नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध की आग दिल्ली के जामिया मिल्लिया इसलामिया और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के बाद अब सोमवार को लखनऊ के कॉलेज में पहुँच गई है। जामिया के छात्रों के प्रदर्शन के समर्थन में लखनऊ के नदवा कॉलेज में सैकड़ों छात्रों ने प्रदर्शन किया। पुलिस ने विश्वविद्यालय के गेट को बंद किया तो छात्रों ने दरवाजे के अंदर से ही पत्थर, ईंट या चप्पल फेंके। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने जामिया छात्रों के समर्थन में नारे लगाए। इधर मऊ में प्रदर्शन हिंसात्मक हो गया और प्रदर्शनकारियों ने दक्षिण टोला में मिर्ज़ा हादी चौक क्षेत्र में कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस के अनुसार उन्होंने पथराव किया और पुलिस थाने में टेबल, कुर्सियों और बाइक को नुक़सान पहुँचाया। पुलिस का कहना है कि स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन नियंत्रण में है।
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ एक के बाद एक कई विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन की ख़बरें हैं। सोमवार को मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ में भी प्रदर्शन हुआ। पटना में भी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। हैदराबाद के मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने प्रदर्शन किया है। बीएचयू में भी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं।
नदवा कॉलेज में प्रदर्शन के बढ़ने की आशंका को देखते हुए भारी तादाद में पुलिस गेट के बाहर तैनात रही। पथराव के दौरान ही छात्र गेट के बाहर निकलने का प्रयास करते रहे। कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि छात्रों के ख़िलाफ़ पुलिस ने भी पत्थर फेंके।
बता दें कि दिल्ली के जामिया मिल्लिया इसलामिया विश्वविद्यालय में प्रदर्शन के बाद विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन तेज़ हुए हैं। जामिया में रविवार को प्रदर्शन के दौरान काफ़ी हिंसा हुई थी। बसों सहित कई वाहनों को आग लगा दी गई थी। बाद में प्रदर्शन कर रहे छात्रों के ख़िलाफ़ कैंपस परिसर में कथित तौर पर पुलिस कार्रवाई से विवाद खड़ा हो गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ़ से कहा गया कि पुलिस विश्वविद्यालय प्रशासन की बिना अनुमति के ही कैंपस में घुसी, फिर छात्रों को पीटा गया और उन्हें कैंपस से बाहर निकाला गया। छात्रों के ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई के विरोध में जामिया और जेएनयू के छात्रों ने देर रात को दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। इससे पहले जामिया में शुक्रवार को भी ज़बरदस्त प्रदर्शन हुआ था। तब पथराव भी हुआ था और पुलिस ने लाठीचार्ज किया था।
इस बीच रविवार को ही अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में प्रदर्शन इतना बढ़ गया था कि वहाँ पाँच जनवरी तक छुट्टी कर दी गई और शहर में इंटरनेट बंद कर दिया गया।
उत्तर-पूर्वी राज्यों के विश्वविद्यालयों में काफ़ी लंबे समय से छात्र ज़बरदस्त प्रदर्शन करते रहे हैं। नॉर्थ-ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया है।
बता दें कि उत्तर-पूर्वी राज्यों और पश्चिम बंगाल में भी विरोध-प्रदर्शन हिंसात्मक हो गए हैं। असम में इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग घायल हैं। डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी और शिलांग में कर्फ़्यू लगाना पड़ा है। असम के साथ ही त्रिपुरा में सेना को तैनात करना पड़ा है। इन राज्यों में मोबाइल इंटरनेट बंद करना पड़ा है। पश्चिम बंगाल में भी प्रदर्शन हिंसात्मक हो गया है।