2013 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में हुए दंगों को लेकर दर्ज 77 मुक़दमों को उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस ले लिया है। सरकार ने इसके पीछे कोई वजह भी नहीं बताई है। विधायकों-सांसदों के ख़िलाफ़ दर्ज़ मुक़दमों को लेकर एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जमा की गई रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मामलों की जांच हाई कोर्ट के द्वारा की जा सकती है। यह रिपोर्ट विधायकों के ख़िलाफ़ दर्ज लंबित मुक़दमों से जुड़ी है। उत्तर प्रदेश के अलावा बाक़ी कई राज्यों ने भी अपने विधायकों के ख़िलाफ़ दर्ज कई मुक़दमों को वापस ले लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था निर्देश
कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायकों और सांसदों के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमों को हाई कोर्ट की इजाजत के बिना बंद नहीं किया जा सकेगा। अदालत ने यह भी कहा था कि राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटे के भीतर आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक करना होगा।
अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह को निलंबित करने की मांग की गई थी जो अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा नहीं करते हैं।
मुज़फ्फरनगर दंगे
मुज़फ्फरनगर दंगों में भीड़ ने सचिन और गौरव की हत्या कर दी थी। इस मामले में 27 अगस्त, 2013 को कवाल गांव में जाट समुदाय की महापंचायत बुलाई गई थी। महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमला हुआ था। इसके बाद दंगे शुरू हुए थे, जो मुज़फ्फरनगर और इसके आस-पास के जिलों में फैल गए थे। इन दंगों में 62 लोगों की मौत हो गई थी और 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों को बेघर होना पड़ा था।
मुज़फ्फरनगर में हुए दंगों को लेकर 6,869 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ 510 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 175 मामलों में चार्जशीट दायर की गई थी, 165 में फ़ाइनल रिपोर्ट लगाई गई थी और 170 मामलों को ख़त्म कर दिया गया था।
हंसारिया ने अपनी रिपोर्ट में कर्नाटक सरकार का भी जिक्र किया है, जिसने बिना वजह बताए 62 मुक़दमे वापस लिए हैं। इसी तरह तमिलनाडु ने चार मुक़दमे, तेलंगाना ने 14 और केरल सरकार ने 36 मुक़दमे वापस ले लिए हैं।
बीते साल दिसंबर में उत्तर प्रदेश सरकार ने बीजेपी विधायक संगीत सोम, सुरेश राणा, कपिल देव और साध्वी प्राची के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमों को वापस लेने की बात कही थी। क्योंकि योगी सरकार विधानसभा में एक विधेयक लेकर आई थी, जो राजनेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज 20 हज़ार मुक़दमों को वापस लेने से संबंधित था। राज्यपाल ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर भी कर दिए थे।
मुज़फ्फरनगर दंगों के बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिली थी और हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल का सफाया हो गया था।