वाराणसी जिला न्यायालय ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि ज्ञानवापी से जुड़े सभी सात मामलों की सुनवाई एक साथ होगी. वाराणसी के जिला जज ने आदेश दिया कि ज्ञानवापी मामले से जुड़े सभी सातों मामलों की अब एक साथ सुनवाई होगी. कल जिला जज ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ज्ञानवापी से जुड़े सभी सातों मुकदमों की सुनवाई अब एक साथ होगी। वाराणसी जिला अदालत ने मंगलवार को इस संबंध में फैसला सुनाया। इसे लेकर हिंदू पक्ष ने याचिका दायर की थी।
अगस्त 2021 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा करने के अधिकार की मांग को लेकर पांच महिलाओं ने स्थानीय अदालत में याचिका दायर की। अप्रैल 2022 में, एक वरिष्ठ डिवीजन कोर्ट ने मस्जिद परिसर में एक सर्वेक्षण का आदेश दिया। सर्वे मई 2022 में पूरा हुआ था। इस दौरान कथित तौर पर मस्जिद में एक शिवलिंग मिला था। हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि यह एक फव्वारा था।
कथित 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस मामले की अगली सुनवाई तक ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ गलियारे के अंदर एक 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग नहीं करने के लिए कहा था। मंगलवार (16 मई) को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया। पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को 19 मई तक याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।
मामले में अगली सुनवाई सात अगस्त को निर्धारित की गयी है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले हफ़्त शुक्रवार को ही निचली अदालत के एक आदेश को रद्द कर दिया था और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाए गए 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग सहित एक 'वैज्ञानिक सर्वेक्षण' का आदेश दिया था। पिछले साल भी एक वीडियो सर्वेक्षण हुआ था। एक स्थानीय अदालत द्वारा नियुक्त आयोग ने पिछले साल 16 मई को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद का कोर्ट-निर्देशित वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण किया था।
पिछले साल के सर्वेक्षण की कार्यवाही के दौरान, हिंदू पक्ष द्वारा 'शिवलिंग' होने का दावा किया गया था, जबकि उस ढांचे को मुस्लिम पक्ष द्वारा 'फव्वारा' बताया गया था।
ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में सबसे पहले वाराणसी की एक अदालत में याचिका दायर की गई थी और इस पर ही सर्वे का फैसला आया था। याचिका में कहा गया था कि हिंदुओं को श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की इजाजत दी जाए। याचिका में कहा गया था कि मसजिद की पश्चिमी दीवार पर श्रृंगार गौरी की छवि है।
याचिका में यह भी मांग की गई थी कि मस्जिद के प्रबंधकों को पूजा, दर्शन, आरती करने में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से रोका जाए। यहां यह भी बताना जरूरी है कि 1991 तक यहां पर नियमित रूप से पूजा होती थी। लेकिन अब यहां साल में एक बार नवरात्रि के दिन ही पूजा का कार्यक्रम होता है।
पिछले साल नवंबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपनी याचिका में हिंदू याचिकाकर्ताओं - लक्ष्मी देवी और तीन अन्य - ने वाराणसी के जिला न्यायाधीश के 14 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी थी। उसमें शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग के उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
इसी बात का इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने ज़िक्र किया था और उन्होंने पिछले साल 16 मई को खोजे गए शिवलिंग के नीचे निर्माण की प्रकृति का पता लगाने के लिए उपयुक्त सर्वेक्षण करने या जाँच करने की प्रार्थना की थी।