शुरुआती अगर-मगर के बाद आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक़ सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने अयोध्या में पांच एकड़ जमीन लेना मंजूर कर लिया है। वक़्फ़ बोर्ड ने भी राम मंदिर निर्माण की तर्ज पर अयोध्या में मसजिद के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने का फ़ैसला किया है। सोमवार को हुई सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की बैठक में यह फ़ैसला लिया गया है। बोर्ड ने अयोध्या में सरकार की ओर से दी जा रही इस ज़मीन पर भारतीय एवं इसलामिक सभ्यता के अध्ययन के लिए केंद्र, चैरिटेबल अस्पताल और एक लाइब्रेरी बनाने का फ़ैसला भी बैठक में लिया है।
ग़ौरतलब है कि पिछले साल 9 नवंबर को दिए अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल रामलला को और मुसलिम पक्ष को मसजिद के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया था कि मंदिर निर्माण के लिए वह 3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए। केंद्र सरकार ने ट्रस्ट का गठन कर दिया है और अब सभी की निगाहें मामले के अहम पक्षकार सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड पर थीं कि वह सरकार द्वारा दी गयी ज़मीन लेगा या नहीं।
पहले किया था इनकार
बाबरी मसजिद की जगह पर अयोध्या में अन्य किसी जगह पर पांच एकड़ ज़मीन को लेकर मुसलिम संगठनों में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ही मतभेद के स्वर सुनाई देने लगे थे। ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा था कि उसे मसजिद के बदले में दूसरी जगह पर दी जाने वाली पांच एकड़ ज़मीन मंजूर नही है। बोर्ड ने कहा कि उसने हक़ की लड़ाई लड़ने के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाया था न कि दूसरी जगह ज़मीन पाने के लिए।
कोर्ट के फ़ैसले के बाद बुलाई गई बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक में कहा गया था कि उन्हें वही ज़मीन चाहिए जहां पर बाबरी मसजिद बनी थी। ग़ौरतलब है कि कई अन्य मुसलिम संगठनों ने भी पांच एकड़ ज़मीन न लिए जाने की बात कही थी। हालांकि बाद में इसका अंतिम फ़ैसला सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड पर छोड़ दिया गया था।
सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के एक सदस्य का कहना है कि उनकी कोशिश सरकार की ओर से दी जानी वाली ज़मीन पर चैरिटेबल अस्पताल, अध्ययन केंद्र व लाइब्रेरी बनाकर नफरत के माहौल को ख़त्म करने व भाईचारे का संदेश देने की है।
बोर्ड का कहना है कि पांच एकड़ ज़मीन पर जो अस्पताल बनेगा उसमें सभी धर्मों के लोगों का इलाज होगा और इसी तरह से लाइब्रेरी व अध्ययन केंद्र सभी धर्मों के लोगों के उपयोग में आएंगे। पांच एकड़ के कांप्लेक्स में भवन इस तरह से बनाए जाएंगे जो भारतीय सभ्यता के अनुरुप होंगे। बोर्ड ने कुछ दिन पहले से इस बात के संकेत देने शुरू कर दिए थे कि वह अब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर भी किसी तरह का विवाद नहीं चाहता है और इसी के चलते फ़ैसले के तहत दी जाने वाली ज़मीन भी खुशी-खुशी स्वीकार कर ली जाएगी। प्रदेश सरकार ने मसजिद के लिए पांच एक एकड़ ज़मीन अयोध्या में परिक्रमा क्षेत्र से काफ़ी दूर चिन्हित की है।
बोर्ड की इच्छा मसजिद के लिये बनने वाले ट्रस्ट में सभी धर्मों व विचारों को मानने वालों को शामिल करने की है। ट्रस्ट के गठन व इसमें शामिल किए जाने वाले सदस्यों पर जल्द ही विचार किया जाएगा। पांच एकड़ ज़मीन पर होने वाला निर्माण सरकार के नहीं बल्कि जनता के सहयोग से किया जाएगा।