उत्तर प्रदेश की सियासत में चल रही जबरदस्त उथल-पुथल के बीच सिर्फ़ बीजेपी ही नहीं कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। विधानसभा चुनाव में अभी 8 महीने का वक़्त बचा है लेकिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी से जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश में जुट जाने को कहा है। प्रियंका उत्तर प्रदेश में पार्टी की प्रभारी भी हैं।
चुनौती का सामना
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के हालात बेहद ख़राब हैं, इसमें कोई शक नहीं है। प्रियंका के अलावा कोई ऐसा बड़ा चेहरा पार्टी में नहीं है जो भीड़ जुटा सके और पार्टी के लिए कुछ वोट भी बटोर सके। ऐसे में कांग्रेस नेत्री की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं और वह इसे समझती भी हैं, तभी शायद उन्होंने प्रत्याशियों की खोज-परख का काम थोड़ा पहले ही शुरू कर दिया है।
नाम भेजें जिला अध्यक्ष
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक़, प्रियंका ने पार्टी के जिला अध्यक्षों से कहा है कि वे चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उतरने के इच्छुक नेताओं के नाम भेजें। प्रदेश पदाधिकारियों से भी इस संबंध में जानकारी देने के लिए कहा गया है। एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक़, कांग्रेस ने जिन लोगों को हालिया जिला पंचायत चुनाव में समर्थन दिया था और उन्होंने अगर अच्छा प्रदर्शन किया है तो उन्हें टिकट में वरीयता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पार्टी बहुत जल्द इस कसरत को पूरा करेगी।
कांग्रेस ने दावा किया है कि उसे प्रदेश की 270 जिला पंचायत सीटों पर जीत मिली है और उसने कुल 1 करोड़ 10 लाख से ज़्यादा वोट हासिल किए हैं और यह 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल मिले वोटों से दोगुने हैं। इन नतीजों से पार्टी का उत्साह दोगुना हो गया है।
‘सेवा सत्याग्रह’ अभियान
पार्टी ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंचने के लिए ‘सेवा सत्याग्रह’ अभियान चला रही है। इसके तहत गांवों में लोगों को लाखों मेडिकल किट दी जा रही हैं। कांग्रेस ने 823 ब्लॉक के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और 86 डॉक्टर्स की एक टीम को भी इस अभियान में लगाया हुआ है।
उत्तर प्रदेश के सियासी माहौल पर देखिए वीडियो-
सक्रिय रही हैं प्रियंका
प्रियंका को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए ख़राब रहे थे। बावजूद इसके प्रियंका योगी सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करती रहीं और सीएए विरोधी प्रदर्शनों के अलावा लॉकडाउन के दौरान भी वह काफी सक्रिय रहीं।
प्रियंका ने बीजेपी के साथ मित्रता निभाने के आरोप को लेकर मायावती और अखिलेश यादव पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोला और किसान आंदोलन के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर किसान महापंचायत कर पार्टी को खड़ा करने की कोशिश की।
कामकाज पर प्रियंका की नज़र
कांग्रेस ने कुछ महीने पहले 5 लाख सोशल मीडिया वॉरियर्स की तैनाती की है और वह डिजिटल मीडिया में बीजेपी को चुनौती देने की कोशिश कर रही है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस की इकाई और सोशल मीडिया टीम के कामकाज पर भी प्रियंका लगातार नज़र बनाए रखती हैं।
मजबूत साथी की ज़रूरत
कांग्रेस ने लंबे वक़्त तक उत्तर प्रदेश में एकछत्र राज किया लेकिन मंडल-कमंडल की राजनीति के कारण वह बुरी तरह कुछ सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस के सामने मुश्किल यही है कि उसके पास कोई मजबूत साथी नहीं है।
अगर कांग्रेस एसपी और आरएलडी के गठबंधन में शामिल हो जाए, जिसकी कोशिश 2019 के लोकसभा चुनाव में भी ख़ूब हुई थी तो कुछ बात बेहतर बन सकती है लेकिन कहा जाता है कि तब बीएसपी के चलते कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं हो सकी थी, इस बार बीएसपी इस गठबंधन से बाहर है तो ऐसे में कांग्रेस के लिए मौक़ा बन सकता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह एसपी के साथ गठबंधन कर मैदान में उतर चुकी है।
एसपी और आरएलडी के गठबंधन ने पंचायत चुनाव में बीजेपी को पटखनी दी है और कांग्रेस के पास पूरे प्रदेश में कार्यकर्ता हैं। अगर यह गठबंधन बन जाए तो अच्छे वोट हासिल कर सकता है लेकिन अगर कांग्रेस अकेले लड़ी तो फिर वह अपने पुराने प्रदर्शन में कितना सुधार कर पाएगी, कहना मुश्किल है।