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हाथरस में राहुल- लापरवाही की जांच हो, ग़रीब हैं तो दिल खोल कर मुआवजा दें सीएम

हाथरस में राहुल- लापरवाही की जांच हो, ग़रीब हैं तो दिल खोल कर मुआवजा दें सीएम

हाथरस में सत्संग में भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हुई। इस घटना के पीड़ितों से मिलने के लिए राहुल गांधी अलीगढ़ के गाँव में पहुँचे। जानिए, पीड़ितों से मिलने के बाद उन्होंने क्या कहा।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी हाथरस पहुंचे। उन्होंने भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, 'कई लोगों की जान चली गई है। मैं इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं कहना चाहता, लेकिन प्रशासन की कमी तो है। इसका पता लगाना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन लोगों को मुआवजा मिलना चाहिए।' 

उन्होंने कहा, 'हाथरस हादसे के पीड़ित परिवारों को सही मुआवजा मिलना चाहिए। ये लोग गरीब परिवार से हैं, मुश्किल समय है इनके लिए। मुआवजा ज़्यादा से ज़्यादा मिलना चाहिए। यूपी के सीएम से विनती करता हूँ कि दिल खोलकर मुआवजा दें। ग़रीब लोग हैं इसको इनकी ज़रूरत है।' उन्होंने यह भी कहा कि यह समय पर मिलना चाहिए।

हाथरस दौरे से पहले गांधी सुबह-सुबह अलीगढ़ के पिलखना गांव में रुके थे, जहां उन्होंने पीड़ित परिवारों से बातचीत भी की। इसके बाद वह हाथरस के लिए रवाना हुए थे। यहाँ भी वह पीड़ितों से मिले। हाथरस में सत्संग में भगदड़ मचने से 121 लोग मारे गए थे। भगदड़ 2 जुलाई की शाम को धार्मिक उपदेशक सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ 'भोले बाबा' के सत्संग में हुई थी। 

राहुल गांधी का पीड़ितों से मिलने का यह दौरा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बुधवार को हाथरस का दौरा करने और पीड़ितों से मिलने के बाद हुई है। कांग्रेस ने राहुल के पीड़ितों के साथ मिलने की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा है कि 'इस मुश्किल वक्त में हम आपके साथ खड़े हैं।'

उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस में हुई भगदड़ के सिलसिले में गुरुवार को सत्संग के छह आयोजकों को गिरफ्तार किया है। मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने की बात कही गई। पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और जांच जारी है, लेकिन मामले में नारायण साकार विश्व हरि या 'भोले बाबा' का नाम नहीं लिया गया है।  

पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, धार्मिक समागम में 2.50 लाख से अधिक लोग शामिल हुए, जबकि प्रशासन ने इस आयोजन के लिए 80,000 लोगों को अनुमति दी थी। एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया है कि सत्संग आयोजकों ने साक्ष्य छिपाकर और आस-पास के खेतों में उनके अनुयायियों की चप्पलें और अन्य सामान फेंककर कार्यक्रम में लोगों की वास्तविक संख्या को छिपाने की कोशिश की। भगदड़ तब मची जब अनुयायी भोले बाबा की एक झलक पाने के लिए दौड़े और एक-दूसरे से टकरा गए। 

उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरुवार को स्वयंभू बाबा की तलाश में मैनपुरी के राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में तलाशी अभियान चलाया। इस घटना में आयोजकों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है। मैनपुरी के पुलिस उपाधीक्षक सुनील कुमार ने गुरुवार को कहा था कि 'भोले बाबा' अपने आश्रम के अंदर नहीं मिले।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को घटनास्थल का दौरा किया और घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए।

मामले की समग्रता और जाँच में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है। न्यायिक आयोग अगले दो महीनों में भगदड़ की घटना की जांच करेगा और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा। 

'भोले बाबा' को लेकर अब सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या उनको बचाया जा रहा है? हाथरस में सत्संग में 121 लोगों की मौत हो गई तो क्या सत्संग करने वाले नारायण साकार हरि उर्फ ​​'भोले बाबा' ज़िम्मेदार नहीं हैं? आख़िर एफ़आईआर में उनका नाम क्यों नहीं है? और उनकी गिरफ़्तारी क्यों नहीं हो पाई है? क्या आयोजकों को नामजद कर बाबा को बचाने की कोशिश हो रही है? अब तक बाबा सामने क्यों नहीं आ रहे हैं? सूरज पाल उर्फ भोले बाबा दलित समुदाय से आते हैं। उनके कई राज्यों में अनुयायी हैं। ऐसे अनुयायियों की संख्या लाखों में है।

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