिरन आनंद का कहना है कि परिषदीय स्कूलों व कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालयों में विद्यार्थियों के लर्निंग आउटकम का आकलन भी इस पोर्टल के ज़रिए किया जाएगा।
शिक्षकों का दावा, प्रेरणा ऐप से दबाव बढ़ेगा
प्रेरणा ऐप के विरोध में शिक्षक लामबंद हो गए हैं। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षकों से ऐप इंस्टॉल नहीं करने और ऐप के ज़रिए किसी प्रकार की गतिविधि में सहयोग नहीं करने की अपील की है। संघ ने बीते गुरुवार को शिक्षक दिवस को ‘शिक्षक सम्मान बचाओ दिवस’ के रूप में मनाया और बेसिक शिक्षा कार्यालयों पर प्रदर्शन किया। प्रदेश की राजनीति में ताक़तवर माध्यमिक शिक्षक संघ भी प्रेरणा ऐप के विरोध में उतर आया है। संघ के प्रदेश महामंत्री डॉ. आर.पी. मिश्रा ने कहा कि शिक्षकों से अपील की गयी है कि ऐप डाउनलोड न करें और अगर दबाव बनाया जाता है तो 13 सितंबर से धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। प्रदेश की महिला शिक्षकों का कहना है कि पहले से उत्पीड़न की शिकार हो रही शिक्षिकाओं पर प्रेरणा ऐप से दबाव बढ़ेगा।
उनका कहना है कि गर्भवती होने पर छुट्टी की मंज़ूरी से लेकर ज़रूरी काम के लिए अवकाश तक नहीं दिया जाता है। ऐसे में प्रेरणा ऐप से तो मुसीबतें और बढ़ेंगी।
शिक्षामित्र, वित्तविहीन शिक्षक ख़ुश
उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई से लेकर सभी कुछ काम देख रहे शिक्षामित्रों ने प्रेरणा ऐप का समर्थन किया है, वहीं वित्तविहीन शिक्षकों के संघ ने भी कुछ सुधार के साथ इसे सही बताया है। शिक्षामित्रों के संघ के अध्यक्ष जितेंद्र शाही का कहना है कि ऐप से स्कूलों की स्थिति में सुधार आएगा और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी। बीटीसी संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि प्रेरणा ऐप से परिषदीय स्कूलों की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
वित्तविहीन शिक्षक महासंघ के महामंत्री व प्रमुख शिक्षक नेता अजय सिंह एडवोकेट का कहना है कि प्रेरणा ऐप लागू करने से पहले शिक्षकों को टैबलेट दिए जाएँ और कभी-कभार लेट होने या किसी कारणवश न पहुँच पाने वाले शिक्षकों को छूट दी जाए। महिला शिक्षकों का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में गर्भवती होने पर या बीमार पड़ने पर छुट्टी की मंज़ूरी तक में पैसा लिया जाता रहा है। पहले इस व्यवस्था को ठीक किया जाना चाहिए।
छह महीनों में दिक्कतें दूर होंगी: सरकार
प्रेरणा ऐप को लेकर शिक्षकों की शिकायतों पर प्रदेश सरकार का कहना है कि छह महीने के प्रयोग से इसमें होने वाली कुछ ज़रूरी दिक्कतें सामने आएँगी जिसे दूर किया जाएगा। शिक्षकों के पास स्मार्ट फ़ोन न होने पर बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि अगले छह महीने में सभी को टैबलेट दे दिए जाएँगे जिससे वे न केवल इस ऐप का संचालन करेंगे बल्कि पोर्टल से ख़ुद को भी अपडेट करेंगे। उनका कहना है कि वेब पोर्टल के ज़रिए एक स्कूल के शिक्षक को दूसरे स्कूल में हो रहे नए प्रयोगों का भी पता चलने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और क्वालिटी में सुधार आएगा। मिड डे मील की निगरानी का काम कर रही संस्था ‘हम’ का कहना है कि कम से कम ऐप पर फ़ोटो लोड करने से क्वालिटी का पता तो चलेगा।