उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुसलिमों को मसजिद के लिये अयोध्या से दूर ज़मीन देने के फ़ैसले की मुसलिम संगठनों ने निंदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर निर्माण के लिये ट्रस्ट बनाने की घोषणा की और कहा कि यह ट्रस्ट राम मंदिर निर्माण से जुड़े सभी फ़ैसले लेने के लिये स्वतंत्र होगा। लेकिन कांग्रेस और एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस एलान की टाइमिंग पर सवाल उठाया और कहा कि दिल्ली के चुनाव में सियासी फायदे के लिये इस वक्त़ यह घोषणा की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर दिये अपने आदेश में कहा था कि सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को 5 एकड़ ज़मीन दी जाये। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध किया गया और राज्य सरकार ने इसकी अनुमति प्रदान कर दी है। इसके बाद राज्य सरकार ने घोषणा की कि अयोध्या में जिला मुख्यालय से 18 किमी. दूर सोहावल के धन्नीपुर गांव में मसजिद के लिये 5 एकड़ जमीन दी जाएगी।
ऑल इंडिया मुसलिम मजलिस ए-मुशावरत के पूर्व अध्यक्ष ज़फर इस्लाम ख़ान ने कहा, ‘इस ज़मीन को कोई नहीं लेगा। सुन्नी वक्फ़ बोर्ड सरकारी संस्था है। वह इसके लिये कैसे मना करेंगे। लेकिन अगर आप मुसलिम समुदाय से पूछेंगे तो किसी को इस ज़मीन की ज़रूरत नहीं है।’ ख़ान ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि वहां कभी मसजिद बनेगी और अगर बनती है तो भी कोई वहां नमाज़ पढ़ने के लिये नहीं जायेगा। मुझे लगता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले रणनीति के तहत यह क़दम उठाया गया है।’ ज़फर इस्लाम ख़ान दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के भी अध्यक्ष हैं।
ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और बाबरी मसजिद एक्शन कमेटी के संयोजक ज़फरयाब जिलानी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का अयोध्या जिला मुख्यालय से 18 किमी. दूर ज़मीन देने का फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट के इस्माइल फ़ारूक़ी केस में दिये गये फ़ैसले के ख़िलाफ़ है। जिलानी ने ‘इंडिया टुडे’ के साथ बातचीत में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सरकार से ज़मीन शहर के अंदर ही देने के लिये कहा था। उन्होंने कहा कि ज़मीन को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।’ जिलानी ने कहा, एआईएमपीएलबी और बाबरी मसजिद एक्शन कमेटी यह पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे मसजिद के एवज में कोई भी ज़मीन लेने के लिये तैयार नहीं हैं।
जिलानी ने कहा कि फैज़ाबाद का नाम बदल देने से वह अयोध्या नहीं हो जाएगा। राम जन्मभूमि-बाबरी मसजिद मामले में मुद्दई इक़बाल अंसारी ने कहा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में अयोध्या की ग़लत व्याख्या की है। अंसारी ने कहा, असल केस में अयोध्या का मतलब अयोध्या कस्बे से है जो 5 किमी. में फैला है। लेकिन सरकार ने फैज़ाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया और जिले के रौनोही इलाक़े में ज़मीन दी है।
लोकसभा सांसद और एआईएमपीएलबी के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सभी मुसलिम बुद्धिजीवियों की राय यही है कि मसजिद बनाने के लिये जमीन नहीं ली जानी चाहिए। जमीयत-उलेमा-ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि उनके संगठन का यह फ़ैसला है कि राम जन्मभूमि साइट हमेशा मसजिद बनी रहेगी।