राम मंदिर का शिलान्यास करने के बाद अपने भाषण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'जय सियाराम' के नारे से की। यह अहम इसलिए है कि राम मंदिर आन्दोलन से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले तक 'जय श्री राम' का नारा लगाया जाता था।
स्वयं नरेंद्र मोदी ने यह नारा एक बार नहीं, कई बार लगाया है। वह कई बार चुनाव रैलियों और आमसभाओं में यह नारा लगा चुके हैं। वे ही नहीं, तमाम बीजेपी नेता इस नारे को सैकड़ों बार लगा चुके हैं।
जय सियाराम!
पर्यवेक्षकों का कहना है कि 'जय श्री राम' के नारे में एक तरह की आक्रामकता थी, हिन्दू वोट बैंक को ध्यान में रख कर यह नारा लगाया जाता था। पर 'जयसियाराम' का नारा बिल्कुल अलग है, इसमें एक तरह की सौम्यता है।पर्यवेक्षकों का यह भी कहना है कि 'जय सियाराम' हिन्दी भाषी इलाक़ों, ख़ास कर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में आम लोगों में सम्बोधन का जरिया है, लोग नमस्कार की तरह इसका इस्तेमाल करते हैं। पर 'जय श्री' राम के नारे के साथ ऐसा नहीं है।
'जय श्री राम' से 'जय सियाराम' के बदलाव को काफ़ी सकारात्मक तरीके से देखा जा सकता है। अब यह समझा जाता है कि बीजेपी उस पुरानी आक्रामकता की जगह इन नए सर्वग्राही नारे को अपनना चाहती है। इसकी एक वजह यह भी है कि अब पार्टी को उस आक्रामकता की ज़रूरत नहीं है।