22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा या अभिषेक समारोह में देश के प्रत्येक जिले और देश भर के अधिकांश प्रखंडों से 150 से अधिक जाति- समुदायों के प्रतिनिधि अयोध्या में शामिल होंगे।
इस आयोजन को संघ परिवार द्वारा दूसरे "राम मंदिर आंदोलन" के रूप में देखा जा रहा है। संघ परिवार और विश्व हिंदू परिषद इस समारोह का उपयोग हिंदू समाज को जाति-पात से ऊपर उठकर एक साथ लाने की कोशिश के अवसर के तौर पर कर रहे हैं।
यही कारण है कि न सिर्फ सवर्ण जातियों बल्कि ओबीसी और दलितों की सभी प्रमुख जातियों-उपजातियों के प्रतिनिधियों को इस समारोह में शामिल होने का आमंत्रण भेजा गया है। इस समारोह का इस्तेमाल विहिप और संघ परिवार हिंदू एकता लाने के मौके के तौर पर कर रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया है कि इस समारोह में देश के हर जिले से 150 से अधिक समुदायों का प्रतिनिधित्व किया जाएगा। अतिथियों की इस सूची में बड़ी संख्या में दलित और आदिवासी समुदाय के संत शामिल किए गए हैं।
उनके अलावा इस सूची सबसे गरीब परिवारों से ऐसे 10 लोगों को शामिल किया गया है जो झोपड़ियों में रहते हैं, लेकिन उन्होंने राम मंदिर निधि के लिए 100 रुपये का योगदान दिया। इस सूची में मंदिर का निर्माण करने वाले कार्यकर्ता भी मेहमानों के तौर पर शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह आयोजन पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है।
इंडियन एक्सप्रेस की यह रिपोर्ट कहती है कि समारोह की इस अतिथि सूची में 4,000 संत और लगभग 2,500 प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं। इस तरह से तैयार की गई थी कि हिंदू समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले लोगों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिले। इसे कुछ इस तरह से तैयार किया गया है कि इसमें सभी प्रमुख जातियों और उपजातियों का प्रतिनिधित्व प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
इसमें कहा गया है कि विहिप की योजना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के "सामाजिक समरसता" अभियान से मेल खाती है। इस अभियान को पिछले साल विपक्षी दलों की ओर से उठाए गए जाति जनगणना के मुद्दे का मुकाबला करने के लिए शुरू किया गया था।
विपक्षी दल भाजपा से मुकाबला करने के लिए "मंडल" पर निर्भर है, इसलिए संघ हिंदू समाज में अलग-अलग जातियों के एक होने की कहानी बनाने के लिए आक्रामक रूप से "कमंडल" को आगे बढ़ा रहा है।
मंदिर आंदोलन का उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना
इंडियन एक्सप्रेस की यह रिपोर्ट कहती है कि विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा है कि मंदिर आंदोलन का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना था। 1984 में जब राम मंदिर के लिए शिला पूजन की चर्चा हो रही थी, तो सभी ने सोचा था कि या तो जगतगुरु शंकराचार्य या विहिप के दिवंगत अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल इसे करेंगे।उन्होंने कहा कि, अशोक सिंघल ने बाद में इनकार कर दिया और यह उस समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा किया गया जिसके लिए भगवान राम ने 14 वर्षों तक संघर्ष किया था। इसलिए, कामेश्वर चौपालजी को इस काम के लिए चुना गया था। उन्होंने कहा कि दलित विहिप नेता चौपाल को नवंबर 1989 में तत्कालीन विवादित स्थल पर मंदिर की आधारशिला रखने के लिए भी चुना गया था।
विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि संतों की सूची भी बहुत सावधानी से तैयार की गई है। हम संतों को जाति के आधार पर विभाजित नहीं करते हैं लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक समुदाय, क्षेत्र और भाषा का इस समारोह में प्रतिनिधित्व हो।
उन्होंने कहा कि इस सूची में ऐसे लोग हैं जो साकार की पूजा करते हैं, वे लोग भी हैं जो निराकार (बिना आकार के भगवान) की पूजा करते हैं, वाल्मिकी, रविदासी, आर्य समाजी, सनातनी... सभी समुदायों की श्रेणियां बनाई गईं और फिर उनसे सूची तैयार की गई है।
देश-दुनिया में पहुंचाया जा रहा है अक्षत निमंत्रण
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि विहिप राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर देश भर में उत्साह पैदा करने की कोशिश कर रहा है। इसके तहत देश और दुनिया भर में हिंदुओं तक पहुंचने के लिए अक्षत (पवित्र चावल) निमंत्रण अभियान पहले ही शुरू किया जा चुका है।वहीं राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने देश भर में यह सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाया है कि 22 जनवरी को दोपहर 12.20 बजे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेंगे तब देश के सभी कस्बों और गांवों के लोग पास के मंदिरों में आरती करने के लिए इकट्ठा हों।
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया है कि मां की गोद में रहने वाले छोटे बच्चों से लेकर व्हीलचेयर पर बैठे दादाजी तक से अनुरोध किया है कि प्राण प्रतिष्ठा के समय वह निकटतम मंदिर में आएं। उन्होंने कहा कि हमने अपील की है कि सभी मिलकर समारोह को देखें और सक्रिय रूप से भाग लें।
5 लाख मंदिरों से 7 करोड़ लोगों को साथ लाने की है योजना
हम पांच लाख मंदिरों के माध्यम से सात करोड़ लोगों को एक साथ लाने की उम्मीद कर रहे हैं। यह दिवाली जैसा होगा और रात में आसमान से देखने वाले को ऐसा लगेगा जैसे भारत में सूरज कभी डूबेगा ही नहीं।इंडियन एक्स्प्रेस की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विहिप ने मंदिरों में पांच लाख एलईडी स्क्रीन लगाने में सहायता के लिए रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए), व्यापार मंडल और अन्य समूहों को शामिल किया है ताकि लोग राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लाइव देख सकें।
विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल कहते हैं कि हमने बड़े मंदिरों से छोटे मंदिरों को सब्सिडी देने के लिए भी कहा है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि एक गांव के लोग, जातिगत आधार से परे, एक मंदिर में इकट्ठा हों। इससे मंदिर समितियां मजबूत होंगी।
वीएचपी नेताओं का कहना है कि यह संघ के एक गांव, एक मंदिर, एक श्मशान और एक कुआं अभियान का विस्तार है।