नोएडा एसएसपी निलंबित, व्हिसलब्लोअर होने की सज़ा या सेक्स-चैट की शर्मिंदगी?

08:46 pm Jan 09, 2020 | कुमार तथागत - सत्य हिन्दी

उत्तरप्रदेश की नौकरशाही में भूचाल ला देने वाले नोएडा सीनियर पुलिस सुपरिटेंडेंट के स्टिंग और मुख्यमंत्री से गोपनीय शिकायत के मामले में सरकार ने कार्रवाई की है। व्हिसलब्लोअर और नोएडा के एसएसपी आईपीएस वैभव कृष्ण को निलंबित कर दिया गया है। जिन पुलिस अफसरों पर पैसे लेकर पोस्टिंग कराने का आरोप वैभन कृष्णा ने लगाया था, उन्हें भी ज़िलाबदर कर दिया गया है। 

बता दें कि बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश ही नही देश भर में नोएडा पुलिस कप्तान से एक महिला के साथ सेक्स चैट का वीडियो वायरल हो रहा था। वैभव कृष्ण ने वायरल चैट के जवाब में मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया अपना एक गोपनीय शिकायती पत्र सार्वजनिक कर हंगामा खड़ा कर दिया था।

सरकार की किरकिरी

गोपनीय पत्र में कुछ आईपीएस अफसरों द्वारा पैसे देकर मनचाहा पोस्टिंग लेने के खेल का खुलासा किया था। मामले में काफी किरकिरी होते देख उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इसकी जाँच अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ को सौंपी थी। इस पूरे मामले में मुख्यसचिव का जनसंपर्क देखने वाले सूचना अधिकारी को भी हटा दिया गया है।

फोरेंसिक रिपोर्ट

प्रकरण की जाँच कर रहे अपर पुलिस महानिदेशक ने वायरल वीडियों को गुजरात की फोरेंसिक लैब में टेस्ट के लिए भेजा था। होटल के बंद कमरे में एक महिला से चैट की वायरल वीडियो की गुजरात के फोरेंसिक लैब से रिपोर्ट आते ही आईपीएस वैभव कृष्णा को सस्पेंड कर दिया गया।

फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट में वह वीडियो और चैट सही पाई गई जिसे वैभव कृष्णा ने फ़र्जी बताया था। फ़ोरेंसिक जाँच में सामने आया कि वीडियो एडिटेड और मार्फ्ड नहीं था। फोरेसिंक लैब की रिपोर्ट में साफ लिखा है, ‘वीडियो में एडिट करने का कोई सबूत नहीं मिला, बदलाव करने या मॉर्फ़िंग करने का कोई सबूत नहीं मिला।’

ग़ौरतलब है कि  वैभव ने वायरल वीडियो के संबंध में खुद कराई थी एफ़आईआर, जिसका संज्ञान में लेते हुए प्रदेश सरकार ने  मेरठ के एडीजी और आईजी को जाँच करने को कहा था। इसी जाँच के दौरान आईजी ने फोरेंसिक लैब को वीडियो भेजा था।

वीडियो वायरल

वीडियो वायरल होने के बाद आईपीएस  वैभव ने पत्रकार वार्ता खुद बुलाकर जानकारी दी थी और इसी पत्रकार वार्ता में शासन को भेजी गई गोपनीय रिपोर्ट को लीक  कर दिया था।

ट्रांसफ़र-पोस्टिंग में पैसों का खेल

शासन को भेजे अपने गोपनीय पत्र में आईपीएस वैभव कृष्णा ने प्रदेश में मनचाहे जिलों में ट्रांसफ़र पोस्टिंग के लिए चल रहे पैसों के खेल जानकारी दी थी।

उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तैनात कुछ आईपीएस अफसरों की शिकायत करते हुए कहा था कि अच्छे ज़िलों में तैनाती के लिए पैसों का खेल चल रहा है। पूरे मामले में बीजेपी व संघ से संबंध रखने वाले कुछ लोगों का नाम सामने आया था।

पूरे प्रकरण में संघ के लखनऊ स्थित एक पदाधिकारी पर भी उंगली उठाई गयी थी। आईपीएस ने उनसे पहले नोएडा में तैनात रहे पुलिस कप्तान अजयपाल शर्मा को पूरे खेल में शामिल बताते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। कुछ दिन पहले नोएडा में गिरफ़्तार हुए 5 पत्रकारों के मामले को भी आईपीएस वैभव कृष्णा ने इसी मामले से जोड़ा था। आईपीएस वैभव के पत्र का मामला सार्वजनिक होने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने उसके उनके सामने न रखे जाने को लेकर भी नाराज़गी जतायी थी।

दूसरों पर भी कारवाई

प्रदेश सरकार ने प्रवक्ता की ओर से दी गयी जानकारी के मुताबिक़, अधिकारी आचरण नियमावली के उल्लंघन किये जाने के कारण वैभव कृष्णा सस्पेंड हुए हैं। वैभव कृष्ण के ख़िलाफ़ विभागीय जाँच के आदेश भी दिए गए हैं। इस पूरे मामले में अब लखनऊ के एडीजी एस. एन. साबत करेंगे जांच और उन्हें जल्द से जल्द रिपोर्ट देनी होगी।

वैभव कृष्ण प्रकरण में आरोपों के दायरे में आए सभी पांच आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ सीएम योगी ने सख़्त रवैया अपनाते हुए पाँचों को ज़िलों से हटा दिया था।

एसआईटी गठित

इस मामले में एक तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है। आज ही गठित इस  एसआईटी का प्रमुख वरिष्ठतम आईपीएस अफ़सर और डीजी विजलेंस हितेश चंद्र अवस्थी को, बनाया गया है जबकि दो सदस्य आईजी एसटीएफ अमिताभ यश और एमडी जल निगम विकास गोठलवाल बनाए गए हैं। 

एसआईटी को 15 दिनों के भीतर जाँच पूरी करने के आदेश, देते हुए कहा गया है कि रिपोर्ट आते ही सख़्त कार्रवाई होगी। प्रदेश सरकार ने कहा है कि जाँच प्रभावित ना कर सकें, इसलिए सभी पांचों पुलिस अफसरों को फील्ड से हटाया गया है। इनकी जगह नए अधिकारियों की तैनाती की गई और सभी को तत्काल ज्वाइनिंग के आदेश दिए गए हैं। इस प्रकरण की जाँच में वरिष्ठ अफसरों एवं एसटीएफ टीम भी लगाई गई है।

इसी प्रकरण में दिवाकर खरे, निदेशक मीडिया, मुख्य सचिव को भी पद से हटाते हुए इन्हें सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मंडलायुक्त कार्यालय लखनऊ से संबंद्ध किया गया। इनके ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश सरकारी नियमावली (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के अंतर्गत आरोप पत्र जारी करते हुए विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए प्रकरण की जांच की जाएगी।