उन्नाव बलात्कार और अपहरण मामले में दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने बीजेपी से निष्कासित और विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी क़रार दिया है। कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो क़ानून की धारा 5 (सी) और 6 के तहत दोषी ठहराया है। सेंगर की सजा पर 19 दिसंबर को बहस होगी।
सेंगर पर पीड़िता ने आरोप लगाया था कि जून, 2017 में जब वह नौकरी माँगने उनके आवास पर गई थी तो विधायक ने उसके साथ बलात्कार किया था। पीड़िता के परिवार ने कहा था कि बलात्कार मामले में विधायक और उसके साथियों ने पुलिस में शिक़ायत नहीं करने के लिए उन पर दबाव बनाया था। परिवार ने कहा था कि विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर व उसके साथियों ने पीड़िता के पिता के साथ मारपीट की थी और इसके बाद पुलिस हिरासत में पीड़िता के पिता की मौत हो गई थी। मौत से पहले पीड़िता के पिता का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि विधायक के भाई और उसके गुर्गों ने उन्हें पीटा था।
पीड़िता ने पुलिस के रवैये से परेशान होकर मुख्यमंत्री आवास के बाहर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह करने का भी प्रयास किया था। कुलदीप सिंह सेंगर के सियासी रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने कुलदीप सिंह सेंगर से सीतापुर जेल में मुलाक़ात की थी।
कुछ महीने पहले पीड़िता जब रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जा रही थी तो रास्ते में उनकी गाड़ी को ग़लत दिशा से आ रहे एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी थी। इस घटना में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई थी जबकि पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मामले में पीड़िता के चाचा की शिकायत पर विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, उसके भाई मनोज सिंह सेंगर और 8 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ हत्या, हत्या की साज़िश रचने का मुक़दमा दर्ज कराया गया था।
बलात्कार पीड़िता के साथ हुई ट्रक दुर्घटना के मामले में जब सीबीआई ने चार्जशीट दाख़िल की थी तो बहुत हैरानी हुई थी क्योंकि चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर और उसके सहयोगियों पर हत्या का आरोप नहीं दर्ज किया था। जबकि ट्रक के ड्राइवर आशीष कुमार पाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए, 338 और 279 के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था।