उत्तर प्रदेश में अपने बेबाक बोलों के लिए सेवाकाल में और रिटायरमेंट के बाद भी चर्चित रहे डॉ. सूर्य प्रताप सिंह पर योगी सरकार ने इसलिए मुक़दमा ठोक दिया है क्योंकि उन्होंने एक सवाल पूछ लिया। डॉ. सिंह ने प्रदेश में ‘नो टेस्ट नो कोरोना’ की नीति पर सवाल उठाते हुए मुख्य सचिव के साथ हुई अधिकारियों की बैठक का हवाला देकर एक ट्वीट किया था। शुक्रवार को अपने ट्वीट के समर्थन में सिंह ने ट्विटर पर प्रदेश सरकार का ही एक पत्र पोस्ट किया जिसमें कहा गया है कि आईसीएमआर व राज्य सरकार के निर्देशों के इतर किसी का कोरोना टेस्ट न किया जाए। रिटायर्ड आईएएस डॉ. एसपी सिंह ने गुरुवार को एक ट्वीट कर जानकारी दी कि ‘यूपी में कोरोना संकट से निपटने के लिए गठित वरिष्ठ अधिकारियों की टीम की बैठक में मुख्य सचिव ने ज़िलाधिकारियों को हड़काते हुए कहा कि क्यों इतनी तेज़ी पकड़े हुए हो, क्या ईनाम पाना है जो टेस्ट टेस्ट चिल्ला रहे हो।’ सिंह ने आगे मुख्य सचिव से प्रदेश की रणनीति स्पष्ट करने के लिए कहते हुए लिखा- ‘नो टेस्ट नो कोरोना’।
एसपी सिंह के इसी ट्वीट से नाराज़ प्रदेश सरकार ने उन पर मुक़दमा दर्ज करा दिया। उधर सिंह ने भी सरकार को खुली चुनौती देते हुए शुक्रवार को सरकार में स्वास्थ्य सचिव हेकाली झिमौंमी के 10 जून का पत्र ट्वीट करते हुए कहा कि इसमें ही कहा गया है कि कोरोना जाँच न की जाए। एसपी सिंह ने ख़ुद को जेल भेजने की चुनौती देते हुए कहा कि वो अपने बयान से पीछे नहीं हटेंगे।
क्या है सरकार का पत्र और आईसीएमआर के निर्देश
प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एसपी सिंह ने जिस पत्र को ट्वीट किया है वो आईसीएमआर के निर्देशों के अनुरूप है। आईसीएमआर ने लक्षण पाए जाने पर, विदेश की यात्रा करने वाले या उनके संपर्क में आने वालों की जाँच के लिए कहा है और यही प्रदेश सरकार के भी निर्देश हैं। दूसरी ओर डॉ. एसपी सिंह का कहना है कि सरकार कोरोना संदिग्धों की जाँच नहीं कर रही है। उन्होंने परोक्ष रूप से सरकार पर कम कोरोना जाँच कर रोगियों की कम संख्या दिखाने का आरोप लगाया है।
अपने पहले ट्वीट में भी रिटायर्ड आईएएस डॉ. एसपी सिंह ने यही कहा था कि ज़्यादा जाँच कराने वाले ज़िलाधिकारियों की क्लास ली जा रही है और उन्हें कम जाँचें करने के लिए कहा जा रहा है।
‘ग़लत धाराओं में हुई एफ़आईआर’
शुक्रवार की सुबह फिर से एक ट्वीट कर रिटायर्ड आईएएस डॉ. एसपी सिंह ने अपने ख़िलाफ़ दायर की गयी एफ़आईआर को ही ग़लत बताया। उन्होंने कहा कि चार साल पहले ही आईएएस की नौकरी से वीआरएस ले लिया था और सरकार उन पर गोपनीयता भंग करने की धाराओं में मुक़दमा दर्ज कर रही है।
सिंह ने अपने ट्वीट में कहा कि मेरे काबिल सहकर्मियों को क़ानून की धाराओं का ज्ञान नहीं है। मेरे औपर वो धाराएँ लगायी गयी हैं जो सरकारी कर्मचारियों पर लगाई जाती हैं। उन्होंने आईएएस एसोसिएशन से इसका संज्ञान लेने के लिए आग्रह करते हुए कहा कि अधिकारियों की ट्रेनिंग एक बार फिर से करवाई जाए।
आरोप- अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंट रही सरकार
अपने ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किए जाने के बाद डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि योगी सरकार अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंट रही है। उन्होंने कहा कि जब सरकार में नहीं थे तो इसी बीजेपी के नेता उनकी तारीफ़ें करते थे और पीठ थपथपाते थे और आज मुक़दमा दर्ज करा रहे हैं। रिटायर्ड आईएएस सिंह ने कहा कि तत्कालीन सरकार के ख़िलाफ़ तो उन्होंने आंदोलन तक किया पर अखिलेश यादव ने इसे दुश्मनी के तौर पर नहीं लिया। सिंह ने कहा कि उन पर दर्ज एफ़आईआर की कॉपी दी जाए वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और जनता की अदालत में अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि ‘नो टेस्ट नो कोरोना’ वाले बयान पर अडिग हैं और सरकार से सवाल पूछते रहेंगे।
'बताओ कितने टेस्ट किए और किनके'
एसपी सिंह ने ट्वीट में लिखा कि उन्हें जानकारी दी जाए कि प्रदेश सरकार ने सभी 75 ज़िलों में कितने टेस्ट करवाए और किनके। उन्होंने कहा कि 75 ज़िलों में प्रतिदिन कितने ब्लड सैंपल लिए गए हैं। क्या सभी कोरोना संदिग्धों की जाँच करवाई गयी है। प्रदेश सरकार बताए कि कितने फ़ीसदी प्रवासी मज़दूरों के टेस्ट किए गए हैं और अगर नहीं हुए हैं तो क्यों नहीं।