यूपी के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि अयोध्या में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह से तीन दिन पहले, यूपी आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को गुरुवार को अयोध्या में पकड़े गए तीन संदिग्धों के खालिस्तानी लिंक मिले हैं।
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यूपी पुलिस महानिदेशक (डीजी), कानून एवं व्यवस्था प्रशांत कुमार ने पुष्टि की है कि तीनों आरोपियों की पहचान राजस्थान निवासी शंकर दुसाद उर्फ शंकर जाजोद, अजीत कुमार शर्मा और प्रदीप पुनिया के रूप में की गई है। उन्होंने कहा कि शंकर दुसाद और प्रदीप पूनिया सीकर जिले के निवासी हैं जबकि अजीत कुमार शर्मा झुंझुनू जिले का निवासी है।
उन्होंने कहा कि तीनों पर संदेह तब गहरा गया जब खालिस्तानी नेताओं द्वारा रिकॉर्ड किया गया वॉयस संदेश लखनऊ में कुछ लोगों के मोबाइल फोन पर प्रसारित किया गया। रिकॉर्ड किया गया ध्वनि संदेश पुरुष आवाज में था। संदेश में, खुद को कनाडा स्थित खालिस्तान आतंकवादी गुरुपतवंत सिंह पन्नू बताने वाले एक व्यक्ति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित करते हुए कहा कि सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) की ओर से यह संदेश दिया जा रहा है। संगठन 22 जनवरी के लिए उन्हें (योगी को) जवाबदेह ठहरा रहा है और राम मंदिर अभिषेक उन्हें बचा नहीं सकता।
दरअसल, अयोध्या में गुरुवार को दो युवकों की गिरफ्तारी के बाद लखनऊ में कई लोगों के मोबाइल फोन पर एसएफजे का वॉयस संदेश फैला। इसके बाद एटीएस ने इसकी गहन पड़ताल की। डीजीपी प्रशांत कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए इन युवकों की पहचान भी जाहिर कर दी, जिसका जिक्र ऊपर इसी खबर में किया जा चुका है।
डीजीपी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि शंकर दुसाद कनाडा स्थित एक अन्य हथियार तस्कर हरमिंदर सिंह लांडा के माध्यम से कनाडा स्थित खालिस्तानी आतंकवादी गुरुपतवंत सिंह पन्नू के संपर्क में था। उन्होंने कहा कि खालिस्तानी नेताओं ने दुसाद को गुप्त रूप से अयोध्या जाकर उसका नक्शा तैयार करने को कहा था। उन्होंने बताया कि गुरुवार को अयोध्या में त्रिमूर्ति होटल के सामने वाहन चेकिंग के दौरान दुसाद और उनके दो साथियों को हिरासत में लिया गया।
कुमार ने कहा कि दुसाद ने खुलासा किया कि वह अयोध्या की रेकी करने और नक्शा तैयार करने में मदद करने के लिए अपने दो सहयोगियों को साथ लाया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी एसयूवी पर भगवा झंडा लगा रखा था ताकि पुलिस को उन पर शक न हो। उन्होंने बताया कि तीनों से आगे की पूछताछ की जा रही है।
एटीएस जांच अधिकारियों ने कहा कि दुसाद के पास से दो अलग-अलग पहचान प्रमाण बरामद किए गए। वह जिस सिम कार्ड का उपयोग कर रहा था वह किसी धर्मवीर महला के नाम पर था, जबकि उसकी एसयूवी की आरसी भी जाली थी।
एटीएस के प्रेस नोट के मुताबिक 21 मार्च, 2016 से सात साल से अधिक जेल में बिताने के बाद दुसाद को 15 मई, 2023 को सेंट्रल जेल, बीकानेर से जमानत पर रिहा कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि दुसाद ने खालिस्तानी समूहों के साथ संबंध बनाए। बीकानेर जेल में रहते हुए जब उसकी मुलाकात एक कैदी लखबिंदर सिंह से हुई, जिसने उसे अपने भतीजे पम्मा से मिलने के लिए कहा, जिसके माध्यम से वह कनाडा स्थित खालिस्तानी नेता सुखबिंदर गिल उर्फ सुखडोल सिंह सिंह उर्फ सुखदिल के संपर्क में आया, जिसकी सितंबर 2023 में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा कि दुसाद व्हाट्सएप कॉल के जरिए सुखबिंदर और हरमिंदर सिंह लंडा के संपर्क में था।
एटीएस अधिकारियों ने कहा कि दुसाद मारे गए कुख्यात गैंगस्टर राजेंद्र जाट का करीबी सहयोगी था और दिसंबर 2022 में राजस्थान के सीकर में उसके घर के सामने पांच हमलावरों द्वारा लाट की हत्या के बाद उसने उसके गिरोह पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने कहा कि दुसाद की एक लंबी आपराधिक पृष्ठभूमि थी। 2007 और 2014 के बीच राजस्थान के विभिन्न जिलों में उसके खिलाफ लगभग सात मामले दर्ज किए गए। वह 2011 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के युवा विंग के नेता राम कृष्ण सिहाग और 2014 में बीकानेर सेंट्रल जेल में कैदी बलवीर बानूड़ा की हत्या में शामिल था।
इस घटना ने यूपी पुलिस को चौकन्ना कर दिया है। देश भर की पुलिस और खुफिया एजेंसियों से जानकारियों का आदान-प्रदान किया जा रहा है। इस बीच, 22 जनवरी को होने वाले मेगा इवेंट से पहले किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अयोध्या में पुलिस ने शहर भर में वाहन चेकिंग और निगरानी बढ़ा दी है। अंग्रेजी में रिकॉर्ड किए गए ऑडियो संदेश सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राज्य भर में चेकिंग तेज करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।