बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के निशाने पर अब भारतीय जनता पार्टी नहीं बल्कि कांग्रेस है। लोकसभा चुनावों से ही जब तब कांग्रेस को आड़े हाथों लेती रहीं मायावती ने अब अपनी सारी ताक़त कांग्रेस विरोध में लगा दी है। आश्चर्यजनक रूप से इन दिनों बीजेपी के ख़िलाफ़ नरम पड़ गयीं मायावती ने कश्मीर को लेकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों को लेकर कुछ दिन पहले कोसा था तो अब उन्होंने बहुजनों की बदतर हालत के लिए भी केवल कांग्रेस को दोषी बताया है।
बुधवार को एक बार फिर से बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की औपचारिकता पूरी किए जाने के बाद पार्टी पदाधिकारियों, विधायकों और सांसदों को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि आज़ादी के बाद से अब तक बहुजनों की दशा में अपेक्षित सुधार न होने के लिए ज़िम्मेदार कांग्रेस है। उन्होंने अपने लंबे भाषण में एक बार भी बीजेपी को निशाने पर नहीं लिया, बल्कि कांग्रेस को दर्जनों बार कोसा।
370 के लिए नेहरू को बताया दोषी
मायावती ने कश्मीर में 370 में फेरबदल के बीजेपी सरकार के फ़ैसले की वकालत करते हुए कहा कि बाबा साहेब आम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता आदि के पक्षधर रहे हैं और इसी आधार पर वह जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के क़तई भी पक्ष में नहीं थे। इसी ख़ास वजह से ही बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाए जाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में बिना अनुमति कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केन्द्र और वहाँ के गवर्नर को राजनीति करने का मौक़ा देने जैसा क़दम नहीं है अगर इनके जाने पर कश्मीर में थोड़े भी हालात बिगड़ जाते तो फिर क्या केन्द्र की सरकार इसका दोष इन पार्टियों पर नहीं थोप देती। मायावती ने कहा कि वास्तव में इस समस्या की मूल जड़ कांग्रेस व पंडित नेहरू ही हैं।
मायावती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अलग करके लद्दाख क्षेत्र को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने का भी उनकी पार्टी स्वागत करती है। इससे लेह-लद्दाख क्षेत्र के बौद्ध समुदाय की वर्षों पुरानी माँग पूरी हुई है और वे इससे बहुत ख़ुश हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति का काम अगर कांग्रेस पार्टी ने पहले ही कर लिया होता तो आज जम्मू-कश्मीर में हालात बेहतर होते और बीजेपी को भी इसकी आड़ में राजनीति करने का मौक़ा नहीं मिलता।
कांग्रेस के चलते देश भर में बहुजनों की दुर्दशा
मायावती ने बहुजनों, अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के लिए भी कांग्रेस को ज़िम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का ऐसा ही उदासीन और ग़ै़र-सकारात्मक रवैया जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के संबंध में रहने के साथ-साथ देश के सर्वसमाज में ख़ासकर ग़रीबों, दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों, मुसलिम, सिख, ईसाई, बौद्ध आदि के प्रति भी रहा है। उन्होंने कहा कि इसी कारण इनके सामाजिक व आर्थिक हालात आज़ादी के इतने दशकों के बाद अभी भी काफ़ी ज़्यादा ख़राब बने हुए हैं।
मायावती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी व इनकी सरकारों में ख़ासकर ‘बहुजन समाज’ की इतनी ज़्यादा उपेक्षा हुई है कि इसको भुला पाना मुश्किल ही नहीं, असम्भव है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि डॉ. आम्बेडकर को अपेक्षित सम्मान देने के क्रम में इन्होंने उन्हें न तो पहले संसद में चुनकर जाने दिया और न ही उनके मरणोपरान्त उनको ‘भारतरत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में एससी व एसटी वर्ग को भी ईमानदारी के साथ आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया और संविधान की धारा 340 के हिसाब से अन्य पिछड़े वर्गों यानी ओबीसी को सरकारी नौकरियों व शिक्षा आदि के क्षेत्र में आरक्षण की सुविधा आज़ादी के क़रीब 43 वर्षों तक नहीं दी गयी। उन्होंने कहा कि बहुजन नायक कांशीराम जी की मृत्यु पर एक दिन का भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित नहीं किया गया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुसलिम समाज आदि के प्रति भी कांग्रेस पार्टी की उपेक्षा, जुल्म-ज्यादती, भीषण दंगे व तिरस्कार आदि को भी कभी कैसे भुलाया जा सकता है।
यूपी उपचुनाव के लिए बसपा प्रत्याशी घोषित किए
देश भर से आए प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मायावती को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इसी बैठक में विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगी। बसपा सभी 13 सीटों पर विधानसभा उप चुनाव लड़ेगी। जलालपुर विधानसभा से प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। घोसी से कय्यूम अंसारी प्रत्याशी होंगे जबकि मानिकपुर से राजनारायण निराला, हमीरपुर से नौशाद अली, जैदपुर से अखिलेश आंबेडकर, बलहा से रमेश गौतम बसपा के प्रत्याशी होंगे। टूंडला से सुनील कुमार चित्तौड़ तो कानपुर से बसपा ने पंडित देवी प्रसाद तिवारी को प्रत्याशी बनाया है। लखनऊ कैंट से अरुण द्विवेदी बसपा प्रत्याशी होंगे जबकि रामपुर से जुबेर मसूद ख़ान को प्रत्याशी बनाया गया है।