उत्तर प्रदेश के झाँसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार देर रात लगी भीषण आग में जलने और दम घुटने से कम से कम शनिवार सुबह तक 10 नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है। अभी जो सूचना उपलब्ध है, उसके मुताबिक मेडिकल कॉलेज में आग बिजली के शॉर्ट-सर्किट के कारण लगी, जिससे पूरे वार्ड में घना धुआँ भर गया। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) अविनाश कुमार ने मीडिया को बताया कि शायद बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण एनआईसीयू में रात करीब 10.45 बजे आग लग गई। ऑक्सीजन सिलेंडरों के कारण वार्ड जल्दी ही एक टिंडरबॉक्स बन गया, क्योंकि ऑक्सीजन अत्यधिक ज्वलनशील होती है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, इस वजह से आग कुछ ही सेकंड में फैल गई।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सबसे पहले शुक्रवार रात करीब 10:45 बजे एनआईसीयू से धुआं निकलते देखा गया। आसपास के लोगों के शोर मचाने पर दहशत फैल गई। इससे पहले कि कोई कुछ कर पाता, आग की लपटों ने वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। बच्चों को निकालने के प्रयासों के बावजूद, घने धुएं और आग की लपटों के कारण दरवाज़ा बंद हो गया, जिससे उन्हें समय पर बचाना असंभव हो गया। कुछ देर बाद ही अग्निशमन कर्मी घटनास्थल पर पहुंचने में सफल रहे और अन्य शिशुओं को बचाने में कामयाब रहे।
नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, 37 नवजात शिशुओं को वार्ड से बचाया गया, जबकि घबराए रिश्तेदार अस्पताल में जमा है और अपने बच्चों के बारे में जानकारी की गुहार लगा रहे थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) झाँसी सुधा सिंह ने शनिवार को पहले कहा था कि इस घटना में घायल हुए अन्य 16 बच्चों का इलाज चल रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जब यह घटना हुई तब एनआईसीयू में 50 से अधिक बच्चे भर्ती थे। उन्होंने कहा कि उनके लिए पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ सभी डॉक्टर उपलब्ध हैं।
पीटीआई ने एसएसपी के हवाले से बताया कि मेडिकल कॉलेज ने जानकारी दी है कि घटना के वक्त 52 से 54 बच्चे भर्ती थे। उनमें से 10 की मौत हो गई है, 16 का इलाज चल रहा है जबकि अन्य की पहचान जारी है।”
शनिवार सुबह झांसी पहुंचे उपमुख्यमंत्री ब्रिजेश पाठक ने कहा कि वार्ड में कुल 49 बच्चे थे, जिसकी क्षमता केवल 18 बिस्तरों की है। उन्होंने बताया कि सात बच्चों के शवों की पहचान कर ली गई है, जबकि तीन अज्ञात हैं। ब्रिजेश पाठक ने कहा कि उनकी पहचान स्थापित करने और उनके परिवार के सदस्यों तक पहुंचने के प्रयास जारी हैं। पाठक ने कहा कि आग में घायल हुए 17 अन्य बच्चों का वर्तमान में मेडिकल कॉलेज के आपातकालीन विंग और विभिन्न निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जिनमें से सात को निजी सुविधाओं में भर्ती कराया गया है।