उत्तर प्रदेश में बीजेपी दावे तो करती है कि वह विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी लेकिन उसके नेताओं के बयानों से ऐसा क़तई नहीं लगता। विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने की तैयारी कर रहे एआईएमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी बहराइच जाकर सैयद सालार मसूद गाज़ी की मज़ार पर चादर क्या चढ़ा आए, बीजेपी ने उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।
एआईएमआईएम सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के द्वारा बनाए गए भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल है और ओवैसी ने हाल ही में एलान किया है कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके लिए वह लगातार उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं।
चुनावी तैयारियों के तहत ओवैसी गुरूवार को बहराइच में पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी के दफ़्तर का उद्घाटन तो किया ही, वहां बनी सैयद सालार मसूद गाजी की मज़ार पर पहुंचे और चादर चढ़ाई। इसे लेकर बीजेपी की ओर से यूपी सरकार के मंत्री अनिल राजभर सामने आ गए।
‘देशभक्तों का अपमान’
अनिल राजभर ने एएनआई से कहा है कि सैयद सालार गाज़ी की मज़ार पर चादर चढ़ाने से पूरे राजभर समाज का और महाराजा सुहेलदेव का अपमान हुआ है और यह राष्ट्रदोह से भी बढ़ा अपराध है। उनका कहना है कि सैयद सालार गाजी विदेशी आक्रांता था और ओवैसी और राजभर अपने राजनीतिक स्वार्थ में अंधे होकर देशभक्तों का अपमान कर रहे हैं।
इस विवाद पर ओम प्रकाश राजभर ने एएनआई से कहा है कि वो एक अलग समय था जब विदेशी आक्रमणकारी आए थे और लड़ाई हुई और मारे गए, आज देश में लोकतंत्र है और ओवैसी सांसद हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती और बीजेपी ने भी मिलकर सरकार बनाई थी।
राजभर ने कहा कि वह ओवैसी की पार्टी के दफ़्तर के उद्घाटन में साथ थे लेकिन वह ओवैसी के साथ मज़ार पर नहीं गए थे। उन्होंने कहा कि ओवैसी कहीं पर भी जाने के लिए आज़ाद हैं।
कौन हैं महाराजा सुहेलदेव
महाराजा सुहेलदेव के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 11वीं शताब्दी की शुरुआत में बहराइच में महमूद ग़ज़नवी के सेनापति सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी को पराजित कर उसे मार डाला था। 17वीं शताब्दी की फारसी भाषा के मिरात-ए-मसूदी में इसका उल्लेख है। कहा जाता है कि श्रावस्ती, बहराइच आदि इलाक़ों में महाराजा सुहेलदेव का शासन था।
जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है, उससे साफ लगता है कि उत्तर प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव हर चीज को हिंदू-मुसलिम का मुद्दा बनाकर ही लड़ा जाएगा। ऐसे में जो असल मुद्दे हैं, वे कहीं खो जाएंगे और पूरा चुनाव ध्रुवीकरण पर आधारित होता दिख रहा है।
चुनावी तैयारियों में जुटे
ओवैसी-राजभर सहित कुछ और छोटे दल मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं और इन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। ओमप्रकाश राजभर जहां अति पिछड़ों के साथ ही दलित समाज को जोड़ने में जुटे हैं वहीं ओवैसी लगातार मुसलिम बहुल सीटों पर पहुंचकर मुसलमानों को एकजुट कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की आबादी 45 फ़ीसदी, दलितों की 21 फ़ीसदी और मुसलमानों की आबादी 19 फ़ीसदी है। ऐसे में भागीदारी संकल्प मोर्चा बीजेपी विरोधी वोटों में सेंध लगाने में सफल रहा तो एसपी, बीएसपी और कांग्रेस का खेल ज़रूर बिगाड़ सकता है और इसका सीधा फ़ायदा बीजेपी को होगा।
कांग्रेस, एसपी और बीएसपी को डर इसी बात का है कि ओवैसी के आने से कहीं मुसलिम मतदाता उनकी ओर चले गए और दूसरी ओर बीजेपी हिंदू मतों के ध्रुवीकरण में सफल रही तो इससे उन्हें चुनाव में नुक़सान हो सकता है। इसलिए आने वाले दिनों में ओवैसी पर बीजेपी के साथ-साथ इन दलों के भी हमले तेज़ हो सकते हैं।