लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर योगी सरकार और बीजेपी लगातार कह रहे हैं कि क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई होगी और दोषियों को सजा मिलेगी। लेकिन ऐसा क्या सिर्फ़ कहने भर से हो जाएगा, सरकार को कार्रवाई करके भी दिखानी चाहिए। ऐसी घटना जिसमें 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत हुई हो, विपक्ष सड़कों पर हो, आम लोग सवाल पर सवाल पूछ रहे हों, उसमें सरकार की पहली जिम्मेदारी है कि वह अभियुक्तों की धरपकड़ करे लेकिन अब तक ऐसा होता नहीं दिखता।
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बुधवार को इस मामले में सरकार का पक्ष रखा। सिंह ने लखीमपुर खीरी में मारे गए चार सिखों को 1984 में सिखों के क़त्लेआम से जोड़ दिया लेकिन इस बात पर चुप रहे कि घटना के इतने दिनों बाद भी सरकार ने लखीमपुर खीरी में मारे गए सिखों के हत्यारों को पकड़ने की दिशा में क्या कार्रवाई की है।
सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि लखीमपुर खीरी में अब शांति का माहौल बन रहा है लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं होने दे रही है। उन्होंने कांग्रेस को अपने राज्यों पंजाब, राजस्थान में झांकने की सलाह भी दी और यह कहकर बात ख़त्म कर दी कि जल्द से जल्द दोषियों को पकड़ा जाएगा और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन योगी सरकार और सिद्धार्थनाथ सिंह से सवाल पूछा जाना चाहिए कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा की गिरफ़्तारी अब तक क्यों नहीं हुई है। आशीष मिश्रा खुलेआम टीवी चैनलों को बाइट दे रहे हैं, उन पर हत्या की एफ़आईआर दर्ज हो गई है लेकिन पुलिस उन्हें गिरफ़्तार क्यों नहीं कर रही है।
जिस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों की सियासत पर भी असर किया हो, जिस घटना में किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा देने तक का वीडियो सामने आया हो, उसमें कार्रवाई करने के बजाए विपक्ष पर सवाल उठा देना क़तई सही नहीं है।
8 लोगों के मारे जाने की इस घटना में सीधे आरोप केंद्रीय मंत्री के पुत्र पर हैं। इसलिए बीजेपी अगर अपने मंत्री का इस्तीफ़ा लेने में हिचक भी रही हो तो कम से कम उसे ऐसी सख़्त कार्रवाई तो करनी चाहिए, जिससे आम लोगों के बीच सरकार का इक़बाल क़ायम रह सके।
उम्मीद की जानी चाहिए कि योगी सरकार सिर्फ़ बयानबाज़ी के बजाए अभियुक्तों की धरपकड़ कर पीड़ित परिवारों को जल्द से जल्द इंसाफ़ दिलाने का काम करेगी।