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अयोध्या में दफ्तर के लिए RSS ने 100 एकड़ जमीन मांगी

अयोध्या में दफ्तर के लिए RSS ने 100 एकड़ जमीन मांगी

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अयोध्या में अपना दफ्तर बनाना चाहता है। इसके लिए यूपी सरकार से 100 एकड़ जमीन मांगी गई है। संघ यहां दफ्तर क्यों बनाना चाहता है, जानिएः

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अयोध्या में अपना मुख्य कार्यालय खोलने की तैयारी कर रहा है। अयोध्या में हो रहे विकास कार्यों में भी संघ के सांस्कृतिक व राष्ट्रवाद की झलक परिलक्षित होगी। संघ 2025 में अपना शताब्दी वर्ष मनाने की तैयारी में है। इससे पहले वह अयोध्या में अपना एक और मुख्यालय बनाना चाहता है। इसके लिए संघ ने आवास विकास परिषद से सौ एकड़ जमीन मांगी है। संघ यह जमीन ग्रीन फील्डशिप योजना (नव्य अयोध्या)  में चाहता है। इसके लिए आवेदन किया गया है। सब कुछ ठीक रहा तो अयोध्या संघ का नया गढ़ होगा।

अभी संघ मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है। यह करीब एक एकड़ में बना हुआ है। वहीं, दिल्ली का झंडेवालान भी बड़ा केंद्र है, जो करीब तीन एकड़ में फैला हुआ है। संघ के शीर्ष पदाधिकारियों में से कुछ नागपुर और कुछ दिल्ली में रहते हैं। मुंबई भी संघ का अहम केंद्र है। अब संघ का केंद्र अयोध्या में बनाने की तैयारी हो रही है। दो साल बाद संघ की स्थापना का शताब्दी वर्ष है। ऐसे में संघ अयोध्या में बड़ा कार्यक्रम करने की तैयारी में है। इसलिए संघ यहां मुख्यालय तैयार करा लेना चाहता है। ये  देश का सबसे बड़ा कार्यालय होगा जो सौ एकड़ में बना होगा। संघ सूत्रों ने बताया कि यहां बड़े आयोजन के साथ ही कार्यकर्ताओं के रहने की व्यवस्था होगी। 

कोविड लहर थमने के बाद से ही संघ के तीन बड़े कार्यक्रम यहां हो चुके हैं। इसमें अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षा वर्ग और बौद्धिक शिक्षा वर्ग के आयोजन हैं।अगर नव्य अयोध्या टाउनशिप में संघ का मुख्यालय बनकर तैयार होता है तो यह अयोध्या में संघ का दूसरा मुख्यालय होगा। इससे पहले, साकेतपुरी कॉलोनी में लगभग 1 लाख  वर्ग फीट में संघ का प्रांतीय मुख्यालय साकेत निलयम बनकर तैयार हो चुका है। मंदिर निर्माण प्रारंभ होने के बाद से जिस तरह से संघ और भाजपा संगठन की गतिविधियां और कार्यकर्ताओं का आवागमन बढ़ा है, उससे साकेत निलयम का विशाल परिसर छोटा महसूस होने लगा है। 

दरअसल संघ चाहता है कि अयोध्या को विजय प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जाए। अयोध्या के नए विकास मॉडल में संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की झलक भी दिखेगी। मंदिर आंदोलन की सफलता के बाद अयोध्या के संतों में अपनी उपेक्षा को लेकर आक्रोश था। संघ साधु संतों को जोड़ने की मुहिम को धार भी देगी। 

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