आठ महीने पहले प्रियंका गाँधी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस प्रभारी के तौर पर काम शुरू किया था। कुछ ही दिनों में प्रियंका को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ज़मीनी हक़ीक़त, प्रदेश दफ़्तर में मंडराते गगनबिहारी चेहरों और जनता पर उनकी पकड़ का एहसास हो गया था।
लोकसभा चुनाव में बुरी तरह मात खाने के बाद रायबरेली में सांसद प्रत्याशियों के साथ चुनाव की समीक्षा करते हुए अपनी टीम के एक सदस्य के उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ़्तर में बैठकर कामकाज करने के सुझाव पर प्रियंका ने कहा था, पूरी झाड़ू लगा दो तब ही मैं ठीक से काम शुरू करुंगी। अंग्रेजी में उन्होंने दोहराया था आई वुड लाइक टू स्टार्ट फ़्रॉम स्क्रैच।
सोमवार को जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमेटी का एलान हुआ तो प्रियंका ने बहुत कुछ वही कर दिखाया जो वह चाहती थीं। प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को बनाया गया, जिन्हें अब से कुछ महीने पहले तक प्रदेश कार्यालय में कोई बैठने के लिए कुर्सी भी ऑफ़र नहीं करता था। कमेटी में रखे गए 41 लोगों में से ललितेश पति त्रिपाठी, देवेंद्र सिंह जैसे इक्का-दुक्का चेहरों को छोड़कर कोई भी कभी कांग्रेस में किसी पद पर तो दूर यूपीसीसी में किसी बैठक में अगली कतार तक में ही नहीं बैठाया गया।
घूम-फिर कर हर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में नज़र आने वाले तमाम दिग्गजों को यूपी कांग्रेस की नई कमेटी में मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया है और बहुत कुछ कर दिखाने का दावा करने वालों को रणनीति तैयार करने वाली एक समिति बनाकर वहां समायोजित कर दिया गया है।
तमाम आरोपों का दंश झेलने के बाद भी जेएनयू के अध्यक्ष रहे व प्रियंका गाँधी के राजनीतिक सचिव संदीप सिंह की ख़ुद की टीम का कोई सदस्य दिन-रात एक कर देने के बाद भी नयी टीम में नहीं रखा गया है।
प्रियंका के साथ काम करने वालों का कहना है कि प्रदेश कमेटी के बाद जल्द घोषित होने वाली जिला व शहर कमेटियों में भी बहुत कुछ बदलने वाला है। प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा को कांग्रेस विधान मंडल दल का नेता बनाकर उन्हें भी संतुष्ट किया गया है।
सड़क पर लड़ने का ईनाम मिला लल्लू को
लोकसभा चुनावों के दौरान प्रियंका गाँधी की ओर से निकाली गयी गंगा यात्रा में उनके साथ हर क़दम पर अब तक कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता रहे अजय कुमार लल्लू साथ दिखाई दिये। इसी यात्रा के दौरान प्रियंका गाँधी को लल्लू की सादगी, कार्यकर्ताओं के साथ उनका व्यवहार और मेहनत करने का जज्बा पसंद आया। लोकसभा चुनाव में खेत रहने के बाद भी लल्लू के आंदोलनकारी तेवर बरकरार रहे और जब उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया तो उन्होंने एक के बाद एक कई आंदोलन ज़मीन पर किए।
लल्लू का पिछड़े समुदाय से आना, प्रदेश कांग्रेस में किसी गुट से संबद्ध न होना और विपरीत हालात में भी लगातार दो बार विधायक का चुनाव जीतना उनके पक्ष में गया।
पी.वी.राजगोपाल की एकता परिषद से जुड़ाव के चलते अजय कुमार लल्लू को न केवल जन आंदोलनों का तजुर्बा व समझ थी और वह हाल के दिनों में उम्भा, उन्नाव, बिजली समस्या और बदांयू कांड के दौरान दिखी भी।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं से टीम प्रियंका के लिए गए फ़ीडबैक में लल्लू जैसे नेता को ही अगुआ बनाने का मशविरा निकल कर आया। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत से बेजार और बड़े नेताओं की सिर फुटौव्वल के बीच प्रियंका गाँधी को प्रदेश अध्यक्ष के लिए लल्लू सबसे बेहतर विकल्प लगे। इस सबसे ऊपर प्रियंका गाँधी एक ऐसा नया चेहरा भी चाहती थीं जो इससे पहले प्रदेश कांग्रेस में किसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को न संभाल चुका हो।
नए चेहरों, आंदोलनकारियों को तरजीह
कांग्रेस की रवायत से इतर इस बार प्रदेश अध्यक्ष के नाम के साथ ही प्रदेश कमेटी के पदाधिकारियों के नामों का भी एलान किया गया है। इन पदाधिकारियों के चयन के लिए भी प्रियंका गाँधी की टीम ने तीन महीने तक लगातार होमवर्क किया। एक-एक पदाधिकारी को चुनने से पहले उसके बारे में जानकारी जुटाई, जातीय-क्षेत्रीय समीकरण देखे, जनता के बीच स्वीकार्यता को जाना और कार्यकर्ताओं से मौक़े पर जाकर फ़ीडबैक लिया।
पहली बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पदाधिकारी एसी कमरे में बैठ कर कागजों पर तय नहीं किए गए बल्कि फ़ील्ड में तलाशे गए। इसी का नतीजा है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी में घोषित 41 नामों में से कुछ को छोड़कर ज़्यादातर की कुंडली तलाशने पर भी कांग्रेस की राजनीति के माहिर लोगों को नहीं मिल पा रही है।
नई कमेटी की औसत आयु 40 साल की है। इसमें बाहर से आए दूसरे दलों के लोगों से भी परहेज नहीं किया गया है। लोकसभा चुनावों के पहले कांग्रेस में आने वाले वीरेंद्र चौधरी, राकेश सचान, कैसर जहां, धीरेंद्र प्रताप धीरु सरीखे कई नाम इसी तरह के हैं जो अब कांग्रेस मुख्यालय में बड़ी जिम्मेदारी संभालेंगे। अपवाद के तौर पर ललितेशपति त्रिपाठी ज़रूर हैं पर उम्भा कांड के दौरान उनकी सक्रियता, मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र में पकड़ और पॉश बैकग्राउंड का होने के बाद भी आंदोलनों को लेकर उनके उत्साह ने प्रियंका को प्रभावित किया।
ठेका-पट्टा कर बड़ी गाड़ियों में घूमने वाले नौजवान पहली बार कांग्रेस कमेटी में नहीं नज़र आ रहे हैं। हमीरपुर में बिना संसाधन 17000 वोट बटोरने वाले हरदीपक निषाद हों या रिहाई मंच के संस्थापक रहे शाहनवाज आलम, प्रदेश कांग्रेस कमेटी में समय देने वाले, लड़ने वाले और जमीन पर काम करने वाले नौजवानों को तरजीह मिली है।
पिछड़ों-दलितों को तरजीह, महिलाओं का टोटा
यूपी कांग्रेस की नई कमेटी में पिछड़ों को ख़ास तरजीह दी गयी है। पिछड़ों में भी यादवों को कम और अतिपिछड़ी जातियों को ज़्यादा जगह मिली है। अपने-अपने इलाक़े में प्रभाव रखने वाले ग़ैर यादव पिछड़ा नौजवान नेताओं को सीधे प्रदेश की राजनीति में लाया गया है। वहीं सामाजिक आंदोलनों से जुड़े लोगों को भी जगह दी गयी है।
12 महासचिवों में गजब का जातीय संतुलन बैठाते हुए दलित, पिछड़ा, अगड़ा, अल्पसंख्यक व महिला सबका तालमेल बैठाया गया है। इनमें चौधरी घूराम लोधी, राकेश सचान, अनिल यादव पिछड़ा वर्ग से तो युसुफ अली, बदरुद्दीन कुरैशी अल्पसंख्यक, आलोक पासी दलित, विश्वविजय सिंह ठाकुर, योगेश दीक्षित ब्राह्मण, राहुल राय भूमिहार, शबाना खंडेलवाल वैश्य और वीरेंद्र सिंह जाट समाज से हैं।
इसी तरह का सामंजस्य सचिवों की सूची में भी दिखता है। हालांकि महिला आरक्षण की पुरजोर वकालत करने वाली सोनिया गाँधी की कांग्रेस में महिलाओं को टोटा ज़रूर यूपी कांग्रेस कमेटी में दिखाई देता है। पूरी कमेटी में महज चार महिलाएं हैं, जो कमेटी का कुल 10 फ़ीसदी ही हैं।
सलाहकार की भूमिका में रखे गये दिग्गज
यूपी कांग्रेस की 41 सदस्यों की कमेटी से इतर दो अन्य समितियां भी बनायी गयी हैं। इन समितियों में कांग्रेसी दिग्गजों को एडजस्ट करने की कवायद की गयी है। संगठन में काम करने का जिम्मा जहां नए लोगों को दिया गया है, वहीं 18 सदस्यों वाली सलाहकार समिति में प्रमोद तिवारी, सलमान खुर्शीद, आरपीएन सिंह, पीएल पूनिया, निर्मल खत्री, प्रदीप माथुर, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मोहसिना किदवई, प्रवीण एरन, रंजीत सिंह जुदेव, अजय राय, अजय कपूर, संजय कपूर, विवेक बंसल, राजेश मिश्रा व राशिद अल्वी को रखा गया है।
पार्टी ने रणनीति व योजना पर काम करने के लिए एक वर्किंग ग्रुप भी बनाया है। बताया जाता है कि वर्किंग ग्रुप की जिम्मेदारी सलाहकार मंडल से ज़्यादा और सक्रिय होगी। इस ग्रुप में जितिन प्रसाद, आरके चौधरी, राजीव शुक्ला, इमरान मसूद, प्रदीप जैन, ब्रजलाल खाबरी, राजाराम पाल और राजकिशोर सिंह को रखा गया है।
जिला-शहर अध्यक्षों में भी दिखेगा बदलाव
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओवरहालिंग के बाद प्रियंका गाँधी के एजेंडे पर जिला व शहर कमेटियां हैं। अब तक बड़े नेताओं की जेब में रहने वाली जिला कमेटियों में इस बार बड़े पैमाने पर बदलाव होगा। टीम प्रियंका के सदस्यों को हर जिले व प्रमुख शहरों का दौरा कर उनसे फ़ीडबैक लेने व ब्यौरा जुटाने के काम पर लगाया गया है। नेताओं व कार्यकर्ताओं की राय जानी गयी है। स्थानीय मीडिया के लोगों से भी बात की गयी है। क्षेत्र विशेष के जातीय समीकरणों को भी समझा गया है।
माना जा रहा है कि अगले दो हफ़्तों में जिला व शहर कांग्रेस कमेटियों का भी एलान होगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश का फ़ील्डवर्क पूरा हो चुका है जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर काम चल रहा है। इस बार प्रियंका की योजना प्रदेश के हर जिले में नया अध्यक्ष नियुक्त करने की है।