उत्तर प्रदेश में ब्लॉक प्रमुख पद के चुनावों में एक महिला से जिस तरह की बदसलूकी हुई है, इसे लेकर योगी सरकार और बीजेपी सवालों के घेरे में है क्योंकि महिला से बदसलूकी करने का आरोप बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर लगा है। महिला ने शुक्रवार को लखनऊ पहुंचकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाक़ात की।
इधर, इस मामले में सख़्त कार्रवाई करते हुए शासन के आदेश पर सीओ मोहम्मदी अभय मल्ल, इंस्पेक्टर पसगंवा आदर्श कुमार सिंह, इंस्पेक्टर हनुमान प्रसाद, चौकी इंचार्ज बरवर महेश गंगवार, चौकी इंचार्ज जेबीगंज दुर्वेश गंगवार और उचौलिया चौकी इंचार्ज उग्रसेन सेन को निलंबित कर दिया गया है।
ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में दबंगई के साथ ही मारपीट के नजारे भी दिखाई दिए और गोलियां तक चलीं।
जिस महिला से बदसलूकी हुई है, वह लखीमपुर खीरी जिले की पसगंवा ब्लॉक से एसपी की ब्लॉक प्रमुख की उम्मीदवार रितु सिंह की प्रस्तावक हैं। रितु सिंह ने शुक्रवार को बताया कि जब यह महिला प्रस्तावक होने से जुड़े कागजात दाख़िल करने जा रही थीं, उस दौरान बीजेपी के नेताओं ने उनसे बदसलूकी की। बदसलूकी के वायरल हुए वीडियो को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ट्वीट किया है।
इस वायरल वीडियो में दिख रहा है कि दो लोग इस महिला की साड़ी खींच लेते हैं और उनसे पूछते हैं कि कहां जा रही हो। रितु सिंह ने आरोप लगाया है कि ये लोग बीजेपी के स्थानीय विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह के समर्थक हैं।
एसपी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने उस महिला के पास नामांकन से संबंधित जो कागज थे, उन्हें फाड़ दिया। रितु सिंह की शिकायत पर यश वर्मा और एक अज्ञात बीजेपी कार्यकर्ता के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ कर लिया गया है।
अखिलेश ने उठाया मामला
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को इस मामले को उठाया है और कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ख़ुद गुंडों को बढ़ावा दे रहे हैं और यूपी की जनता आने वाले चुनाव में इन्हें सबक सिखाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में केवल एसपी के कार्यकर्ता ही शासन के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं।
अखिलेश ने कहा कि जिस जिले का डीएम, एसपी ख़ुद चुनाव को हराने के लिए बैठा हो, तो आप क्या करेंगे। उन्होंने कहा कि एसपी ऐसे अफ़सरों की पूरी सूची बना रही है जिन्होंने एसपी कार्यकर्ताओं और जनता को अपमानित किया है।
विधानसभा चुनाव में क्या होगा?
पहले जिला पंचायत और अब ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में जो आलम उत्तर प्रदेश में दिखाई दिया है, उसे देखकर राजनीतिक विश्लेषक यही सवाल पूछ रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में क्या होगा। हालांकि विश्लेषक कहते हैं कि पंचायत और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव का काम स्थानीय प्रशासन के पास होता है और वह राज्य की सरकार के दबाव में होता है जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में प्रशासन के काम पर केंद्रीय निर्वाचन आयोग की पैनी नज़र रहती है।
लेकिन अभी भी राज्य की राजधानी में तो निर्वाचन आयोग है ही, फिर भी उत्तर प्रदेश में यह सब हुआ। इसका सीधा ख़तरा यही दिखाई देता है कि विधानसभा चुनाव में आम लोग या विपक्षी दलों के कार्यकर्ता सत्ताधारी दल के लोगों की दबंगई, गुंडई को लेकर डरे ज़रूर रहेंगे और निश्चित रूप से यह लोकतंत्र के दामन पर कालिख की तरह होगा और तब निर्वाचन आयोग की भूमिका बेहद अहम हो जाएगी।