लखीमपुर खीरी की घटना के बाद भले ही उत्तर प्रदेश बीजेपी और पार्टी हाईकमान बेहद बेचैनी के दौर से गुजर रहा हो लेकिन यहां के स्थानीय कार्यकर्ता पार्टी से बेहद नाराज़ हैं। उनका कहना है कि तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
लखीमपुर की घटना में तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं श्याम सुंदर निषाद, हरिओम मिश्र और शुभम मिश्र की हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा पत्रकार रमन कश्यप और 4 किसानों की भी मौत इस घटना में हुई थी।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि इस घटना में एकतरफ़ा कार्रवाई की जा रही है और बीजेपी कार्यकर्ताओं और पत्रकार की हत्या करने वालों को गिरफ़्तार नहीं किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर 14 अक्टूबर तक गिरफ़्तारी नहीं हुई तो एनएच 730 को जाम कर दिया जाएगा।
बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि 16 अक्टूबर तक पार्टी कार्यकर्ताओं के हत्यारों की गिरफ़्तारी न होने पर सभी कार्यकर्ता व पदाधिकारी पार्टी से इस्तीफ़ा दे देंगे और वे दोषियों की गिरफ़्तारी तक आमरण अनशन और प्रदर्शन करते रहेंगे।
क़ानून मंत्री मिलने पहुंचे
इस घटना में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिजनों की शिकायत थी कि उनके परिवार से मिलने पार्टी का कोई नेता नहीं आया। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश के क़ानून मंत्री बृजेश पाठक बुधवार को पीड़ित परिवारों से मिले।
दबाव में है बीजेपी
अजय मिश्रा केंद्रीय कैबिनेट में रहेंगे या नहीं, मोदी सरकार इस बारे में जल्द ही कोई फ़ैसला कर सकती है क्योंकि विपक्ष और किसानों के हमले से बीजेपी और मोदी सरकार पर राजनीतिक दबाव बढ़ गया है। अजय मिश्रा के मुद्दे पर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ दिल्ली में उत्तर प्रदेश बीजेपी के नेताओं की बैठक भी हो चुकी है।
किसानों और विपक्षी दलों ने पूरी ताक़त के साथ इस मामले में बीजेपी पर हमला बोल दिया है, उससे पार्टी को डर है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उसे बड़ा राजनीतिक नुक़सान हो सकता है। इस घटना का असर निश्चित रूप से उत्तराखंड के चुनाव पर भी पड़ेगा। इसलिए पार्टी इस मामले को लेकर परेशान दिखती है।