चारो ओर चर्चा का केंद्र बने प्रयागराज कुंभ के दौरान ही उत्तर प्रदेश में अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले चुनावों पर भी लोगों की निगाहें लगी हुयी हैं। महज कुछ महीने पहले अयोध्या की लोकसभा सीट हार चुकी भारतीय जनता पार्टी इस उपचुनाव को जीत अपने सम्मान को बचाने के साथ ही देश भर में संदेश देना चाहती है कि राम नगरी में उसकी हार महज एक संयोग ही था।
कुंभ के मेला क्षेत्र के ताबड़तोड़ दौरे कर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ मिल्कीपुर में अब एक बार रैली कर चुके हैं और शुक्रवार को फिर से पहुंच रहे हैं। योगी अयोध्या लोकसभा सीट पर सपा की जीत को तुक्का बताते हुए यहां के सांसद अवधेश प्रसाद को दुर्भाग्य से बने एमपी बता चुके हैं। भाजपा सरकार के दर्जन भर मंत्री से लेकर सैकड़ों की तादाद में प्रदेश स्तर के नेताओं का जमावड़ा मिल्कीपुर में बीते कई महीने से लगातार लगा हुआ है।
भाजपा की तमाम कोशिशों व कवायदों के बीच समाजवादी पार्टी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आती है और खुद पार्टी मुखिया अखिलेश यादव दर्जनों बार यह दावा भी कर चुके हैं। अखिलेश यादव ही नहीं सपा और विपक्ष के ज्यादातर नेताओं का कहना है कि ईमानदारी से चुनाव होने की दशा में भाजपा का यहां से बुरी तरह से हारना तय है। आखिर कौन सी आशंका हैं जिनका जिक्र सपा मुखिया से लेकर विपक्ष के तमाम नेता और यहां तक कि मिल्कीपुर की जनता भी जता रही है।
उपचुनावों में सरकारी दबावः सपा मुखिया अखिलेश यादव से लेकर अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद और मिल्कीपुर उपचुनाव लड़ रहे उनके बेटे अजीत प्रसाद सहित सपा के सभी नेता सरकारी अधिकारियों के बेजा धबाव और अपने समर्थकों को धमकाने की शिकायतें कर रहे हैं। सपा का कहना है कि मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनावों के मद्देनजर योगी सरकार ने पूरे इलाके से पिछड़े-मुस्लिम और यहां तक कि दलित अधिकारियों, पुलिस वालों और अन्य कर्मियों को हटाकर अपने मनमाफिक लोगों को तैनात कर दिया है।
- सपा नेताओं का कहना है कि ग्राम प्रधान, अन्य पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर व्यापारी वर्ग और आम लोगों तक को भाजपा के पक्ष में खड़े होने का दबाव सरकारी अधिकारियों की ओर से डाला जा रहा है।
रामपुर मॉडल दोहराने की आशंका
सपा का कहना है कि जिस तरह से अल्पसंख्यक रामपुर विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा सरकार ने डरा धमका कर वोट ही नहीं पड़ने दिया और जीत हासिल कर ली थी उसी तरीके को मिल्कीपुर में भी अजमाया जा सकता है। मिल्कीपुर में सपा समर्थक यादव, मुस्लिम और अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद के सजातीय पासी मतों को पड़ने से रोकने के लिए सरकार डराने और धमकाने का प्रयास कर सकती है। हालांकि मिल्कीपुर में अल्पसंख्यक मतदाताओं की तादाद कम है और उनकी आबादी भी बिखरी हुयी है। इसलिए रामपुर की तर्ज पर यहां उन्हें मतदान से रोकना आसान नहीं होगा। इसके अलावा यादव मतदाताओं को भी मिल्कीपुर में रोक पाना उतना आसान नहीं है।
जमीन पर खासी मजबूत है सपा
मिल्कीपुर विधानसभा सीट लंबे समय से सपा का मजबूत गढ़ रही है। अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद यहीं से 2022 में विधायक चुने गए थे। उनके सांसद बनने पर इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। पासी, यादव और मुस्लिम बिरादरी के समर्थन के बूते सपा इस सीट पर खासी मजबूत स्थिति में रहती है। पिछले लोकसभा चुनावों में सपा का पिछड़ा-दलित-अलपसंख्यक (पीडीए) समीकरण खासा चला था और यादवों से इतर अन्य पिछड़ी जातियों के वोट भी इसे मिले थे।
पासी बनाम पासी की लड़ाई में सपा भारीः मिल्कीपुर में दलितों की एक लाख आबादी में सबसे ज्यादा पासी बिरादी की हिस्सेदारी है। सपा सांसद अवधेश प्रसाद पासी के बेटे अजीत प्रसाद को घेरने के लिए भाजपा ने इस बार उन्हे की बिरादरी के चंद्रभान पासवान को मैदान में उतार दिया है। हालांकि इसके बाद भी पासी बिरादरी के अधिकांश लोग सपा के साथ नजर आते हैं और इसका बड़ा कारण अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद हैं। अवधेश प्रसाद ने भाजपा प्रत्याशी को बाहरी बता कर इस लड़ाई को बाहरी बनाम स्थानीय करने का भी काम किया है। दरअसल भाजपा प्रत्याशी पड़ोस की रूदौली विधानसभा सीट के निवासी हैं और सपा प्रत्याशी इसी को मुद्दा बना रहे हैं।
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पीडीए समीकरण कमजोर नहीं बल्कि और मजबूत हुआ है जिसके बाद सपा प्रत्याशी यहां खासे भारी नजर आने लगे हैं। इसके अलावा सपा को इस सीट पर ब्राह्म्ण मतों से भी आस है जो ठाकुरवाद के आरोपों से घिरी योगी सरकार के खिलाफ कुछ हद तक उसके साथ आ सकते हैं।
भीतरघात थामने में जुटी भाजपा
भाजपा से इस सीट के लिए पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ टिकट मांग रहे थे। बाबा गोरखनाथ 2017 में अवधेश प्रसाद को हरा कर विधायक बने थे लिहाजा उनका दावा भी मजबूत था। इसके अलावा पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी से लेकर स्थानीय कई नेताओं ने टिकट की दावेदारी की थी। हालांकि भाजपा ने इन सबको दरकिनार पहले बसपा में रहे चंद्रभान पासवान को टिकट दिया। इस फैसले के बाद पार्टी की बड़ी ऊर्जा अपने नाराज नेताओं को मनाने में खर्च करनी पड़ी।
सपा ने थामे असंतोष के स्वर
मिल्कीपुर सीट से पहले कम्युनिस्ट पार्टी फिर सपा और बसपा में रहे मित्रसेन यादव कई बार विधायक चुने गए। उनके बेटे आनंदसेन भी इस सीट से विधायक रहे और पिछला लोकसभा चुनाव बसपा से लड़े थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव न केवल आनंदसेन को मनाकर अपने साथ ले आए बल्कि मित्रसेन परिवार के अन्य सदस्यों को भी चुनाव प्रचार में उतार चुके हैं। सांसद अवधेश प्रसाद के अपने बेटे को ही टिकट दिलवाने को लेकर उठी थोड़ी बहुत नाराजगी को भी जल्द खत्म करने में अखिलेश यादव कामयाब रहे हैं।
अखिलेश ने यूट्यूबरों से मांगी मदद
मिल्कीपुर चुनाव में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि देश भर के तमाम यूट्यूबरों को यहां आकर मतदान और मतगणना की कवरेज करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि धांधली न हो सके इसके लिए यूट्यूबर कारगर साबित हो सकते हैं। उनका कहना है कि मुख्यधारा की मीडिया पर सरकार का दबाव है इसलिए निष्पक्षचुनाव कराने में वैकल्पिक मीडिया सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।